
दुनिया केवल और केवल शक्ति की भाषा को ही समझती है Publish Date : 19/06/2025
दुनिया केवल और केवल शक्ति की भाषा को ही समझती है
प्रोफसर आर. एस. सेंगर
इस निर्दयी दुनिया में रहते हुए हमें महापुरुषों द्वारा दिए गए संदेश को ठीक से समझना होगा। सच तो यह है कि यह दुनिया कम से कम अब तो केवल शक्ति की ही भाषा को ही समझती है। जिस समुदाय के पास ताकत होगी उसकी बात को सुनने के लिए सभी बाध्य रहेंगे। पहले बांग्लादेश और अब बंगाल, आजकल हिंदू समुदाय के साथ जो कुछ घटित हो रहा है वह इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। जो लोग हिंदू संगठन को और देश की उन्नति को अलग अलग करके देखते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि सिर्फ़ हिंदु समाज ही है जो देश उन्नति कर सकता है। केवल वही समृद्ध रह सकता है जो जबरदस्त ताकत की नींव पर खड़ा हो और भारत की नींव और भारत की शक्ति जिसमें है वह यहां का हिंदू समाज ही है।
यह शक्ति कहाँ से आती है? ऐसी राष्ट्रीय शक्ति का सच्चा और चिरस्थायी आधार क्या है? आधार है सुव्यवस्थित, समर्पित और अनुशासित सामाजिक जीवन। सभी प्रकार से संपन्न समाज चाहिए, आवश्यकता पड़ने पर किसी और पर निर्भर न रहते हुए सभी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम समाज हमें अपने मुहल्ले में, अपने गांव में और अपने शहर में ही तैयार करना होगा। जीवन के विभिन्न पहलू वास्तव में समाज की अंतर्निहित शक्ति की अभिव्यक्तियाँ ही हैं, जैसे सामूहिक हनुमान चालीसा के पाठ का सामान्य कार्यक्रम भी सामूहिक सामाजिक शक्ति की अभिव्यक्ति है। आवश्यकता पड़ने पर यह छोटी दिखने वाली शक्ति बड़े प्रश्नों का समाधान कर सकती है।
राजनीतिक शक्ति और सैन्य शक्ति भी ऐसी ही एक अभिव्यक्ति है। राष्ट्र की विभिन्न व्यवस्थाएं भी इन शक्तियों के प्रभाव से अछूती नहीं रहती है। जो न्याय पालिका पहले कभी राम मंदिर के मुकदमे को प्राथमिकता भी नहीं देती थी, लेकिन हिंदू समाज के संगठन के कारण निर्णय भी सत्य के अनुकूल हुआ अन्यथा आप न्यायालय से भी निष्पक्ष निर्णय करने की आशा नहीं कर सकते थे। वास्तविक शक्ति सामाजिक जीवन है जो अनुशासन, मजबूत राष्ट्रीय गौरव और बहादुरी से भरा हुआ होता है।
यह सही कहा गया है कि बंदूक से चलने वाली गोलियों से युद्य नहीं जाते, बल्कि बंदूक थामने वाले का जिगर ही जीत दिलाता है। अगर दिल में राष्ट्र के प्रति गहरी प्रतिबद्धता नहीं है, तो हथियारों का विशाल भंडार भी उसकी रक्षा नहीं कर सकता। आज हर समय हमे तैयार रहने की आवश्यकता है क्योंकि भारत के पुनर्निर्माण के समय आगे अनेकों ऐसे घटना क्रम आयेंगे जो वक्फ़ या नागरिकता जैसे विषयों को भारत हित के संदर्भ में होंगे ऐसे समय में भारत विरोधी शक्तियां उद्दंडता करेंगी ही, लेकिन यदि आपके शहर या गांव में हिंदू की संगठित अभिव्यक्ति होती रही तो निश्चय ही आपका अपना गांव अथवा शहर सुरक्षित रहेगा और आवश्यकता पड़ने पर अपने पड़ोसी शहर की भी सुरक्षा प्रदान कर सकेंगे।
लेकिन इस आशा में नहीं बैठे रहना की कोई और हमारी सुरक्षा के लिए आएगा मूर्खता ही होगी। हम अपने लोगों के हृदय में राष्ट्र के प्रति समर्पण जगाकर ही ऐसी अदम्य राष्ट्रीय शक्ति का निर्माण कर सकते हैं। हमें अनुशासित, एकीकृत और अजेय राष्ट्रीय जीवन बनाने के लिए अपने प्रयासों को केंद्रित करना चाहिए। यही स्वतंत्र और समृद्ध राष्ट्र की नींव है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।