
भारत का 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान Publish Date : 29/05/2025
भारत का 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य
‘‘भारत बनाएगा 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमानः वायुसेना के मौजूदा फाइटर जेट से कितना अलग होगा, US-चीन के मुकाबला कितना कारगर?
आजकल जिस पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान की बात चल रही है, वह आखिर है क्या? भारत किस तरह के लड़ाकू विमान को बनाने की तैयारी कर रहा है? यह भारतीय वायुसेना के मौजूदा लड़ाकू विमानों से कितना अलग होगा? इसके अलावा फिलहाल किन देशों के पास पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं? भारत के अलावा कौन से देशों में इस तरह के फाइटर जेट बनाने की तैयारियां जारी हैं? भारत के पिछले प्रोजेक्ट्स के मुकाबले ताजा परियोजना कितनी अलग होगी? इस प्रकार के सभी सवालों के जवाब देता, हमारा यह विशेष लेख-
भारत के पहले पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान- एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) को विकसित करने के कार्यक्रम को मंजूरी दे दी गई है। इससे पहले पिछले साल सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने पांचवीं पीढ़ी के मल्टीरोल फाइटर जेट विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के कार्यक्रम को मंजूरी दी थी। पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाते ही हम दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएंगे, जिनके पास वायुसेना में आधुनिक तकनीक के फाइटर जेट उपलब्ध हैं।
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान क्या होते हैं?
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बनाए गए सबसे पहले फाइटर जेट को पहली पीढ़ी के लड़ाकू विमान कहा गया। इनमें सोवियत संघ का मिग-15 और अमेरिका का एफ-86 सेबर शामिल थे। इन लड़ाकू विमानों में पहली बार तेज उड़ान भरने में सक्षम जेट इंजन्स का इस्तेमाल हुआ। दूसरी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों ने पहली बार आवाज की गति से तेज उड़ने वाले लड़ाकू विमान दुनिया के सामने आए।
तीसरी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में बेहतर रडार और हवा से हवा में मार करने की क्षमता के साथ हवा से जमीन पर सधे निशाने लगाने की क्षमता भी दिखाई गई। इन्हें ही लड़ाकू विमानों की दुनिया में मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट कहा जाता है। इसके बाद चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में ज्यादा आधुनिक हथियार लगाए गए। इनमें बियॉन्ड विजुअल रेंज यानी जिस निशाने को लक्षित किया जा रहा है, वहां तक बिना पहुंचे ही उसे मार गिराने की क्षमता हासिल की गई।
बढ़ेगी ताकतः भारत में बनेगा 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट कार्यक्रम को मंजूरी। चौथी पीढ़ी और पांचवीं पीढ़ी के बीच में एक और पीढ़ी भी सामने आई यह थी 4.5वीं पीढ़ी, जिसमें लड़ाकू विमानों में रडार को चकमा देने की तकनीक, जिसे स्टेल्थ कहा जाता है, को और बेहतर किया गया। इस वर्ग के फाइटर जेट्स गति और शांति से दुश्मन के रडार से बच निकलते हैं।
अब दुनिया पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की तरफ बढ़ चुकी है। इस मामले में अमेरिका सबसे आगे है। उसके एफ-22 रैप्टर और एफ-35 सबसे मजबूत पांचवीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट्स हैं। इसके अलावा चीन के जे-20 और जे-35 और रूस का एसयू-56 इसी तर्ज पर बने लड़ाकू विमान हैं।
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान 21वीं सदी में सबसे आधुनिक फाइटर जेट्स हैं। हालांकि कई देश छठी पीढ़ी पर भी काम कर रहे हैं, लेकिन अभी वह प्रोटोटाइप स्टेज तक ही सीमित हैं। दूसरी तरफ पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान अपनी तेज गति और रडार की पकड़ में न आने की क्षमता (स्टेल्थ), कलाबाजी खाने में सक्षम ढांचे (एयरफ्रेम), बिना इंजन की पूरी ताकत इस्तेमाल किए लंबे समय तक आवाज की गति से तेज रफ्तार में उड़ने की क्षमता (सुपरक्रूज) और बेहतरीन इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम (एवियॉनिक्स) के लिए जाने जाते हैं। सीधे शब्दों में समझें तो पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान अपने कमांड, नियंत्रण और संचार क्षमताओं की वजह से उन्नत हैं, जिनमें सभी कंट्रोल्स पायलट के इशारों पर मौजूद होते हैं।
भारत में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की कैसी तैयारी?
