
आलू का बंपर उत्पादन आलू का साइज बड़ा और रोग रहित Publish Date : 25/09/2024
आलू का बंपर उत्पादन आलू का साइज बड़ा और रोग रहित
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं हिबिस्का दत्त
देश के किसान धान की फसल की कटाई के बाद आलू की फसल की बुवाई का काम करते हैं। आलू कम क्षेत्रफल में अधिक उत्पादन देने वाली फसल है और 60 से 80 दिनों में आलू से किसानों को अच्छा उत्पादन और मुनाफा मिल जाता है। लेकिन आलू की फसल की बुवाई के दौरान किसान यदि कुछ बातों का ध्यान रखें तो किसानों को रोग रहित और अच्छी गुणवत्ता वाली उपज मिलेगी और इससे किसानों की लागत में भी कमी आएगी।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि जनपद मेरठ में आलू मुख्य फसलों में से एक है। जिले में लगभग 15000 हेक्टेयर के क्षेत्र में आलू की फसल उगाई जाती है। यहां करीब 5.5 लाख टन का आलू उत्पादन होता है। जिले में 2.5 टन आलू भंडारण की क्षमता है। किसान अगर आलू की बुवाई के समय कुछ सावधानी बरत लें तो इससे किसानों को अच्छी गुणवत्ता का उपज मिलेगी। किसान 300 से 350 टन आलू का उत्पादन आसानी प्राप्त कर सकते हैं।
कैसे करें खेत को तैयार?
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि आलू की फसल की बुवाई करने से पहले खेत की गहरी जुताई करें और खेत की मिट्टी को भुरभुरा बना लें। उसके बाद 25 टन गोबर की अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद को मिट्टी में मिलाकर अंतिम जुताई कर खेत को समतल कर लें ताकि खेत में जल भराव की समस्या ना हो और खेत में जल निकासी की व्यवस्था भी बेहतर रहनी चाहिए।
जरूरी है बीज शोधन करना
डॉ0 सेंगर ने बताया कि खेत तैयार करने के बाद किसान बीज शोधन जरूर करें। बीज शोधन करने से फंगस रोग से बचाव होता है। बीज शोधन करने के लिए किसान 0.02 ग्राम मैंकोजेब (Menkojeb 75% WP) को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर आलू के कटे हुए या साबुत आलू को 10 मिनट तक भिगो दें। उसके बाद छाया के नीचे सुखा लें और बीज के शोधन के बाद आलू को खेत में बोया जा सकता है।
कितनी मात्रा में डालें उर्वरक?
डॉ0 सेंगर ने बताया कि आलू का अच्छा उत्पादन लेने के लिए उर्वरकों का भी महत्वपूर्ण रोल रहता है। किसान आलू की फसल की बुवाई करते समय 100 से 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 45 से 60 किलोग्राम फास्फोरस और 100 किलोग्राम पोटेशियम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में प्रयोग करें। ध्यान रखें की आधी मात्रा बेसल डोज में और शेष आधी मात्रा बुवाई के 25 से 27 दिन के बाद प्रयोग करें।
खरपतवार का भी करें उचित समाधान
डॉ0 सेंगर ने बताया कि आलू की फसल में खरपतवार भी एक बड़ी समस्या होती है। आलू की फसल की बुवाई के तुरंत बाद पेंडीमेथिलीन (Pendimethalen) नाम का रासायनिक खरपतवार नाशक का इस्तेमाल करें। किसान 500 एमएल से 1 लीटर दवा का घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं, इससे उनके खेत में खरपतवार पैदा नहीं होंगे।
आलू के फसल में सिंचाई करने का तरीका
डॉ0 सेंगर ने बताया कि आलू की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए सिंचाई का भी विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। किसान पारंपरिक तरीके से सिंचाई करने के स्थान पर मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई करने से लाभ होगा। ऐसा करने से जल संरक्षण होगा, इसके अलावा आलू की फसल में अगेती झुलसा रोग और पछेती झुलसा रोग से भी बचाव हो सकेगा।
इतना ही नहीं मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई करने से आलू का साइज बड़ा होगा और अच्छी गुणवत्ता वाला आलू पैदा होगा। ऐसा करने से आलू में मिट्टी नहीं चिपकती, जिसकी वजह से बाजार में अच्छा भाव मिलेगा। खास बात यह है कि मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई करने से 10 से 15% तक उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है।
2 ग्राम मैंकोजेब दवा का छिड़काव करें
डॉ0 सेंगर ने बताया कि अगर आलू में झुलसा रोग आ जाए तो 2 ग्राम मैंकोजेब को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल में छिड़काव करें, इससे झुलसा रोग का नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।