
बिना किसी प्रतिफल की आशा किए करें काम Publish Date : 16/08/2025
बिना किसी प्रतिफल की आशा किए करें काम
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
वर्ष 1948 में, संघ (RSS) के द्वारा आहूत आंदोलन के दौरान श्री गुरुजी को अनेक कष्टों और परेशानियों से गुजरना पड़ा। आन्दोलन के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि यह पूरा आंदोलन अपने आप में अनूठा था, लोग आमतौर पर दूसरों पर उपकार करने पर बदले की अपेक्षा रखते हैं और यह एक स्वाभाविक अपेक्षा और प्रवृत्ति है, लेकिन संघ के स्वयंसेवक ऐसे किसी प्रतिफल की अपेक्षा नहीं करते हैं। हमारी परंपरा रही है कि किसी को भी, जिसने कष्ट सहे हों या कड़ी मेहनत की हो, पुरस्कृत या पद दिया जाए, हम ऐसी कोई व्यवस्था भी नहीं शुरू करना चाहते हैं, जो कोई भी संगठन के लिए काम करता है, वह अपना कर्तव्य पूरी तरह से निभा रहा है। इस काम के लिए किसी स्वयंसेवक को सम्मानित करना हमारी परंपरा नहीं रही है।
हम लोग हमेशा समर्पित कार्यकर्ताओं का सम्मान करते हैं और यह सम्मान कभी कम नहीं होता; अपितु यह बढ़ता ही रहता है। जब भी कोई व्यक्ति किसी काम को करने के लिए अपने अंदर अहंकार को पालता है, तो ऐसे में एक दिन उसका पतन होना भी निश्चित है। अगर इस प्रकार के अहंकार भाव से ग्रस्त लोगों को अपने काम के लिए कारावास भी भुगतना पड़े, तो उन्हें लगता है कि उन्होंने कोई बहुत बड़ा काम किया है और दूसरे लोगों पर एहसान किया है। अच्छा तो यह है कि कोई भी काम करते समय उससे किसी भी प्रकार के प्रतिफल की अपेक्षा करना उचित नहीं होता है।
एक बार जब हम किसी काम को करने के लिए प्रतिबद्ध हो जाते हैं, तो हम कभी भी अच्छे या बुरे अनुभवों के बारे में नहीं सोचते। फिर सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने जीवन में उस काम को कितना महत्व दे पाते हैं, जिसे हमने करना स्वीकार किया है।
ऐसे ही जिस किसी ने भी एक बार संघ का अनुभव कर लिया, तो फिर वह संघ से दूर नहीं जा सकता। हम प्रत्येक कार्यकर्ता को चुनकर उसकी एक माला तैयार करते हैं और इससे उसका हृदय जीत लेते हैं। हम किसी को कभी भी केवल इसलिए कम नहीं आँकते क्योंकि उसने गुरुदक्षिणा में सिर्फ़ एक फूल या प्रणाम ही अर्पित किया है। कोई गुरुदक्षिणा में कुछ भी अर्पित कर रहा हो, लेकिन हमारा मानना है कि वह उस क्षण अपनी आत्मा हमें समर्पित कर रहा है, हमारा यही मानना है।
हम राष्ट्रीय चरित्र से ओतप्रोत कार्यकर्ताओं का एक सशक्त संगठन निर्माण कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य केवल संघ की शक्ति बढ़ाना नहीं, बल्कि अपने सम्पूर्ण राष्ट्र को सुदृढ़ बनाना है और यह केवल समर्पण की भावना से ही संभव हो सकता है। हम समाज के समक्ष ऐसे कार्यकर्ता को आदर्श मानते हैं जो राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने के लिए सदैव ही तत्पर रहता है। हम सदैव समाज के सर्वांगीण विकास के बारे में ही सोचते हैं। हमें सदैव यह ध्यान रखना चाहिए कि हम एक आदर्श समाज का निर्माण करना चाहते हैं और यह हम करके ही रहेंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।