चिंता को एक संकेत समझें      Publish Date : 21/07/2025

                  चिंता को एक संकेत समझें

                                                                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

चिंता करना हमेशा बुरा ही नहीं होता है, बल्कि इसमें महत्वपूर्ण यह है कि आप उस पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं और परिस्थितियों को कैसे अपने अनुकूल बना पाते हैं।

                                                     

चिंता एक ऐसा शब्द है, जिसे कहने या सुनने चिंतन मात्र से ही दिलों की धड़कन बढ़ जाती है। सदियों से, यह हमारे अंदर एक ऐसा डर बनकर बैठा हुआ है, जिससे हम हर कीमत पर बच कर रहना चाहते हैं। यही कारण है कि हम किसी भी नई या रोमांचक चीज का सामना करने से डरते हैं। ऐसी स्थिति में हम स्वयं को असहाय महसूस करते हैं और इसे खुद हि परखते हैं। इसके लिए आप जरा सोचिए कि क्या होगा यदि आपको पता चले कि अभी तक आप चिंता को लेकर गलतफहमी में जी रहे थे। शोधों के माध्यम से पता चला है कि चिंता खुद को और बेहतर बनाने का एक सशक्त माध्यम भी बन सकती है। साथ ही, अगर आपने इसे अपनाना सीख लिया, तो यह आपके लिए बेहद मददगार भी साबित हो सकती है। बशर्ते इसके लिए आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होता है।

समस्या का अलार्म

चिंता को एक चेतावनी संकेत की तरह समझें। इसका उद्देश्य आपका दिन खराब करना नहीं है, बल्कि यह आपको बताती है कि आपके पास कोई समस्या मौजूद है, जिसका आपको समाधान करने की आवश्यकता है। घबराने या इससे बचने के बजाय थोड़ा सा रुकें और अपने आपसे पूछें कि यह आपको क्या बताने की कोशिश कर रही है? एक बार जब आप यह मालूम कर लेते हैं, तो आप अपनी इस समस्या का समाधान आसानी से ढूंढ पाएंगे। इससे आपकी चिंता भी कम होने लगती है।

डरे नहीं, इस्तेमाल करें

                                                

जब चिंता आप पर हावी हो जाए, तो उससे लड़ने की कोशिश न करें। इसके बजाय उसे नियंत्रित करने के लिए उसे किसी ऐसे व्यक्ति का नाम दें, जो आपके लिए मायने रखता हो। यह चिंता पर काबू पाने का एक बेहद सरल तरीका है। इससे दिमाग को भावनाओं को संभालने, समस्याओं को हल करने और प्रभावी ढंग से योजना बनाने में भी मदद मिलती है। याद रखें आप अपनी भावनाओं का वर्णन किस प्रकार से करते हैं, यह पूरी तरह से आप पर ही निर्भर करता है। सकारात्मक तरीका हमारे मस्तिष्क की मुश्किल क्षणों को संभालने और स्मार्ट समाधान निकालने में मदद करता है। इसलिए जितना अधिक आप चिंता को ऐसी चीज के रूप में देखेंगे, जो आपकी मदद कर सकती है, उतना ही अधिक आप इससे डरने की बजाय एक ईंधन के रूप में इसका उपयोग करने के तरीके खोज पाएंगे।

अपनाना सीखें

चिंता का बहुत ज्यादा होना भले ही हानिकारक हो सकता है, लेकिन इसका बिल्कुल न होना भी एक समस्या ही होती है। सही मात्रा में चिंता का होना वास्तव में आपको सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद कर सकता है। यह समझने की कोशिश करें कि यह आपसे क्या करवाने की कोशिश कर रही है। आपको आभास होगा कि यह अक्सर आपको कार्य करने के लिए ही प्रेरित करेगी।

एक जर्मन अध्ययन में पाया गया कि जब लोग अपनी चिंता को अपना लेते हैं और मानते हैं कि वे इसे अच्छी तरह से संभाल सकते हैं, तो यह उनके लिए लाभदायक हो बन जाती है। आप हमेशा चिंता को जाहिर होने से तो नहीं रोक सकते, लेकिन इसे देखने का आपका नजरिया ज्यादा मायने रखता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।