समझें अच्छे शब्दों की ताकत      Publish Date : 20/06/2025

                          समझें अच्छे शब्दों की ताकत

                                                                                                                                               प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

हमारे पूर्वजों के द्वारा बताया गया मंत्र ‘‘मोल के बोल, मन के दरवाजे खोल।’’ शब्दों का सही प्रयोग न केवल हमारे अपितु सुनने वाले के जीवन को भी बदल सकता है, अच्छे और उपयुक्त शब्दों में असीम शक्ति समाहित होती है। हमारे द्वारा कहे गए शब्द यदि किसी की तारीफ करके उसे सफलता की ओर अग्रसर कर सकते हैं तो हमें यह अवसर कभी भी नहीं गंवाना चाहिए। लेकिन चुनौती यह है कि हम शब्दों का प्रयोग किस प्रकार करें ताकि तारीफ सच्ची ही लगे, साथ ही स्वयं हमारे शब्द भी तारीफ के काबिल बन सकें।

विशिष्टता का जिक्र

सामान्य तरीके से किसी की तारीफ करने की बजाय अगर कुछ विशिष्ट बातों का जिक्र करके प्रशंसा की जाए तो यह अच्छा है। जैसे कि ‘‘आपका नृत्य बहुत अच्छा था के स्थान पर आपके नृत्य में जिन भाव भंगिमाओं का बारीकी से गाने के साथ आपने प्रदर्शन किया, वह लाजवाब था’’ कहना उन्हें अच्छा लगेगा। वस्तुतः शब्दों में केवल इतना सा फेरबदल ही आपके द्वारा कही गई बात में गहराई और रुचि को समाहित करके सामने वाले के लिए किसी जादू की तरह से काम करेगा।

ईमानदारी और कृतज्ञता जरूरीः पूरी ईमानदार से अच्छे कार्य की प्रशंसा करें साथ ही यदि कोई कमी हो, तो सुधार के लिए आवश्यक सुझाव भी दें। अगर कोई आपकी प्रशंसा करे, तो आप उसको ध्यान से सुनें और बताएं कि यह आपके लिए कितना मायने रखता है।

प्रशंसा को बनाएं आदतः प्रशंसा विशेष अवसर पर न करके जीवन में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए इसे अपनी जीवनशैली में अवश्य शामिल करें। इससे न केवल दूसरों को अच्छा महसूस होगा बल्कि आपके जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आएगा।

प्रक्रिया की भी प्रशंसा करें: किसी भी परिणाम की प्राप्ति में उसे पाने को लेकर किए गए प्रयास बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। अतः मात्र परिणाम को ही न सराहें, किए गए प्रयासों की भी सराहना करना भी जरूरी है।

स्वप्रशंसा करना न भूलें: यह जरूरी नहीं कि सदैव कोई और ही आपकी प्रशंसा करे। आप स्वयं अपनी प्रशंसा करके अपने आपको महत्त्व दे सकते हैं। साथ ही अपनी प्रशंसा के दौरान अपना निरीक्षण स्वयं करके अपनी कार्य प्रणाली में वांछित सुधार भी कर सकते हैं। इससे आपके आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होगी और आप एक सफल व्यक्ति बन सकेंगे।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।