
औदार्य यानी उदारता का महत्व Publish Date : 05/08/2025
औदार्य यानी उदारता का महत्व
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
औदार्य अर्थात उदारता एक ऐसा मानवीय गुण है जो व्यक्तित्व को अद्भुत निखार प्रदान करता है। यह अपने आप में विशद एवं व्यापक भाव को समाविष्ट करने वाला एक महत्वपूर्ण मानवीय गुण है। उदार व्यक्ति सदैव दूसरों की सहायता एवं भलाई के लिए तत्पर रहा करता है। औदार्यमय व्यक्तित्व सदैव एक व्यापक दृष्टिकोण एवं दूरदर्शितापूर्ण विचारधारा का स्वामी होता है। यदि हम अपने इतिहास पर दृष्टिपात करें तो यह पाएंगे कि आज तक जितने भी महापुरुष इस धरा पर जन्मे हैं, उन सभी के व्यक्तित्व में औदार्य का गुण विशेष रूप से समाहित था।
मानवता एवं औदार्य का परस्पर नितांत ही गहरा संबंध है। औदार्य का गुण मानवता की प्रथम पहचान है। इसके अभाव में में मनुष्य रूप में जन्म लेना कहीं न कहीं निरर्थक ही प्रतीत होता है। औदार्य का गुण हृदय की विशालता, मन-मस्तिष्क की निष्कपटता का द्योतक है। निज स्वार्थ से ऊपर उठकर सभी प्राणियों के प्रति दया एवं परोपकार का भाव रखना तथा सदैव मानवता के हित के विषय में सोचना ही एक उदार व्यक्ति के प्राथमिक लक्षण हैं। औदार्य का गुण उस दीपक के तुल्य होता है जो स्वयं तो जलता है, किंतु दूसरों को प्रकाश रूपी अमूल्य रत्न प्रदान करता है।
यदि आप उदार हैं तो निःसंदेह आपके भीतर सगुणों का एक विशाल समूह विद्यमान होगा जो आपको मानव से महामानव बनने के लिए प्रेरित करता है। सहृदयता, विनम्रता, क्षमा, त्याग, संवेदनशीलता, दया, करुणा और सहयोग की भावना आदि अनेक अमूल्य गुणरत्न एक उदार मनुष्य के व्यक्तित्व में सदैव ही परिलक्षित होते हैं।
संप्रति, इस गुण की महत्ता कहीं अधिक बढ़ गई है, क्योंकि आजकल हम सभी कहीं न कहीं आत्मकेंद्रित एवं स्वार्थपरक दृष्टिकोण अपनाने पर तुले हुए हैं। हालांकि अंतरात्मा की संतुष्टि एवं तृप्ति के लिए हमें औदार्यपरक दृष्टिकोण एवं दूरदर्शितामय सोच के साथ ही अपना कर्म करना होगा। ऐसा करके निश्चित ही हम अपने जीवन को सार्थक एवं उद्देश्यपूर्ण बनाने में सफल हो सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।