उन्नत तकनीकी के परिप्रेक्ष्य में भविष्य की खेती      Publish Date : 19/03/2025

       उन्नत तकनीकी के परिप्रेक्ष्य में भविष्य की खेती

                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय

वर्तमान समय में उन्नत प्रौद्योगिकी कृत्रिम मेधा अर्थात एआई का बढ़ता हुआ उपयोग और इसके प्रभाव सबसे अधिक चर्चा का विषय है। इसी के सम्बन्ध में भारतीय प्रधानमंत्री के द्वारा भी कुद दिन पूर्व पेरिस में आयोजित ‘एआई सिक्योरिटी समिट’ के दौरान सार्वजनिक, निजी और शैक्षणिक हितधारकों से एक विश्वसीनय एआई पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया था। इसमें कोई दो राय नहीं है कि एआई हमारे काम करने के तरीकों को पूर्णतया बदलने में सक्षम है। विश्व आर्थिक मंच का अनुमान है कि वर्ष 2027 तक एआई वैशिवक स्तर पर आठ करोड़ तीस लाख नौकरियों को खत्म कर देगा। एआईएमएफ की रिपोर्ट को माने तो एआई के कारण दुनियाभर में लगभग 40 प्रतिशत नौकरियां प्रभावित होंगी।

                                                 

ऐसे में यदि हम भारत के सन्दर्भ में ही बात करें तो हमारा देश, जो कि कृषि परम्पराओं वाला एक देश है वह आज एक तकनीकी क्रॉन्ति के कगार पर खड़ा है और देश अपनी विशालतम आबादी और विविध अर्थव्यवस्थाओं के चलते आजकल अद्वितीय चुनौतियों का सामाना कर रहा है। ऐसे में यदि सही तरीके से प्रबन्धित किया जाए, तो एआई में उत्पादकता, दक्षता और रोजगार के अवसर बढ़ाते हुए इन चुनौतियों से पार पाने की अपार ।क्षमता उपलब्ध है। 

ऐसे में सबसे अधिक चर्चित विनिर्माण और सेवा क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों पर स्वचालन (ऑटोमेशन) और एआई के प्रभावों पर केन्द्रित है, तो यह कृषि के क्षेत्र में हो रहा तकनीकी परिवर्तन न केवल कृषि की उत्पादकता, बल्कि रोजगार के अवसर सृजितकरने की भी अपार क्षमता सं युक्त है। भारत इस दुनिया का एकमात्र ऐंसा देश है जो अन्य देशें के मुकाबले उत्पादकता कम होने के उपरांत भी पूरी दुनिया को खाद्य संकट से उबारने की क्षमता रखता है। ऐसे में नीति निर्धारकों को केवल यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि भारत में रोजगार का भविष्य केवल प्रौद्योगिकी के विघटनकारी प्रभावों को कम करने तक ही निर्भर नही है, अपितु रणनीति के माध्यम से विकास के मार्ग बनाने के लिए कृषि के जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इसकी शक्तियों का उचित दिशा में उपयोग करने के तरीकों पर निर्भर करता है।

कृषि में एआई के एकीकरण से विभिन्न क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों की मांग बढ़ेगी। कृषि क्षेत्र को कृषि इंजीनियरों की आवश्यकता है, जो एआई के माध्यम से संचालित मशीनरी औश्र सिंचाई प्रणालियों को डिजाइन कर उन्हें बनाए रखने में सक्षम हों। हमारे कृषि क्षेत्र को डेटा वैज्ञानिकों भी आवश्यकता है, जो विभिनन प्रणलियों के माध्यम से उत्पन्न होने वाले विशाल डाटा का विशेलेषण कर सकें। ऐसे ही कृषि क्षेत्र को कृषि कार्यकर्ताओं की भी उतनी ही आवश्यकता है, जो प्रौद्योगिकी और किसानों के बीच की खाई को पाट सकें और जटिल डेटा को एक व्यवहारिक सलाह में परिवर्तित कर सकें।

                                            

हमारे कृषि क्षेत्र को सॉफ्टवेयर डेवलेपर्स की भी आवश्यकता है, जो विशिष्ट कृषि आवश्यकताओं के अनुसार एआई एप का निर्माण कर सकें। इसी प्रकार कृषि क्षेत्र को ड्रोन पायलटों की आवश्यकता है जो कि इन महत्वपूर्ण उपकरणों का संचालन और इनका रखरखाव कर सकें और इसी प्रकार अनेक सम्भावनाएं बहुत अधिक और विविध भाँति की हैं।

इसके अतिरिक्त, कृषि में एआई का अनुप्रयोग सहायक उद्योगों के विकास को भी प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे रोजगार के अवसरों का अधिक विस्तार हो सकता है। किसानों को सीधे बाजार से जोड़ने के लिए एआई-संचालित मंचों की श्रृंखला प्रबन्धन और ई-कामर्स में नई भूमिकाओं के विकास से रसद, आपूर्ति पैदा हो सकती है। हालांकि इस क्षमता को साकार रूप प्र्रदान करने के लिए सभी हितधारकों को ठोस प्रयास करने आवश्यकता है, जबकि एक सक्षम वातावरण को तैयार करने में सरकार की एक बड़ी भूमिका होगी। 

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।