मानूसन के दौरान सब्जी उत्पादन      Publish Date : 05/09/2025

                        मानूसन के दौरान सब्जी उत्पादन

                                                                                                                                                            प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा

अगस्त सितम्बर में करें पत्ते और जड़ वाली सब्जियों का उत्पादन

बुवाई से पूर्व 10 से 15 टन प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें गोबर की खाद अगस्त सितम्म्बर में बुवाई कर अक्टूबर के मध्य तक प्राप्त कर सकते हैं। उत्पादन बरसात के महीनों में किसान जड़ वाली विभिन्न सब्जियां जैसे मूली, गाजर, शलगम के अतिरिक्त पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, बन्द गोभी, मेथी, धनिया, फूलगोभी और ब्रोकली आदि की बुवाई अगस्त-सितम्बर के महीने में कर सकते हैं।

बवाई करने से पूर्व खेत में 10 से 15 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग किया जाना उचित है। इसके लिए अनुशंसित उर्वरक की मात्रा 24:12:12 किलोग्राम एनपीके/एकड़ है, जिसमें नाइट्रोजन का प्रयोग दो बार में किया जाना चाहिए।

बुवाई करने के बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें और नमीं के पर्याप्त स्तर को बनाकर रखें। अक्टूबर माह के मध्य तक इन फसलों की पहली कटाई हो जाती है। इसके सम्बन्ध में सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि इसके लिए किसानों के लिए कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों का जानना बहुत आवश्यक है। 

बुवाई के लिए किस्में

                                                              

इस मौसम में बुवाई करने के लिए मूली की आईवरी वाइट, पंजाब सफेद, हिसार मूली-3, जैपनीज व्हाइट लाँग आदि किस्में उत्तम हैं। गाजर की किस्में हिसार गैरिक, पूजा केसर आदि किस्में हैं। शलगम में परपल टॉप वाइट, ग्लो और सफेद-4 अच्छी किस्में हैं, जबकि पालक की ऑल ग्रीन, जोबनेर ग्रीन, हिसार सलेक्शन-23 एवं पूसा ज्योति आदि किस्में अच्छी हैं। फूलगोभी की 1522, रिया, गिरजा, बिशप, कैस्पर आदि उन्नत किस्में हैं।

खेत की तैयारी एवं बुवाई करने की विधि

मूली और शलगम के बीज को हल्की मिट्टी की डोलियां बनाकर इसके ऊपरी सिरे पर हल्की नाली बनाकर लगभग 8 से 10 से.मी. की दूरी पर बीज बोना चाहिए। गाजर के बीज भूमि की अच्छी तरह से जुताई कर छिंटकवाँ विधि से बुवाई कर उसमें सुहागा डाल दें। इस बात का विशेष ध्यान रखें जड़ वाली सब्जियों का अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए भूमि में गोबर की खाद, केंचुआ खाद, जैविक खाद, मुर्गी की खाद का प्रयोग भूमि की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाना चाहिए।

फूल गोभी और पत्ता गोभी की पनीरी तैयार करने की विधि

बारिश से बचाकर फूल गोभी और पत्ता गोभी की पनीरी ऊपर उठे बेड़ों पर बुवाई कर तैयार करना उचित रहता है। इसके लिए बेड की लम्बाई 2 मीटर तथा चौड़ाई 90 से 100 से.मी. तक की रखें। पौधशाला में कतार से कतार की दूरी 5 से.मी. और बीज से बीज की दूरी लगभग 2 से 2.5 से.मी. रखें। फूल गोभी और पत्ता गोभी की पनीरी 30 से 35 दिन में तैयार हो जाती है।

गाजर का बीज 3 से 5 किग्रा. प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें, मूली के लि बीजदर 2 से 4 किग्रा. प्रति एकड़ तथा गाजर के लिए उचित बीजदर 3 से 5 किग्रा. प्रति एकड़ और शलगम के लिए बीजदर 1 से 1.5 किग्रा. प्रति एकड़ की दर से बुवाई करना पर्याप्त रहता है। फूल गोभी और पत्ता गोभी के लिए 150 से 200 ग्राम बीज द्वारा तैयार की गई पौध प्रति एकड़ की दर से करना ही पर्याप्त रहता है।

कम अवधि में तैयार होने वाली मूली की प्रमुख किस्में

सितम्बर के महीने की शुरूआत में ही सब्जी उत्पादक किसानों को मूली (रैफनस सैटिवस) की बुवाई करने की तैयारी आरम्भ कर देनी चाहिए। इस समय मध्यम तापमान और मिट्टी की बढ़ती नमी इसके अंकुरण और जड़ों के उत्तम विकास में सहायक होती है।

मूली की प्रमुख किस्में- मूली की पूसा चेतकी एक शीघ्र तैयार होने वाल किस्म है। काशी हंस (आईआईवीआर संकर) की चिकनी एवं सफेद जड़ें एक समान आकर की होती हैं। सकाटा व्हाइट स्नो (निजी संकर किस्म) की अच्छी उपज प्राप्त होती है और इसकी बिक्री भी अच्छी होती है।

इसके अतिरिक्त माहिको एमआरएच-1 एक उच्च उपज प्रदान करने वाली तथा एक समान जड़ों वाली किस्म है। इस किस्म के लिए बीज दर 3 से 4 किग्रा. प्रति एकड़ रखनी चाहिए। इस किस्म में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 से.मी. रखना उचित रहता है। 

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।