विश्व को भारत की आवश्यकता      Publish Date : 07/07/2025

                    विश्व को भारत की आवश्यकता

                                                                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

आज पूरा विश्व युद्ध का मैदान बन चुका है और जो युद्ध एक बार शुरू हो रहे हैं उनका कोई हल भी नहीं निकल पा रहा रहा है। कहीं अति महत्वाकांक्षा, तो कहीं विस्तार की अनैतिक चाह ही इन युद्धों का आधार बन रही है, अंततोगत्वा मानव समाज इसका भुक्तभोगी बन रहा है। मनुष्यों के द्वारा ही मनुष्यों को समाप्त करने की योजना बनाई जा रही है।

ऐसे में विश्व शांति का रास्ता दिखाने की क्षमता यदि किसी के पास है तो वह केवल और केवल भारत के पास ही है। यही कारण है कि विश्व में भारत की स्वीकार्यता प्रतिदिन बढ़ रही है, इसका एक बड़ा प्रमाण यह है कि  पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी जी को विश्व के 23 देशों ने अपना सर्वाेच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया है, जो विश्व के अन्य राष्ट्राध्यक्ष की तुलना में बहुत आगे है।

यह केवल किसी व्यक्ति का सम्मान नहीं है बल्कि भारत के विचारों का और भारत के लोगों के प्रतिनिधि का सम्मान है। जी-7 में एक राष्ट्राध्यक्ष को यह कहते हुए भी सुना गया कि मैं आपके जैसा बनना चाहती हूं, इसका तात्पर्य है कि वह देश भी भारत जैसा बनना चाहता है। ऐसा भारत अपनी सभी प्रकार की सुरक्षा करने में समर्थ है, लेकिन किसी को परेशान नहीं करता बल्कि केवल आतंकवादियों के समूहों को ही नष्ट करता है।

हमारी सेनाएं विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं की कतार में हैं, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद हमारे प्रतिनिधि विश्व में जा कर आतंकी गतिविधियों की जानकारी देते हैं, क्योंकि हम शक्तिशाली होने के बाद अहंकारी नहीं हैं बल्कि अपनी शक्ति का प्रयोग अपनी सुरक्षा और मनुष्यता के शत्रुओं की समाप्ति के लिए ही करना चाहते हैं।

                                                     

भारत के पास ज्ञान और तप की एक वह समृद्ध परंपरा है जिसके आधार पर अजेय शक्ति विशुद्ध शील उत्पन्न करती है, यही बात भारत को अन्य राष्ट्रों से विशेष बनती है।

लेखकः  डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।