राष्ट्र पुरुष बाबा साहब भीमराव अंबेडकर      Publish Date : 18/06/2025

               राष्ट्र पुरुष बाबा साहब भीमराव अंबेडकर

                                                                                                                                                       प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

जीवन में कभी अपना और अपने देश का स्वार्थ दोनों टकराने लगें तब अपने देश के स्वार्थ को प्राथमिकता देना चाहिए, यह जिनके विचार हैं ऐसे पूज्य डॉ बाबा साहेब भीम राव राम जी आंबेडकर का हाल ही में जन्मोत्सव उल्लास के साथ मनाया गया है। महापुरुषों के जन्मोत्सव मनाने के पीछे भाव यह होता है कि लोग उनके विचारों का अनुशरण करेंगे लेकिन स्वाधीनता के बाद से बाबा साहेब जैसे महामानव को भी तुच्छ राजनीति की भेंट चढ़ाया गया। भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसे अनेकों संगठनों की स्थापना के सूत्रधार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक श्रद्धेय दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने जब बाबा साहब से उस समय की परिस्थितियों पर विचार विमर्श किया तब उन्होंने संघ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण की प्रशंसा करते हुए कहा कि Between Scheduled castes and Communism, Ambedkar is the barrier and  between Caste Hindus and Communism Golwalkar (Shri Guru ji) is the barrier- अर्थात वे कम्युनिज्म को एक बड़ी समस्या के रूप में देख रहे थे। इसी प्रकार हिंदुत्व के बारे में भी उनका दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट था। स्वराज की बात करते हुए वे इस बात पर जोर देते हैं कि हिंदू समाज के संगठन के बिना अपने देश में स्वराज का सुरक्षित रहना संभव नहीं है। इसलिए 2 जनवरी 1940 को महाराष्ट्र के सतारा जिले की भवानी शाखा में आ कर बाबा साहेब ने कहा हो सकता है कुछ विषयों पर आपसे मतभेद हों, फिर भी मैं संघ के कार्य को अपनत्व के भाव से देखता हूं। आज कम्युनिस्ट विचार के लोग और कट्टरवादी ताकतें जय भीम और जय मीम का नारा दे कर भारत को कमजोर करना चाहते हैं।

अपने भाषणों में जो लोग बाबा साहब और संविधान पर अपना एकाधिकार जताते रहे हैं आज मुर्शिदाबाद में उसी बाबा साहब के संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और वे मौन समर्थन कर रहे हैं। खुले आम हिंदुओं को काटने की बात कही जा रही है, इतिहास प्रमाण है कि जब और जहां हिंदू घटा वहां देश कटा है। बाबा साहब ने देश की एकता और अखंडता के लिए संविधान बनाया आज उसी संविधान और देश को नुकसान पहुंचाने के नित नए षडयंत्र हो रहे हैं। लेकिन हम बाबा साहेब के दिए मार्गदर्शन के अनुसार अपने स्वराज को सुरक्षित रखने के लिए हिंदू समाज का संगठित करते चलें, सब प्रकार के भेदों को समाप्त कर हम स्वयं से समाज को बदलें, यही उस महामानव के प्रति उपयुक्त श्रद्धा सुमन होंगे।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।