सम्मान जनक समझौते के लिए शक्ति      Publish Date : 30/08/2025

                    सम्मान जनक समझौते के लिए शक्ति

                                                                                                                                                                                           प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

आज विश्व में जो देश परस्पर लड़ रहें उनके बीच समझौते होने के कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं, यह जानते हुए कि युद्ध विनाश के अतिरिक्त और कुछ नहीं देगा। जिन देशों के पास निर्णायक शक्ति नहीं है वे दूसरों पर निर्भर हैं इसलिए स्वयं के लिए के सम्मानजनक समझौते भी नहीं कर पा रहे हैं वहीं भारत ने हाल ही में सिंधु जल समझौता रद्द कर आतंकियों के ठिकानों को नष्ट कर अपनी शर्तों पर युद्ध टालने में सफल रहा है।

भारत भी युद्ध के मैदान में कूदकर अपनी शक्ति को युद्ध में लगाए यह प्रयास अन्य वैश्विक शक्तियां करती रहेंगी लेकिन जब आत्मनिर्भरता रहेगी तब हम अपने निर्णय कर सकेंगे कि कब कितना और किस प्रकार का युद्ध हम करना चाहते हैं।

                                                          

समय के साथ शक्तियों का स्वरूप बदलता रहा है, आज आर्थिक परिस्थिति, सैन्य क्षमता के साथ तकनीकी भी एक बहुत प्रभावी शक्ति बन गई है। भारत की मेधा आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है,आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हम विश्व की तीसरी शक्ति के रूप में उभर रहे हैं और डिजिटल लेनदेन में तो हम विश्व के विकसित देशों से भी कहीं बहुत आगे हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।