स्टेल्थः भारत जिस एएमसीए को बनाने की तैयारी कर रहा है, वह दो इंजन वाला 25 टन का एयरक्राफ्ट होगा। इसे भारतीय वायुसेना में मौजूद बाकी लड़ाकू विमानों से थोड़ा बड़ा बनाया जाएगा। इसमें तेज गति और शांत चाल का विशेष ध्यान रखा जाना है, ताकि यह दुश्मन देशों की रडार की पकड़ में न आ पाए। डीआरडीओ की एयरोनॉटिक्स डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) भारत के पहले पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट को दुनिया के अन्य इसी वर्ग के एयरक्राफ्ट्स से बेहतर बनाने की कोशिश में है।
ईंधन और हथियारः इस लड़ाकू विमान में एक बड़ा फ्यूल टैंक लगाया जाएगा, जो कि ढांचे के अंदर ही मौजूद होगा। इसकी क्षमता 6.5 टन ईंधन रखने की होगी। इसके अलावा लड़ाकू विमान में अंदरूनी हथियारखाना भी होगा, जिसमें अधिकतर स्वदेशी स्तर पर बने हथियार और मिसाइलें रखी जा सकेंगी। इसके अलावा आधुनिक बम और बड़ी कैलिबर वाली बंदूकों को भी इस एयरक्राफ्ट में लगाया जा सकता है।
इंजनः एएमसीए के जो पहले कुछ लड़ाकू विमान- एमके-1 बनाए जाने हैं, उनमें अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिकल्स के जीई-414 इंजन लगाना तय किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जो बाइडन के बीच जो समझौता हुआ था, उसके तहत इंजन का निर्माण साझा तौर पर भारत में होना है। यह इंजन अपनी श्रेणी में सबसे ताकतवर माने जाते हैं और एक बार में 90 किलोन्यूटन (kN) तक की ऊर्जा पैदा कर सकते हैं।
एडीए ने लक्ष्य रखा है कि जब एएमसीए अपने एमके-2 मॉडल तैयार करेगा तो इसमें स्वेदशी इंजन लगाए जाएंगे, जो एक बार में 110 किलोन्यूटन की ताकत पैदा कर सकेंगे। इनका निर्माण डीआरडीओ और किसी अन्य भारतीय या विदेशी फर्म के सहयोग से होना है। बताया गया है कि भारत इसके लिए फिलहाल फ्रांस की साफरान एसए (Safran SA) से बातचीत कर रहा है। यह कंपनी दुनिया में एयरक्राफ्ट इंजन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। अपने इस कदम के जरिए भारत आने वाले समय में खुद से ही लड़ाकू विमानों के इंजन बना सकेगा।
भारत के पांचवीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट में एयरफ्लो को भी नियंत्रित किए जाने की तैयारी है। दरअसल, कई रडार इंजन में जाने वाली हवा के बहाव में बदलाव के जरिए फाइटर जेट की लोकेशन को पकड़ सकते हैं। ऐसे में भारत इस फीचर को परिष्कृत करने की तैयारी की जा रही है।
भारतीय वायुसेना के मौजूदा लड़ाकू विमानों से कितना अलग होगा AMCA?
