
आतंक से निपटने का नया मंत्र Publish Date : 25/05/2025
आतंक से निपटने का नया मंत्र
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच सामरिक संघर्ष ने अतीत की कई रेखाओं को मिटाकर भविष्य को लेकर नई रेखा खींचने का काम किया। पिछली सरकारों के उलट पाकिस्तान से निपटने की लेकर मोदी सरकार ने भारत का रवैया पूरी तरह बदल दिया। इस दौरान आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए सीमा पार कार्रवाई से भी गुरेज नहीं किया गया। नियंत्रण रेखा यानी एलओसी से लेकर अंतरराष्ट्रीय सीमा और यहां तक कि पाकिस्तानी पंजाब के भीतर तक भी हमले किए गए।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद आपरेशन सिंदूर के रूप में भारत के द्वारा की जवाबी कार्रवाई कई मायनों में बिलकुल अलग रही। परमाणु हथियारों वाले दोनों देशों के बीच कारगिल संघर्ष के बाद हुआ यह पहला सैन्य संघर्ष अपने आप में कई संदेश समेटे हुए है। इसने सामरिक परिदृश्य पर समीकरण बदलकर रख दिए।
आपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायु सेना ने पूरे पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर में फैले नौ आतंकी ठिकानों की निशाना बनाया तो पाकिस्तान ने एलओसी पर विशेषकर पुंछ में नागरिकों पर हमले किए। पाकिस्तान के इस दुस्साहस के परिणाम से तनाव इतना बढ़ा कि जवाबी कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान के बड़े शहरों में एयर डिफेंस सिस्टम को क्रियाहीन कर और उनके एयरबेस को भी निशाने पर लिया गया। इससे यही संदेश दिया कि भारत की धरती पर किसी भावी आतंकी हमले की सूरत में हमारी प्रतिक्रिया केवल एलओसी तक सीमित न होकर अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार तक भी हो सकती है। हालिया टकराव की प्रकृति देखें तो जिस पैमाने पर ड्रोन और मिसाइल का उपयोग किया गया, उससे यह साफ है कि भावी संघर्षों में इनकी भूमिका काफी अहम रहेगी।
इससे संघर्ष पारंपरिक भौगोलिक दायरे से आगे भी बढ़ेगा। पिछले करीब 50 वर्षों से दोनों देश मुख्य रूप से एलओसी के इर्द-गिर्द जम्मू कश्मीर तक ही संघर्षरत रहे हैं, लेकिन ड्रोन्स और मिसाइल के चलते टकराव उत्तर पश्चिम और पश्चिम भारत की सीमा तक भी बढ़ सकता है। इससे नाटकीय बदलाव आ सकता है, जहां एक कूटनीतिक फिसलन केवल संघर्ष विराम उल्लंघन ही नहीं, बल्कि ड्रोन हमलों का कारण बन सकती है। इस कारण जोखिम बढ़ने के साथ ही टकराव की आवृत्ति भी बढ़ सकती है। संघर्ष विराम के बाद भी छिटपुट रूप से यह देखा जा रहा है।
सामान्य परिस्थिति में सटीक हवाई हमले जैसी सैन्य क्षमता का भलीभांति आंकलन नहीं हो पाता है और यह बात भारत समेत सभी देशों पर भी लागू होती है। हालिया सैन्य संघर्ष के दौरान भारत ने अपनी सामरिक क्षमताओं का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है। भारत ने पुख्ता खुफिया जानकारी के आधार पर सटीक और प्रभावी हमले किए। फिर वह चाहे लाहौर के एयर डिफेंस सिस्टम को क्रियाहीन करना हो या पाकिस्तान में करीब नौ सैनिक ठिकानों को निशाना बनाना रहा हो। भारत ने अपने लक्ष्यों की अपेक्षित रूप से हासिल किया। पाकिस्तान पर ऐसी सामरिक बढ़त का भारत की विदेश नीति पर भी स्पष्ट रूप से प्रभाव पड़ेगा।
इस प्रदर्शन से अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान जैसे सामरिक साझेदारों का भारत की क्षमताओं में विश्वास और अधिक बढ़ेगा। वे नई दिल्ली पर अपना दांव और बढ़ाते दिखेंगे। अपनी इन मारक क्षमताओं से चीन के विरुद्ध भी भारत को निवारक शक्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी, भले ही उसका दायरा सीमित हो। पाकिस्तान प्रायोजित आतंक ने लंबे समय तक भारत के धैर्य की प्रतीक्षा ली, लेकिन मोदी सरकार ने पाकिस्तान से निपटने में भारतीय रणननीति ही पूरी तरह बदल दी। उड़ी हमले के बाद भारत ने तय कर लिया कि पाकिस्तान की प्रत्येक आतंकी करतूत का अब कड़ा जवाब दिया जाएगा।
हर जवाबी कार्रवाई पूर्व की तुलना में कहीं बड़ी होगी। पाकिस्तान से निपटने में अब यही रास्ता होगा। इस रणनीति के मूल में यही है कि आतंक एवं आतंकियों को पालने पोसने वाली पाकिस्तानी सेना की भी इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। हालांकि हालिया झड़पों और पाकिस्तानी सेना की जवाबी कार्रवाई से यह संकेत भी मिले कि यह रणनीति अपेक्षाकृत जोखिम भरी है। क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य के दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह एक जोखिम भरा घटनाक्रम है। जवाबी हमले की भारत की संकल्पशक्ति एवं उसे लेकर पाकिस्तानी को भी यह लगता है कि भविष्य में ऐसे टकराव कारण जान माल की क्षति और बढ़ेगी।
अब बात यह रही कि हालिया टकराव में भारत सक्षम एयर डिफेंस प्रणाली द्वारा पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को निष्प्रभावी करने के बाद देश में बड़ी मानवीय क्षति नहीं हुई। भारत ने भी पाकिस्तान में पहले केवल आतंकी ठिकानों और बाद में उसके सैन्य ठिकानों को ही निशाना बनाया। अब भविष्य में शायद यह स्थिति न दिखे। आतंकी हमले जवाब में भारतीय कार्रवाई और पाकिस्तान द्वारा उसकी प्रतिक्रिया खतरनाक रूप ले सकती है।
हाल के सैन्य टकराव के दौरान भारत ने नम संकल्प लेकर एक नए सिद्धांत को मान्यता और वह यह कि भविष्य में किसी भी आतंक हमले को भारत के विरुद्ध युद्ध की घोषणा रूप में लिया जाएगा। व्यवहार में इसका प्रभाव यह होगा कि कोई आतंकी हमला होने पर भारत को पाकिस्तान के विरुद्ध तत्काल सैन्य कार्यवाई करनी होगी। ऐसी नीति के सार्वजनिक होने सरकार के हाथ कुछ बंध जाते हैं, लेकिन उनको आधिकारिक न बनाने से उसमें कुछ गुंजाइश जाती है। यह उल्लेखनीय है कि अब प्रधानमंत्री मोदी ने इस नीति पर चलने की खुली घोषणा भी कर दी है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।