सीजफायर रहे या न रहे, एलओसी पर बंकरों का निर्माण शुरू      Publish Date : 04/06/2025

सीजफायर रहे या न रहे, एलओसी पर बंकरों का निर्माण शुरू

                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

आपरेशन सिंदूर के बाद सीजफायर के जारी रहने या टूट जाने की आशंकाओं के बीच एलओसी से सटे इलाकों में रहने वाले लोग कोई खतरा मोल लेने को राजी नहीं हैं। यही कारण है कि इन इलाकों में नापाक गोलाबारी से बचाव की खातिर बंकरों का निर्माण शुरू कर दिया गया है। यह सच है कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर हाल हो में बढ़े तनाव के बाद, अधिकारियों ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के नौगाम सेक्टर में सामुदायिक चंकरों का निर्माण शुरू कर दिया है। यह पहल संवेदनशील सोमावती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक चरण में पोचवारी, 5 नंबर, नौगाम और मनकल सहित प्रमुख स्थानों पर सात सामुदायिक बंकरों का निर्माण शामिल है, प्रत्येक साइट पर एक बंकर होगा। आपात स्थिति के दौरान आसान और तत्काल पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ये संरचनाएं आवासीय क्षेत्रों के नजदीक विकसित को जा रही है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के एक अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक बंकर 15 मीटर लंबा और 10 फीट चौड़ा होगा, जिसमें पांच से सात परिवार आराम से रह सकेंगे।

निर्माण कार्य पीडब्ल्यूड़ी के द्वारा वन विभाग और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के सहयोग से किया जा रहा है। प्रत्येक बंकर दो दिनों के भीतर उपयोग के लिए तैयार होने की उम्मीद है। दरअसल सीमा पर हाल ही में हुई तनाव की वृद्धि ने नौगाम सेक्टर के निवासियों को लगातार भय को स्थिति में डाल दिया है, जिससे उनके दैनिक जीवन और आजीविका पर गंभीर असर पड़ रहा है।

एक स्थानीय निवासी मोहम्मद असलम कहते हैं कि हाल ही में हुई गोलाबारी के कारण हमारी रातों की नींद उड़ गई है। यहां के ज्यादातर घर लकड़ी से बने हैं जो इतने कमजोर हैं कि एक छोटा सा विस्फोट भी उन्हें सेकंडों में नष्ट कर सकता है। एक अन्य स्थानीय निवासी मोहम्मद अराफ के अनुसार, पहले भारी गोलाबारी के दौरान, परिवार सुरक्षा की तलाश में एक ही कंक्रीट के घर में एक साथ इकट्ठा हो जाते थे।

वे कहते हैं कि ये अस्थायी बंकर हमें सुरक्षा का एहसास दिलाते हैं, लेकिन हमें उम्मीद है कि सरकार भविष्य में स्थायी कंक्रीट बंकर बनाएगी। दिलचस्प बात यह है कि इन बंकरों के निर्माण ने कई स्थानीय लोगों के लिए आजीविका का अवसर भी प्रदान किया है. जिनमें से अधिकांश सेना या अन्य सीमा संबंधी गतिविधियों में रोजगार पर निर्भर हैं।

एक स्थानीय कार्यकर्ता कहते हैं कि हम प्रशासन के आभारी हैं। वे न केवल हमें खतरे से बचा रहे हैं, बल्कि आजीविका क्रमाने का मौका भी दे रहे हैं। सीमा पर रहने बाले निवासियों ने बताया कि उन्हें पहले उच्च जोखिम वाले सीमा क्षेत्र का हिस्सा नहीं माना जाता था। हालांकि, हाल ही में हुई झड़पों के बाद और नौगाम सेक्टर की एलओसी से निकटता को देखते हुए, अधिकारियों ने आखिरकार सुरक्षात्मक उपाय शुरू किए।

विशेष रूप से, लोगों ने एक ही चिंता व्यक्त की थी कि अगर युद्ध जैसी स्थिति फिर से पैदा हो गई, तो उनके पास कोई आश्रय नहीं होगा। स्थानीय निवासियों द्वारा उजागर किए गए इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए, प्रशासन ने अब उचित स्थानों पर बंकरों का निर्माण शुरू करके प्रतिक्रिया दी है। इन सामुदायिक बंकरों का निर्माण सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिक सुरक्षा को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्थानीय लोग अब अधिक टिकाऊ, कंक्रीट संरचनाओं की उम्मीद करते हैं, जो भविष्य में तनाव बढ़ने की स्थिति में दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।