
नकली पौधों से असली हवा Publish Date : 17/10/2025
नकली पौधों से असली हवा
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा
‘‘अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कृत्रिम पौधा तैयार किया है, जिसे न तो धूप की आवश्यकता होगी और न ही अधिक नमी उसे गला पाएगी। इसके साथ ही यह कृत्रिम पौधा किसी असली पौधे की तरह से ही कार्बन डाई-ऑक्साइड का अवशोषण कर ऑक्सीजन का उत्सर्जन करने के साथ ही विद्युत का उत्पान करने में भी सक्षम होगा’’।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने खराब वायु गुणवत्ता को दुनियाभर में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा पर्यावरणीय खतरा बताया है। इसमें भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग के समेत अन्य कारणों के चलते भवनों के अंदर की हवा अधिक खराब होती जा रही है।
शहरों में लोगों का अधिकांश समय भी चाहरदीवारी के अंदर ही व्यतीत हो रहा है और जितने समय भी वह घर के बाहर रहते भी हैं तो उन्हें स्वच्छ हवा नहीं मिल पाती है। वर्तमान समय में बंद परिसर में स्वच्छ हवा को प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के एयर प्यूरीफायर्स का उपयोग किया जा रहा है।
इसी समस्या को देखते हुए अमेरिका के बिंगहैमटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने आगे बढ़ते हुए भवनों के अंदर की हवा को स्वच्छ बनाने के लिए एक विशेष किस्म का कृत्रिम पौधा तैयार किया है जो कार्बन डाई-ऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन का उत्सर्जन करेगा।
कैसे अवशोषित करेगा कार्बन डाई-ऑक्साइडः
लेजर कटिंग तकनीक का उपयोग कर 1.6 मिलीमीटर मोटी मिथाइल मेथैक्रिलेट से तैयार किए गए इस पौधे में पांच पत्तियाँ लगी होती हैं। इस पौधे की प्रत्येक पत्ती साइनोबैक्टीरिया से संक्रमित एनोड, एक ऑयन एक्सचेज झिल्ली और एक कैथेड से बने पांच बायो सोलर सेल के साथ जुड़ी हुई होती है। इन सेल्स को सक्रिय बनाए रखने और वाष्पोत्सर्जन की क्रिया को सम्पन्न करने के लिए इस पौधे में हाइग्रोस्कोपिक लगाया गया है।
इस प्रक्रिया से एक सजीव पौधे की तरह ही इसकी पत्तियों में भी पानी और अन्य पोषक तत्व पहुँचते रहते हैं। साइनोबक्टीरिया पानी के साथ घर के अंदर मौजूद प्रकाश और कार्बन डाई-ऑक्साइड का उपयोग भी प्रकाश संश्लेषण क्रिया में करता है।
कैसे होगी ऑक्सीजन प्राप्तः
यह पौधा प्रकाश संश्लेषण के दौरान इलेक्ट्रॉस के साथ उत्पादित प्रोटॉन को ऑयन एक्सचेज झिल्ली के माध्यम से कैथोड में पहुँचाएगा। ये प्रोटॉन कैथेडिक प्रतिक्रिया को पूर्ण करने के लिए वायुमण्डलीय ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया इस प्रणाली की इलेट्रोन्यूट्रलिटी को बनाए रखने के लिए आवश्यक होती है।
फोन भी कर सकेंगे चार्जः
वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार किया गया यह कृत्रिम पौधा हवा के साथ ही बिजली का उत्पादन भी करेगा, जो इस पौधे की उपयोगिता अधिक बेहतर बनाता है। यह पौधा लगभग 140 माइक्रोवॉट बिजली का उत्पादन करेगा। हालांकि अब वैज्ञानिक इस पौधे से न्यूनतम एक मिलीवॉट बिजली के उत्पादन के लिए इसके तकनीकी उन्नयन पर काम कर रहे हैं।
एक बायोसेलर सेल 0.25 वोल्ट का ओपन सर्किट वोल्टेज और 9 माइक्रोवॉट वर्ग सेंटीमीटर का अधिकतम ऊर्जा घनत्व प्राप्त करता है। इसके प्रत्येक पतते के भीतर श्रंखला में पांच बायो सोलर से जोड़कर 46 माइक्रोवॉट तक की बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। इस प्रकार अधिकतम 420 माइक्रोवॉट तक की बिजली का उत्पादन सम्भव हो सकेगा।
असली पौधे की तरह ही होगी सिंचाईः
इस पौधे के लगातार एवं बेहतर ढंग से सक्रिय रहने के लिए इस पौधे को असली पौधों की तरह ही खाद और पानी भी देना होगा। पौधा इससे ही ऊर्जा प्राप्त करेगा। इस प्रकार से यह पौधा किसी असली पौधे का अहसास भी देता है। हालांकि इस पौधे के रख-रखाव की प्रक्रिया को आसान बनाने और साथ ही एक लम्बी अवधि तक इसके सक्रिय बने रहने के लिए अब वैज्ञानिक इसमें अलग-अलग प्रकार के बैक्टीरियाज के उपयोग करने पर भी कार्य कर रहे हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।