
आतंक की समाप्ति कैसे Publish Date : 27/05/2025
आतंक की समाप्ति कैसे
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, यह वाक्य हर आतंकी घटना के बाद तुरंत चर्चा में आ जाता है, और यह सही भी है क्योंकि यदि हमने अधर्म को भी धर्म मानना प्रारंभ कर दिया तो धर्म को धार्मिक होने में ग्लानि का अनुभव होगा।
लेकिन आतंकवाद का कोई मजहब तो होता ही है, भारत पाकिस्तान के संदर्भ में वह मजहब पाकिस्तानी होना है। इसी प्रकार हर आतंकी घटना के पीछे का मजहब उस सोच का होना भी है कि इस संसार में मैं ही ठीक हूं, बाकी सब गलत हैं और जो गलत हैं उन्हें जीने का कोई अधिकार नहीं है। चाहे उन्हें अपनी जिद को पूरा करने के लिए जघन्य हत्याएं ही क्यों न करनी पड़ें, ईश्वर की सब मान्यताओं को नकारना पड़े तो भी अपनी जिद पूरी करेंगे ही।
यह सोच ही आतंकवाद का कारण बनती है। नही तो किसी भी कारण से कोई व्यक्ति बिना किसी शत्रुता के किसी निर्दोष की हत्या कैसे कर सकता है? इसके लिए अपने मस्तिष्क का संतुलन खोना पड़ता होगा, और इन सभी बातों से अधिक महत्वपूर्ण कारण वे लोग हैं जो अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर अपनी पूरी बुद्धि इस प्रकार की घटनाओं को स्वाभाविक और सही सिद्ध करने का कुतर्क करते हैं। इन सभी कारणों को यदि समाप्त किया जा सके तो एक दिन आतंकवाद अवश्य समाप्त होगा।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।