
स्वतंत्रता का अधिकार Publish Date : 28/08/2025
स्वतंत्रता का अधिकार
प्रोफसर आर. एस. सेंगर
स्वतंत्रता का अधिकार मानवता का मूल है, जो स्वतंत्र जीवन का प्रतीक है। यह प्राकृतिक है कि हर प्राणी स्वतंत्रता की आकांक्षा करता है, क्योंकि स्वतंत्रता से ही जगत का कल्याण और पृथ्वी का श्रृंगार संभव है। स्वतंत्रता ने विश्व का उत्थान किया है और समस्त वैभव तथा ऐश्वर्य का कारण भी यही है। लोकों में व्याप्त सुख और शांति का परिणाम भी स्वतंत्रता है। सभी मानवीय शक्तियों का विकास स्वतंत्रता से ही संभव है, इसलिए इसे परम शक्ति माना जाता है। स्वतंत्रता प्रकृति की पुत्री और देवी स्वरूपा है, जिसकी वीर जन आराधना करते हैं।
स्वतंत्रता का महत्व विचार की स्वतंत्रता से लेकर देश की स्वतंत्रता तक फैला हुआ है और इसके मूल में आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह है। जैसे शरीर का महत्व है, उससे अधिक महत्वपूर्ण उसकी स्वतंत्रता है। स्वतंत्रता की देवी का पृथ्वी पर अटल साम्राज्य है। जहां स्वतंत्रता का अपमान होता है, है, वहां सुख और शांति का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। स्वतंत्रता शांति की भी जननी है। यह लोकतंत्र या राजतंत्र में भेद नहीं करती। किसी भी तंत्र में स्वतंत्रता सर्वाेपरि होनी चाहिए।
यदि लोकतंत्र में स्वतंत्रता को नीचा दिखाया गया, तो सुख, समृद्धि और शांति का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा। स्वतंत्रता सार्वभौमिक, सर्वव्यापी और सर्वकालिक है। यह व्यक्ति की सुरक्षा, स्वाभिमान और सम्मान की सूचक है। स्वतंत्रता हम सबकी अस्मिता है, लोकतंत्र का आत्मा, गणतंत्र की चेतना और राष्ट्र की प्राणवायु है। भले ही स्वतंत्रता की देवी की कोई मूर्ति न हो, चित्र न लगे हों या मंदिर न बने हों, फिर भी इसका अमरत्व पृथ्वी के समान है। स्वतंत्रता का यह संदेश हमें प्रेरित करता है कि हम इसे सहेजें और इसके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें। स्वतंत्रता का सम्मान करना हम सभी का कर्तव्य है, ताकि हम एक सुखद और समृद्ध समाज की और बढ़ सकें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।