तुष्टिकरण की राजनीति से लेकर राष्ट्रद्रोह तक      Publish Date : 11/10/2025

                तुष्टिकरण की राजनीति से लेकर राष्ट्रद्रोह तक

                                                                                                                                                                           प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

हमारे देश के इतिहास में ऐसी अनेकों घटनाएं घटित हुई हैं या होती रहती हैं जब हम किसी एक वर्ग को प्रसन्न करने के लिए सत्ताओं द्वारा कुछ विशेष प्रावधानों का अनुभव कर सकते हैं और इसे तुष्टीकरण कहा जाता है। तुष्टिकरण करने वाली मानसिकता छोटे-छोटे स्वार्थ से बढ़कर कब राष्ट्रद्रोह तक पहुंच जाएगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

हिंदू से मुसलमान या इसाई मत में मतांतरित करने वाली शक्तियां जिन्हें सदैव कुछ राजनीतिक दलों उनकी सत्ताओं और उनके नेताओं का सहयोग मिलता रहा है देश की सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा खतरा हैं ।

स्वामी विवेकानंद जी के अनुसार मुसलमान या ईसाई मत में  मतांतरित प्रत्येक व्यक्ति भारत राष्ट्र का एक शत्रु है। इस कथन को प्रमाणित करने वाली घटनाएं वर्षों से हम अपने आसपास अनुभव कर ही रहे हैं।

तुष्टिकरण को सत्ता प्राप्त करने के साधन के रूप में देखा जाना राष्ट्र के लिए बहुत ही घातक है, हाल ही में तेलंगाना राज्य में सेना की बहुत बड़ी भूमि को वहां के राज्य सरकार के द्वारा मुस्लिम समुदाय को आवंटित कर दी गई। इस प्रक्रिया को लेकर सेना और राज्य सरकार में विवाद की स्थिति बन गई है और यह वहां की सरकार द्वारा आंतरिक संघर्ष को निमंत्रण देने जैसी बात है।

                                                                   

एक तरफ जहां अपने देश का हिंदू समाज अपनी सेना को ताकत देने के लिए आवश्यकता पड़ने पर अपनी धन संपदा से लेकर अपने शरीर का रक्त भी प्रस्तुत करने को तैयार रहता है। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्र विरोधी मानसिकता राने वाले लोग सेना के संसाधनों और संपत्तियों पर कब्जा कर देश को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। हम अपनी आंखें खुली रखें तो ऐसी घटनाएं अपने आसपास भी होती हुई कभी-कभी दिखाई दे जाती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।