
देश को भ्रमित करने के प्रयास Publish Date : 19/09/2025
देश को भ्रमित करने के प्रयास
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
व्यवस्थाओं पर प्रश्न खड़े करना और बिना समाधान दिए वहां से भाग लेना, ऐसी ही स्थिति आजकल अपने देश के मुख्य विपक्षी दल की हो गई है। संविधान हाथ में लेकर उसी संविधान के अनुसार चलने वाली संवैधानिक संस्थाओं के प्रति समाज को भड़काना और अनास्था उत्पन्न करना एक बहुत सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। चुनाव परिणाम अपने पक्ष का हो तो चुनाव आयोग ठीक अन्यथा उस पर प्रश्न खड़े करना, न्यायालय में निर्णय अपने हित का हो तो ठीक अन्यथा न्यायिक व्यवस्थाओं पर प्रश्न खड़े करना सामान्य हो गया है।
सोचने के विषय यह है कि यदि सामान्य मनुष्य इन संस्थाओं पर भी विश्वास न करे तो किस पर करे? लेकिन यह समझना होगा कि जो यह वातावरण बना रहा है वह देश की समस्याओं को कैसे देखता है। किसानों के लिए सुविधा हो इस दृष्टि से कृषि सुधार कानून आए, जिसके तहत किसान अपने उत्पाद को सीधे भी व्यापारी/कंपनी को बेच सकता था लेकिन इको सिस्टम ने देश में ऐसा वातावरण बनाया कि वे कानून वापस हो गया अब वहीं विपक्षी नेता किसानों से जा कर पूछता है कि आप अपना सामान बिचौलिए को क्यों बेचते हो? आपको तो सीधे कंपनी को बेचना चाहिए।
ऐसे अनेकों विषय हैं, जब सामान्य मनुष्य को भ्रमित करने के प्रयास स्पष्ट देखे जा सकते हैं, उनका उद्देश्य यह है कि जनता को भ्रमित करो और जब मनुष्य भ्रमित होगा तब वह निर्णय लेने के लिए आश्रित हो जाएगा। जो समाज निर्णय नहीं ले सकता निश्चय ही वह गुलामी की चपेट में आ जाता है। आज बहुत आवश्यकता है कि समाज सकारात्मक प्रश्न करने वाला बने और तार्किक चर्चाएं बढ़ें।
साजिशकर्ता यह चाहते हैं कि भारत के लोगों को भारत का विचार करने का अवसर ही प्राप्त न हो और विदेशी ताकतें भारत के बढ़ते चरणों को रोक सकें, लेकिन शायद वे यह नहीं जानते कि अब भारत बल बुद्धि और विवेक तीनों दृष्टि से सक्षम बन रहा है और अब विदेशी षडयंत्रों में फंसने वाला नहीं है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।