धैर्य की शक्ति      Publish Date : 19/07/2025

                                  धैर्य की शक्ति

                                                                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। समाज में बढ़ रही हिंसा ने क्रिया और प्रतिक्रिया की सापेक्षता को असंतुलित कर दिया है। कोई भी असंतुलन निर्बलता का प्रतीक होता है। ब्रह्मांड में सूर्य, ऊर्जा का शक्तिशाली स्रोत माना गया है। वह अकेला पूरी धरती को प्रकाश और ऊर्जा देता है। वह अपनी शक्ति को सहज प्रकट करता है, किंतु जब काले घने मेघ उसे घेर लेते हैं, उसकी किरणों को बाधित कर देते हैं, तो वह उत्तेजित नहीं होता और कोई प्रतिक्रिया नहीं करता। वह मेघों के विसर्जित हो जाने की प्रतीक्षा करता है। सूर्य को ज्ञात है कि मेघों की आयु सीमित है। वे बाह्य ऊष्मा से संयोजित हुए हैं, इनकी कोई अंतर्निहित ऊर्जा नहीं है। मेघ अल्प समय में स्वयं ही विलुप्त हो जाते हैं। सूर्य को अपनी ऊर्जा व्यय नहीं करनी पड़ती है। वह मात्र धैर्य के साथ प्रतीक्षा करता है।

वास्तव में जिसमें शक्ति है वही धैर्य धारण करने में समर्थ है। यानी जिसमें धैर्य है वही शक्तिवान है। धैर्य स्वयं में शक्ति है। धैर्य उसी में निहित है, जो अहंकार, विकारों से मुक्त है। विकार निर्बलता के जनक हैं। धैर्यवान होने का अर्थ उन निर्बलताओं से मुक्त होना है। जीवन में आने वाली प्रत्येक कठिनाई, दुख की एक आयु है। उस अवधि के पूरा होते ही मनुष्य उससे उबरने लगता है। धैर्य से प्रतीक्षा करनी चाहिए कि जो विपत्ति सन्मुख है उसकी तीव्रता स्वतः स्खलित होती जाए। हमें समय से भी सीखना चाहिए।

                                                      

समय, किसी भी दुख का सबसे उत्तम उपचार है। सबसे बड़ा दुख अपने सबसे प्रिय का होता है। उसे संसार से विदा होते देख मस्तिष्क सुन्न हो जाता है। समय आगे बढ़ता है तो जीवन स्वयं अपनी गति ग्रहण कर लेता है। दुख एक स्मृति बनकर रह जाता है। जब निकटस्थ की मृत्यु से उबरा जा सकता है तो अन्य विपत्तियां उससे कम घातक ही होंगी। यह धैर्य से ही संभव होता है। समय, सत्य को स्वीकार करने और धैर्य के विकसित होने का अवसर मात्र है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।