
जनसंख्या समस्या या समाधान? Publish Date : 30/07/2025
जनसंख्या समस्या या समाधान?
प्रोफेयर आर. एस. सेंगर
जनसंख्या और उपलब्ध संसाधन की तुलना होना स्वाभाविक है। इसके आधार पर हम सोचते हैं कि हमारे देश की जनसंख्या को सीघ्र ही नियंत्रित नहीं किया गया तो भविष्य में संकट मुंह बाएं खड़ा है। यह बात कुछ हद तक तो सही है लेकिन वहीं जब हम अपने आस पास देखते हैं तो चित्र बिल्कुल ही अलग दिखाई दे रहा है। गांव के गांव जन के बिना सूने हो रहे हैं जिन पर देशद्रोही ताकतें आंख लगाए हैं, शहर में परिवार के परिवार अगली पीढ़ी में संतान नहीं होने के कारण समाप्त होते दिख रहे हैं बड़ी बड़ी कोठियों की दीवारें सन्नाटों से चीख रही हैं ।
आखिर अपने देश में जनसंख्या रह कहां रही है? हमारे रोजमर्रा के छोटे छोटे काम करने वाला व्यक्ति अधिक पैसे देने पर भी काम के लिए नहीं मिल रहता है क्योंकि वह है ही नहीं। संसाधन आवश्यक हैं यह बात सही है लेकिन संसाधन ही सबकुछ नहीं हैं, योग्य मनुष्य रहेगा तो इस धरा से अपनी आवश्यकता का संसाधन पैदा कर लेगा परंतु जिन घरों में या गांवों में व्यक्ति ही नहीं रहेगा तो संसाधन किसके लिए होंगे?
कुछ लोग कहते हैं कि अब AI आ गया है मनुष्य के सभी आवश्यक कार्य वह कर देगा। कहीं ऐसा तो नहीं हम एक ऐसे भविष्य की तरफ बढ़ रहे हैं जहां मशीनें ही बचे खुचे मनुष्य का सहारा होंगी। आज चहचहाट, झगड़ों की आवाज और छोटी छोटी बातों पर खुशी के ठहाके केवल शहरों की उन बस्तियों में मिलते हैं जहां गलियां संकरी हैं,मकान छोटे लेकिन घर बड़े हैं।
मानवनिर्मित संसाधन जिनके पास अधिक हैं उन्हीं के निकट रहने वाला कोई व्यक्ति उनके घर पर नजर गड़ाए हुए है और कभी कभी उसके मुंह से निकल भी जाता है बाबू जी इन सबका उपयोग तो आगे चल कर हम ही करने वाले हैं, वह अपने बच्चों को पढ़ा नहीं रहा है क्योंकि वह आश्वस्त है कि आपका घर कुछ दिनों में खाली होने ही वाला है और इस पर कोई दावा करने वाला बचा नहीं है। हमे ही विचार करना है कि हम अब वर्तमान में जनसंख्या को कैसे देखें ?
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।