
मन के काम से ही मिलती है सच्ची खुशी Publish Date : 15/10/2025
मन के काम से ही मिलती है सच्ची खुशी
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
क्या आपको बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है? अपनी पसंद करना या बनाने में मजा आता है? कविता, कहानी, लेख, ब्लॉग लिखने में खूब मन रमता है? टीवी पर क्रिकेट, फिल्में, टेनिस, बैडमिंटन या कोई अन्य आउटडोर या इन्हीं खेलों को खेलते खिलाड़ियों को देख आपके मन में खुशी की एक हूक सी उठती है कि काश, समय पर मौका मिला होता तो शायद आज हमारी भी अपने पसंद के खेल में अलग ही पहचान होती? इस प्रकार की बातें सुनकर हममें से तमाम लोगों का अपने बचपन के दिनों में खो जाना स्वाभाविक ही है।
खुद, माता-पिता, स्कूल-कॉलेज द्वारा प्रतिभा न पहचान पाने और उपयुक्त समय पर पर्याप्त साथ और समर्थन न दिए जाने से तमाम लोगों के ‘सपने’ सपने होकर ही रह जाते हैं और बढ़ती उम्र के साथ उन्हें जो नौकरी मिल जाती थी उसी के साथ अपनी गृहस्थी की गाड़ी को खींचने में जुट जाते थे। बेशक आपके सपने पूरे नहीं हो सके, पर आप अब भी अपनी दिशा बदल सकते हैं। इसके अलावा भावी पीढ़ी की हर तरह से मदद कर अपनी कसक की पीड़ा पर न सिर्फ मरहम लगा सकते हैं बल्कि काफी हद तक खुशियां भी प्राप्त कर सकते हैं।
क्यों थोपें अपनी जिद
दूसरों को देखकर, उनसे प्रभावित होकर अपने घर के बच्चे पर उसकी मर्जी के खिलाफ पढ़ने और करियर चुनने का दबाव तो कतई नहीं डालना चाहिए। न ही कभी यह सोचें कि जो आपको अच्छा लगता है, वहीं उसे भी लगेगा। अगर आप जिद या इच्छा उस पर थोपेंगे, तो दो स्थितियां हो सकती हैं। हो सकता है कि आपका बच्चा सम्मान करते हुए या आपके डर से बिना कोई विरोध किए ही इसे स्वीकार कर ले, लेकिन मन न न लगने के कारण यह उसमें शायद ही अच्छा प्रदर्शन कर पाये। दूसरी स्थिति में हो सकता है कि बेमन का क्षेत्र होने के कारण कुछ समय बाद वह कोई ऐसा असामान्य कदम उठा लें, जो आपके लिए भी बेहद भयावह हो सकता है।
पहचानें प्रतिभा
अक्सर हम खुद अपनी प्रतिभा को पहचान नहीं पाते और सालों तक हम दूसरों के नक्शेकदम पर ही बढ़ते जाते हैं। हम यह जान ही नहीं पाते कि कौन-सा काम हमें सबसे ज्यादा खुशी देता है। कई बार हम इसे अनदेखा भी कर देते हैं। पर एक समय जब बोरियत जिंदगी पर हावी होने लगती है, तब लगता है कि हमने तो दिशा ही गलत चुन ली थी। एक बार यह ख्याल मन में बैठ जाने पर बेचैनी और बढ़ती जाती है।
अगर आप अपने करियर में ज्यादा दूर तक नहीं गए हैं, तो दिशा बदलने का विकल्प चुनने पर विचार भी कर सकते हैं। पर जो भी करें, पूरी तरह सोच विचार और पूरी तैयारी के बाद ही करें। यह भी सोचें कि अपनी रुचि के क्षेत्र में तो आपने कोई डिग्री तो ली ही नहीं, फिर उसमें आगे कैसे बढ़ेंगे? वो कहते हैं न कि जहाँ चाह, वहां राह। उम्र के किसी भी पड़ाव पर अपनी पसंद का काम शुरू किया जा सकता है। बस, उसमें आपके अंदर पैशन जरूर होना चाहिए, अगर आपके अंदर पैशन है तो दुनिया की कोई ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती।
10 दिन, 10 गोल
अगर आपको अपनी रुचि के बारे में स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पा रहा है और आप दुविधा में हैं। ऐसे में आपको कभी कुछ सही लगता है तो कभी कुछ, तो ऐसे में आपको एक व्यावहारिक फॉर्मूले पर अमल करना चाहिए। एक कागज और पेन लें (कंप्यूटर या स्मार्टफोन पर भी कर सकते हैं) अपनी पसंद-पैशन के 10 क्षेत्रों को क्रम से लिखें। सबसे ज्यादा पसंद क्षेत्र को सबसे पहले लिखें।
ऐसा अगले 10 दिन तक करें। पर हर दूसरे दिन पहली लिस्ट को भूल जाएं और नए सिरे से उन 10 क्षेत्रों को अपनी प्राथमिकता के अनुसार लिखें, जो उस दिन आपके दिमाग में आ रहे हों। यह संभव है कि हर अगले दिन आपको लिस्ट के विषय कुछ बदल जाएं और कुछ पुराने हट जाएं, इनकी जगह कुछ नए आ जाएं। हां, इनका प्राथमिकता क्रम भी बदल जाए।
ध्यान रखें, इस कवायद का सटीक और कारगर परिणाम तभी आ सकता है, जब आप पिछले दिन की लिस्ट को भुलाकर बिल्कुल नए सिरे से और फ्रेश माइंड से विचार करेंगे।
ईमानदारी से इस आसान से काम को करने पर आप दसवें दिन अपनी सारी पर्चियों पर लिखी लिस्ट को अपने सामने रखें। उन पर बारीकी से गौर करें। कुछ समझ में आया? आप पाएंगे कि दसों दिनों की लिस्ट में काफी बदलाव है। अब इसमें से पहले तीन स्थान पर आने वाले क्षेत्र को अपने कॅरियर के रूप में चुनें और अगले कुछ दिनों तक उन पर गंभीरता से मंथन करें।
अगर उनमें बदलाव नहीं होता, उन पर दृढ़ रहते हैं और उनमें उत्साह बना रहता है, तो यह आपका सबसे पसंदीदा क्षेत्र हो सकता है। उसमें कदम आगे बढ़ाकर आप अपने करियर को तरक्की, खुशहाली की राह पर बढ़ाते हुए मन की सुकून पा सकते हैं। खास बात यह है कि इस फार्मूले को दुनिया के सबसे रईस लोगों में शामिल वॉरेन बफे ने भी अपनाया था।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।