
स्वदेशी ही समाधान Publish Date : 13/08/2025
स्वदेशी ही समाधान
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
आजकल लगभग प्रतिदिन ही ऐसे समाचार आ रहे हैं कि आज अमेरिका ने भारत पर इतना टैरिफ लगाया या कुछ और दिनों की छूट दी है। आज हम विश्व के सबसे अधिक आबादी वाले देश बन गए हैं अतः स्वाभाविक है कि हम सबसे बड़े उपभोक्ता बाजार हैं और हमारे पास विश्व में सर्वाधिक युवाओं के रूप में जनशक्ति भी है जो किसी भी प्रकार के उत्पादन के लिए सबसे आवश्यक साधन है।
यदि हम उत्पादन और उपभोग दोनों का स्वदेशी विचार व्यवहार करें हम सबसे बड़े उपभोक्ता बाजार के साथ सबसे बड़े उत्पादक भी बन जाएंगे। हालांकि विगत वर्षों में अनेक क्षेत्रों में हम बड़े उत्पादक और निर्यातक बनने की दिशा ने तेजी से आगे बढ़े हैं। आज अपने देश में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी अमेरिकन कंपनियों ने हमारे ऊपर अपना शिकंजा कस लिया है और हम इन पर बहुत हद तक निर्भर कर रहे हैं, यदि अमेरिका हमारे साथ आर्थिक समझौतों में कठोरता कर सकता है तो हम उनकी कंपनियों की सुविधाओं और उत्पादों के साथ क्यों नहीं कर सकते हैं?
स्थानीय उत्पादों,स्थानीय सेवाओं का उपयोग करने से अपने धन का उपयोग स्थानीय आधार पर ही होगा, जिससे हमारे आस पास संपन्नता आएगी और सभी लोग सम्पन्नता के वातावरण में रहना पसंद भी करते हैं। अपनी मेधा का उपयोग स्थानीय उत्पादकता बढ़ाने में करने से उत्पाद और सेवाओं की गुणवत्ता भी बढ़ेगी क्योंकि जो विदेशी सेवाएं और उत्पाद हमे बहुत प्रभावित करते हैं उनकी गुणवत्ता में भारतीय प्रतिभाओं की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अपनी आने वाली पीढ़ियां अपनी योग्यता का उपयोग किसी और देश की गुलामी के बजाय अपने देश में उत्पादन में लगाएं यह हम सभी का दायित्व है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।