
मन पर रखें नियंत्रण Publish Date : 13/06/2025
मन पर रखें नियंत्रण
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने एक बार कहा था कि कठिन समय जीवन का एक अभिन्न अंग है और इस हमार कोई नियंत्रण नहीं है। रपंतु सत्यता यह है कि हमारा अपने आप पर नियंत्रण तो हमारे ही हाथ में है, अतः हमें कठिन समय को बदलने के स्थान पर अपने सोचने के तरीके को बदलना चाहिए। इससे कठिन समय स्वतः ही समाप्त हो जाएगा, क्योंकि एक सकारात्मक सोच ही विपरीत परिस्थितियों को बदलने में सक्षम होती हैं।
सुख और दुख प्रत्येक व्यक्ति के ीवन से जुड़ा एक बड़ा सत्य है। अच्छे समय की तरह से ही कठिन समय भी प्रत्येक व्यक्ति के जीवन एक बार अवश्य ही आता है। ऐसे में केवल एक ही स्थिति होती है जो कठिन समय से बाहर निलने में उस व्यक्ति की सहायता करती है और वह र्ह उस व्यक्ति की सकारात्मक सोच। इसी क्रम में प्रस्तुत है ण्क ऐसे ही सकारात्मक सोच के साथ कठिन समय के दौर से गुजर रहे एक व्यक्ति की कहानी, जो कुछ इस प्रकार से है-
एक बार एक प्रोफेसर ने अपने बेटे को उदास देखकर उससे उसकी उदासी का कारण पूछा। अपने पिता के पूछने पर बेटे ने बताया कि वह जिस ऑफिस में काम करता है, वहा उसके ऊपर काम बहुत अधिक दबाव है, जिसके चलते वह निरंतर संघर्ष के दौर से गुजर रहा है। वह समझ नहीं पा रहा है कि वह अपनी इस समस्या का क्या हल निकाले। वह नौकरी छोड़ दे और कोई नया काम शुरू करे। इस पर प्रोफेसर साहब ने अपने पुत्र को सांत्वना देते हुए रसोई से एक गाजर, एक अंड़ा और कॉफी के कुछ दाने लेकर आने के लिए कहा।
पिता की बात सुनकर बेटा किचन से सभी सामग्री लेकर आ गया। इसके बाद प्रोफेसर ने तीन बर्तनों में एक-एक गिलास पानी डाला और इसके बाद इन तीनों बर्तनों में अलग-अलग गाजर, अंड़ा और कॉफी को डालकर आग पर चढ़ा दिया। 20 मिनट तक खौलते हुए पानी में इन्हें पकाने के बाद प्रोफेसर साहब ने चूल्हे को बंद कर दिया। कुछ देर के बाद इन तीनों चीजों को निकाल कर उन्होने अलग-अलग प्लेट में रख दिया। अब उन्होने देखा कि गाजर तो कुछ नरम हो गई तो अंड़ा थोड़ा सख्त हो गया और कॉफी पानी में पमरी तरह से मिल गई थी। अब प्रोफेसर साहब ने अपने बेटे को समझाते हुए कहा कि देखों किसी भी तरह की परिस्थिति में हम इन तीनों चीजों की तरह से ही हो जाते हैं, अब तुम्हें यह तय करना है कि तुम्हें इन तीनों चीजों में से क्या बनना है। परन्तु उनके बेटे को अपने पिता की बात कुछ समझ में नहीं आई। यह जानकर पिता ने कहा कि देखों गाजर पहले सक्ष्त था तो इन विषम परिस्थितियों ने उसे नरम बना दिया जबकि अंड़े ने इन कठिन परिसितियों का सामना करते हुए स्वयं को अंदर से कठोर बना लिया, तो वहीं कॉफी के टुकड़ों का तो अस्तित्व ही समाप्त हो गय और वह पूरी तरह से पानी में ही मिल गई।
प्रोफेसर साहब ने आगे बताया कि कुछ लोग गाजर की तरह के होते हैं, जो कि शुरू में तो सख्त होते हैं परनतु परिस्थितियों के अनुसार अपने सिद्वांतों से समझोता कर नम हो जाते हैं और ऐसे लोगों को काई भी आसानी से तोड़ सकता है। ऐसे ही कुछ लोग अंड़े की तरह के होते हैं जिन्हें विपरीत परिस्थितियां अंदर से अधिक कठोर बना देती हैं। वहीं कुछ लोगों पर विपरीत परिस्थितियों का प्रभाव इतना अधिक होता है कि अपने आपको कठिन परिस्थितियों समर्पित कर अपने अस्तित्व को ही समाप कर लेते हैं। ऐसे में अब तुम्हें यह तय करना होता है कि कठिन परिस्थितियों में तुम्हारा व्यवहार किस प्रकार का होना चाहिए।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।