
हमे राष्ट्र की और राष्ट्र को हमारी आवश्यकता Publish Date : 01/05/2025
हमे राष्ट्र की और राष्ट्र को हमारी आवश्यकता
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
बिना किसी राष्ट्र के मनुष्य का जीवन बेरग अर्थात कबीलों वाला जीवन होगा, इसका अर्थ यह है कि हमारे जीवन को एक विशेष जीवन शैली देने वाली संस्था राष्ट्र है। इस विशाल धरती पर हमारी एक पहचान सुनिश्चित करता हुआ राष्ट्र हमे एक छाया देता है और कठिन से कठिन समय में हमारे लिए आशावान बनता है। जब यह राष्ट्र स्वयं किसी प्रकार के संकट में हो तब इसे हल्के में लेना ठीक नहीं, क्योंकि यह संकट प्रत्यक्ष रूप से हम पर ही आने वाला है।
राष्ट्र ऐसे समय में हमसे आशा करता है कि हम उस संकट को टालने के लिए सामूहिक प्रयास करें और निराशा के क्षणों को आशा में बदलेंगे। बार-बार पाकिस्तान की तरफ से हुए पूर्व के आक्रमणों की चर्चा और उस समय की हमारे तरफ से की जाने वाली कार्यवाईयों की चर्चा होती रही है और आज क्या हो रहा है? जैसे प्रश्न सामान्य चर्चाओं में घूम रहे हैं।
लेकिन हमे ध्यान रखना होगा आज की परिस्थिति उन सभी परिस्थितियों से भिन्न है, आज हमारे पास सशक्त और दूरदर्शी नेतृत्व है और विश्व की सबसे मजबूत सेनाओं में से एक सेना भी है।
इसलिए इस बार का उत्तर पहले के सभी उत्तरों से अलग और अधिक कठोर होगा। इसका विश्वास रखना हमारी तरफ से राष्ट्र को आश्वासन होना चाहिए।
वैश्विक परिस्थितियां और भारत को देखने का वैश्विक दृष्टिकोण भी अब बदल गया है, यह बात भारत की शक्ति को कई गुना बढ़ाती है। हो सकता है यह हमारा पाकिस्तान पोषित इस्लामी आतंकवाद पर अंतिम प्रहार ही हो। आज राष्ट्र को हमारी अधिक आवश्यकता है इसलिए हमें भी अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार होना होगा और वह भूमिका भी हमें स्वयं ही चयन करनी होगी।
सकारात्मकता से ओतप्रोत ऊर्जावान समाज अपने राष्ट्र पर आने वाले सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संकटों को टालने की सामर्थ्य रखता है, इसलिए संपूर्ण समाज में सकारात्मक वातावरण बनाए रखना भी अपनी एक प्रमुख भूमिका हो सकती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।