क्रोध और क्या हैं इसके परिणाम      Publish Date : 29/07/2025

                  क्रोध और क्या हैं इसके परिणाम

                                                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर 

क्रोध से हमें कुछ भी प्राप्त नहीं होता है। क्रोध आए, तो उसे दबाएं नहीं, अन्यथा एक दिन फट पड़ेगा और आपको परेशानी होगी। लेकिन ध्यान रखें कि इसकी तत्काल प्रतिक्रिया से बचें और जितना हो सके अपने मन को शांत बनाए रखने का प्रयास करें।

क्रोध को दबाएं नहीं, परन्तु तत्काल प्रतिक्रिया भी न दें

कल्पना करें कि हम जन समूह में हैं और हमें कहीं से एक पत्थर आकर लगा है, जिससे चोट लग जाती है। ऐसे में होना तो यह चाहिए कि हम पत्थर मारने वाले उस व्यक्ति को पकड़ने के स्थान पर पहले अपने पाव पर ध्यान दें और उसकी मरहम पट्टी कराएं। किंतु इसके विपरीत यदि हम पत्थर मारने वाले के पीछे दोडने लगेंगे, तो हम अपने घाव को धूल तथा अन्य गंदगी के लिए खुला छोड़ देंगे, जिसके चलते उस घाव को भरने में बहुत समय लग जाएगा।

इसके अतिरिक्त यदि हम किसी को पकड़कर उसके गाली-गलौज करें या उसकी पिटाई कर डाले और बाद में मालूम हो कि हमने तो किसी गलत व्यक्ति की धुलाई कर दी तो? इसके साथ ही ऐसा भी तो संभव है कि वह पत्थर हमें दुर्घटनावश आ लगा हो और यदि हमारी पकड़ में सही व्यक्ति भी गया, तो उसकी पिटाई करने से हमारा घाव तो भर नहीं जाएगा और न ही उसकी पीड़ा दूर हो पाएगी। क्रोध की स्थिति भी पागलों के जैसी ही होती है।

                                                               

ऐसे ही एक दिन बस स्टॉप पर एक हट्टा-कटा और सात फुट लंबा आदमी बस में चढ़ा और सीट पर बैठ गया, बस के कंडक्टर से उससे टिक्टि लेने के लिए कहा तो उसे जवाब दिया कि राम सिंह को टिकिट लेने की जरूरत नही है। दुबले-पतले से कंडक्टर ने उसे देखा और डर के कारण वह चुप हो गया। वह आदमी पेशे से कोई लौहर जान पड़ता था। अतः बिना कुछ और बोले कंडक्टर भी अपनी सीट पर आकर चुपचाप बैठ गया। अगले दिन भी यही पटनाक्रम रहा। वह व्यक्ति उसी बस स्टॉप से बस में चढ़ा और टिकट खरीदने के लिए कहने पर उसका फिर वही उत्तर था कि राम सिंह को टिकट की जरूरत नहीं।

भीतर ही भीतर कंडक्टर क्रोध में उबल रहा था। वह उस गुड़े को सबक सिखाना चाहता था। उसके मन की बात कहीं खो सी गई थी। वह व्यक्ति प्रतिदिन बस में चढ़ता बिना टिकट सफर करता और उसके प्रति कंडक्टर का क्रोध प्रतिदिन सातवां आसमान छूता। ऐसे में कंडक्टर ने सोचा कि चलो अब बहुत हो गया, अब तो कुछ करना हीं पड़ेगा। उसने इस सम्बन्ध में एक कराटे प्रशिक्षक से सहायता लेने का निर्णय किया। अब यह उसके जीवन का केंद्र बिंदु बन गया और कराटे में निपुणता पाने के लिए वह अब छुट्टी पर भी रहने लगा था।

कराटे सीखने के बाद जब कंडक्टर अपने काम पर लौटा तो पहले ही दिन उसे वहीं भारी-भरकम व्यक्ति स्टॉप पर ही मिल गया। हमेशा की तरह फिर से कंडक्टर ने उस व्यक्ति से टिकट के लिए बोला तो उसने वही जवाब दिया कि राम सिंह को टिकट लेने की जरूरत नहीं।’ परंतु कंडक्टर ने फिर आवाज ऊंची करते हुए कहा भाई, यह सब नहीं चलेगा।

टिकट तो तुम्हें लेना ही पड़गा और यदि तुम टिकट नहीं लोगे तो बस यहां से एक इंच भी आगे नहीं चलेगी। इस पर उस सात-फुट के आदमी ने फिर से कहा कि राम सिंह को को टिकट की जरूरत नहीं है। मेरे पास स्टाफ-पास है और उसने स्टाफ-पास कंडक्टर को दिखाकर, परिवहन विभाग के अधिकारी के रूप में अपना परिचय दिया।

यहां हद किसकी हुई? कंडक्टर ने कराटे सीखने के लिए कितने दिन गंवाए और कितना तनाव सहा? और फिर भी से क्या मिला? क्रोध में ऐसा ही होता है। होता कुछ और है और दिखाइ्र देता है कुछ और यह बात सदा याद रखना चाहिए। जब आपको क्रोध आने लगे, तो उसे दवाएं नहीं अन्यथा एक दिन फट पड़ेगा, लेकिन सच्चाई यह भी है कि इसकी तत्काल प्रतिक्रिया से भी बचे। गया। कंडक्टर ने किराया मांगा तो उसने कह दिया कि राम सिंह को टिकट की जरूरत नहीं है।

नकारात्मक विचारों में न फंसें

सबसे पहले आपको किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचारों में नहीं फंसना चाहिए, क्योंकि इन्हीं नकारात्मक विचारों के प्रभाव से क्रोध आता है। इसलिए जितना हो सके, उतना अपने मन को शांत बनाए रखने का प्रयास करें। फिर बुद्धिमता सहित स्थिति का आंकलन करें। यदि आप ऐसा कर सके, तो आप अपने जीवन में क्रोध से उत्पन्न होने वाली बहुत सी विपदाओं से बच सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।