भारत के पास इस समय जो लड़ाकू विमान उपलब्ध हैं, उनमें से अधिकतर रूस और फ्रांसीसी मूल के लड़ाकू विमान हैं। जहां भारतीय वायुसेना रूस के दूसरी-तीसरी और चौथी पीढ़ी के विमान इस्तेमाल कर रही है, वहीं फ्रांस की तरफ से हमें तीसरी, चौथी और 4.5वी पीढ़ी के लड़ाकू विमान मिले हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो भारत की तरफ से बनाया जा रहा पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान वायुसेना के सभी मौजूदा विमानों से अधिक आधुनिक होगा।
किन देशों के पास पहले से हैं 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान, कहां तैयारियां जारी?
1. अमेरिकाः मौजूदा समय में केवल तीन देशों के पास पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की उपलब्धता बताई जाती है। इनमें सबसे आगे अमेरिका है, जिसके पास लॉकहीड मार्टिन कंपनी के एफ-22 रैप्टर और एफ-35 लाइटनिंग-प्प् एयरक्राफ्ट मौजूद हैं। अमेरिका ने अपने एफ-35 को कई देशों को मुहैया कराया है। इस्राइल से लेकर ऑस्ट्रेलिया और इटली से लेकर जापान तक अमेरिका से इस लड़ाकू विमान को खरीद चुके हैं। हालांकि, अमेरिका ने अपने एफ-22 रैप्टर को किसी भी देश को बेचने पर रोक लगाई है।
2. चीनः पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की कैटेगरी में चीन अपने पास दो फाइटर जेट्स होने का दावा करता है। इनमें से एक चेंगदू का जे-20 और दूसरा चेंगदू का ही जे-35 है। हालांकि, इनकी क्षमताओं को लेकर ज्यादा जानकारियां सामने नहीं आई है। बताया जाता है कि जे-20 के हाई-स्पीड ट्रायल 2011 में शुरू कर दिए गए थे। हालांकि, इसे चीन की वायुसेना में मार्च 2017 में शामिल किया गया। वहीं, जे-35 फाइटर जेट कार्यक्रम 2007 से ही जारी है। इसे 2024 के एयरशो में दुनिया के सामने पेश किया गया। हालांकि, इसके परीक्षण अभी कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं।
3. रूसः अभी रूस के पास सिर्फ एक एसयू-57 एयरक्राफ्ट ही पांचवीं पीढ़ी का है। इसकी पहली उड़ान 2010 में दर्ज हुई थी। रूसी वायुसेना को 2020 में इस फाइटर जेट की डिलीवरी भी मिली थी। हालांकि, इसकी क्षमताओं का पूरी तरह दुनिया के सामने आना अभी बाकी है।
अमेरिका की तरफ से एफ-35 की डिलीवरी के बाद उसके कई सहयोगियों को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान मिले हैं। हालांकि, कुछ और देश अपने पांचवीं पीढ़ी के मॉडल बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इन देशों में तुर्किये, दक्षिण कोरिया, जापान, स्वीडन और भारत आदि शामिल हैं। इन सभी देशों में पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स का विकास कार्यक्रम अलग-अलग चरणों में है।
कितना अलग है भारत का 5वीं जेनरेशन के लड़ाकू विमान बनाने का कार्यक्रम?
- सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को इस प्रोजेक्ट को सीधे तौर पर नहीं दिया जाएगा।
- 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान कार्यक्रम के लिए एचएएफ के अलावा निजी कंपनियों के पास भी नीलामी में शामिल होने के अधिकार होंगे।
- इस नीलामी में सफल होने के बाद एचएएल या निजी कंपनियां किसी अन्य भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी में रहकर एएमसीए को विकसित करने पर काम करेंगी।
- डीआरडीओ ने पहले AMCA परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए 10 वर्ष की टाइमलाइन निर्धारित की गई थी। हालांकि, अब इसे घटाकर 2031 तक करने का लक्ष्य है।
- यानी 2031 तक डीआरडीओ अपने साझेदार के साथ एयरक्राफ्ट के पांच प्रोटोटाइप तैयार करेगा। इन्हें मंजूरी मिलने के बाद लड़ाकू विमानों का उत्पादन शुरू होगा।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।