अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के बीच जिंदगी      Publish Date : 02/06/2025

                अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के बीच जिंदगी

                                                                                                                                        डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

शरीर के बाहर और भीतर ढेर सारे बैक्टीरिया रहते हैं। मालासेजिया सिम्पोडियलिस बैक्टीरिया प्राकृतिक एंटीबायोटिक के रूप में काम करता है, जो शरीर के दुश्मन बैक्टीरिया से आपके लिए लड़ता हैं। शरीर में रहने वाले हजारों बैक्टीरिया टॉक्सिन बनाकर, ऊतकों पर हमला करके या दोनों तरीकों से बीमारियां या संक्रमण पैदा करते हैं। हालांकि कई बैक्टीरिया ऐसे भी हैं, जो स्वास्थ्य और शरीर के कामकाज को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन्हें गुड बैक्टीरिया कहा जाता है।

शोध बताते हैं कि कई गुड बैक्टीरिया जानलेवा बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं और उन्हें नष्ट भी कर देते हैं। इन बैक्टीरिया में से अधिकांश आंतों में रहते हैं, लेकिन ये त्वचा, नाक, मुंह और अन्य जगहों पर भी पाए जाते हैं।

                                                     

अमेरिका के ओरेगन विश्वविद्यालय में चिकित्सा विज्ञानियों के एक हालिया शोध के अनुसार, शरीर पर पाया जाने वाला मालासेजिया सिम्पोडियलिस बैक्टीरिया जब शरीर के बाहरी हिस्से से तेल और वसा को साफ करता है तो हाइड्रॉक्सी फैटी एसिड का उत्पादन करता है। यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक के रूप में कार्य करता है और स्टैफिलोकोकस ऑरियस जैसे खतरनाक बैक्टीरिया की झिल्लियों को नष्ट करने की क्षमता रखता है, साथ ही उसकी वृद्धि को रोकता है। यह बैक्टीरिया, जिसे फंगस भी कहा जाता है, आमतौर पर नाक के नीचे या त्वचा पर पाया जाता है।

स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया त्वचा या नाक के अंदर और शरीर के भीतर श्लेष्मा झिल्लियों में पाया जाता है। यह बैक्टीरिया एक घातक सुपरबग है और दुनियाभर में हर साल लगभग दस लाख लोगों की जान ले लेता है। आमतौर पर इस बैक्टीरिया की वजह से कोई समस्या नहीं होती है। कुछ मामलों में मामूली त्वचा संक्रमण हो सकता है। बैक्टीरिया शरीर के अंदर मुख्यतः त्वचा में कट, खरोंच या अन्य किसी घाव के माध्यम से प्रवेश करता है और गंभीर संक्रमण पैदा कर सकता है।

                                                    

इसकी वजह से स्टैफ इंफेक्शन भी हो सकता है। यह इंफेक्शन बच्चों और ऐसे लोगों को अधिक होता है, जो कैंसर, एचआईवी से पीड़ित हैं या ऐसी दवा ले रहे हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को धीमा कर सकती है। यह संक्रमण उन्हें भी हो सकता है, जो शरीर में नियमित रूप से चिकित्सा उपकरण, जैसे किडनी डायलिसिस, कैथेटर, फीडिंग ट्यूब या श्वास नली का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

निजी वस्तुएं साझा न करें

डॉ. जुगल किशोर निदेशक-प्रोफेसर कम्युनिटी मेडिसिन संफदरजंग आपताल, दिल्ली के अनुसार, स्टैफ इंफेक्शन से बचने के लिए बाथरूम जाने के बाद, नाक साफ करने के बाद भोजन करने से पहले, जानवरों को छूने के बाद, शरीर के किसी संक्रमित हिस्से को छूने या साफ करने से पहले और बाद में अपने हाथों को साबुन तथा पानी से अच्छी तरह धोएं।

अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहते हैं, जिसे स्टैफ स्किन इंफेक्शन है तो अतिरिक्त सावधानी बरतें। आप उसके साथ कोई भी निजी वस्तु टूथब्रश, तौलिया, कपड़े और बिस्तर आदि को साझा न करें। इम्यूनिटी मजबूत करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, संतुलित आहार खाएं, नियमित व्यायाम करें और अल्कोहल एवं धूम्रपान से परहेज करें।

अगर स्टैफ इंफेक्शन के लक्षण नजर आएं तो फौरन चिकित्सक से संपर्क करें। इसके अलावा जो लोग लंबे समय से अस्पताल में हैं और स्वास्थ्य कर्मियों एवं अन्य बीमार लोगों के संपर्क में आते हैं, उन्हें भी यह संक्रमण हो सकता है।

जरूरी हैं जांचें

रोगी से लक्षणों के बारे में पूछकर उसका शारीरिक परीक्षण किया जाता है। इस दौरान त्वचा के घावों की बारीकी से जांच की जाती हैं। कई मामलों में स्किन स्क्रैपिंग, टिशू सैंपल, स्टूल की जांच, थ्रोट या नेजल स्वैब, गले या नाक के अंदर मौजूद तरल की जांच की मदद ली जाती है।

लक्षणों से जानें

हड्डियों का संक्रमण होने पर संक्रमित हिस्से में दर्द, सूजन, गरम महसूस होना और लालिमा हो सकती है। इसमें ठंड और बुखार भी आ सकता है। एंडोकार्डिटिस होने पर बुखार और ठंड लगने जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं और थकान महसूस होती है। इसके अलावा दिल की अनियमित धड़कन, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

फूड पॉइजनिंग होने पर मतली, उल्टी, दस्त और बुखार हो सकता है। तरल पदार्थ की कमी होने से डिहाइड्रेशन हो सकता है। त्वचा में संक्रमण होने पर पिंपल्स या फोडे हो सकते हैं। ये दिखने में लाल, मवाद से भरे और सूजे होते हैं और इनमें दर्द भी होता है।

क्या है उपचार

                                                           

स्टैफिलोकोकल संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक की मदद ली जाती है। संक्रमण के प्रकार के आधार पर क्रीम, मलहम, दवाएं या नसों के जरिए दी जाने वाली दवाएं दी जा सकती हैं। यदि शरीर में कहीं संक्रमित घाव है तो ड्रेन या हड्डियों में संक्रमण के लिए सर्जरी भी की जा सकती है। हालांकि कुछ मामलों में सामान्य एंटीबायोटिक का असर नहीं होता है। बहुत से लोगों में स्टैफ बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं, लेकिन उनमें संक्रमण के कोई लक्षण नहीं नजर आते।

हालांकि जिन लोगों में स्टैफ इंफेक्शन हो चुका है, उनके जरिए यह बैक्टीरिया अन्य व्यक्तियों में भी पहुंच सकता है। यह तकिए, तौलिए जैसी चीजों से भी फैल सकता है। यह बैक्टीरिया सूखे और अधिक तापमान के साथ-साथ पेट के एसिड में भी जीवित रह सकता है।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, जिला मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से अधिक समय से एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रक्टिस कर रहे हैं।