
जीवन का समीकरण Publish Date : 06/08/2025
जीवन का समीकरण
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
जीवन में सफलता के लिए किसी भी एक प्रकार की पद्धति को तन्मयतापूर्वक समझ लीजिए, तदोपरांत उसका उपयोग कीजिए। तब आपको यह समझ आएगा कि अभी इसमें बहुत कुछ सीखना बाकी है और फिर उसे भी पूरा कीजिए। इस क्रमिक उपयोग से आपको कुछ नया समझ आएगा। उससे कार्य करना सरल होगा, लेकिन उसे सीखने के लिए अतिरिक्त प्रयास भी करने होंगे। यह सब करने के पश्चात आप लगभग किसी एक तरह के जीवन की विशेषज्ञता को प्राप्त कर चुके होंगे।
संभव है कि भविष्य में आपको आपके कार्यक्षेत्र में कुछ प्रतिस्पर्धा मिलेगी। कुछ अधिक सफल और कुछ असफल लोग आपके समक्ष आएंगे। उनसे साक्षात्कार के उपरांत आप पुनः नए आविष्कारक बन जाएंगे और लोग आपके ज्ञान से प्रभावित होने लगेंगे। फिर संसार और सांसारिक आपके कार्य की अनावश्यक प्रशंसा या अनावश्यक निंदा करेंगे। आप में निंदा के खंडन की इच्छा जन्म भी लेगी। यदि आप अपने निंदनीय पक्ष से प्रेरणा लेकर उससे स्वयं में सुधार करने के पश्चात उस निंदा को मौसम की तरह भूल सके, तब आप संपूर्णता से परिपूर्ण एक व्यक्तित्व के स्वामी हो जाएंगे।
इस यात्रा अनुभव का दशांश भी आप लिखते रहे तो एक चिंतक या लेखक बन जाएंगे। भविष्य में आपका चिंतन दर्शन कहला सकता है। दार्शनिक की स्थिति तब आएगी जब आप यह समझ जाएंगे कि संसार अपने ही ढंग से चलता है और जो हमने किया वह किसी और रूप में हमसे पहले कोई कर चुका था। ईश्वर ने हमसे अलग ढंग से कार्य कराया और किसी अन्य से दूसरी तरह। संसार में सबकी आवश्यकताएं अन्योन्याश्रित हैं। इसलिए जब हम यह समझ लेते हैं कि लोग हमारे मकान को भले ही सुंदर कहें, किंतु मकान की खिड़की हमें तभी सुख देती है, जब बाहर का दृश्य भी मनोरम हो। हमें उसे भी सुंदर बनाने के लिए पुरुषार्थ करना होता है। जीवन का यही समीकरण समझने का प्रयास होना चाहिए।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।