श्री गुरु पूजन      Publish Date : 11/07/2025

                               श्री गुरु पूजन

                                                                                                                                                     प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

गुरु का स्थान इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि वह वह हमे कुछ प्रदान करते हैं, बल्कि इससे अधिक महत्व इस बात का है कि हम उनके कारण से देने योग्य बनते हैं। गुरु के सम्मुख हम याचक बनकर जाते हैं और वे हमे दाता बना देते हैं, यह अद्भुत परिवर्तन करने की क्षमता केवल देवत्व के कारण ही होती है। इसलिए गुरु में ईश्वर का दर्शन करने की बात अपने यहां की जाती है। हमारे जीवन में ईश्वर गुरु के रूप में कितनी बार आ कर हमे छोटी छोटी बातें सिखा कर हमे सतमार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

                                                          

आद्य शंकराचार्य जी को एक तरफ तो साक्षात्  वेदव्यास जी का दर्शन होता है जो उन्हें अनेकों भाष्य लिखने की प्रेरणा देते हैं तो वहीं चांडाल के रूप में सामने आ कर अद्वैत दर्शन का अनुभव करवाते हैं। महर्षि वेदव्यास, जिन्होंने ज्ञान के स्रोत के रूप में वेदों और पुराणों की रचना की, ऐसे सृष्टि के आद्य गुरु के जन्मदिवस आषाढ़ पूर्णिमा अर्थात गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने जीवन में आए सभी गुरुओं का स्मरण कर उनके द्वारा प्रदत्त शिक्षाओं का उनकी तरह ही लोक कल्याण में प्रयोग करने का संकल्प आज हम लेते हैं।

यह कृतज्ञता प्रकट करने का दिन है, हमारी छोटी छोटी सफलताएं हमें अहंकारी बना देती हैं लेकिन जिनके कारण यह सफलता हमे प्राप्त हुई है उनका स्मरण मात्र ही हमे अहंकार से दूर कर देते है। आइए श्रद्धा और समर्पण के इस अवसर पर हम ईश्वर को धन्यवाद करें और सत्कर्मों के लिए प्रेरित हो कर आगे बढ़ें।

                              ऊँ श्री गुरुवे नमः

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।