खाद्य पदार्थों में मिलावट का पता लगाने के तरीके      Publish Date : 30/04/2025

      खाद्य पदार्थों में मिलावट का पता लगाने के तरीके

                                                                                                       प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थों में अलग-अलग प्रकार के मिलावटी पदार्थ मिलाये जाते हैं, जिन्हें अलग-अलग विधियों के द्वारा पहचाना जाता है। कुछ माहत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों मिलावट का पता लगाने के तरीके इस लेख में नीचे दिये जा रहे हैं।

दूध में मिलावट का पता लगाना

दूध एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन किसी न किसी रूप में प्रयोग करता ही है, चाहे वह सीधे-सीधे पीने के रूप में हो या फिर चाय व कॉफी आदि के रूप में। पिछले कुछ वर्षों में दूध में तरह-तरह की मिलावट अखबारों तथा टीवी के जरिये प्रकाश में आयी हैं। दूध में मिलाये जाने वाले प्रमुख मिलावटी पदार्थों में न्यूटिलाइजर्स, जैसे हाइड्रोजन परऑक्साइड, फॉर्मलीन, शुगर, स्टार्च, ग्लूकोज, यूरिया, अमोनियम सल्फेट, नमक, साबुन, वनस्पति घी, स्किम्ड मिल्क पाउडर, सेलीसिलिक एसिड और बोरिक एसिड आदि शामिल हैं। इनकी मिलावट का पता लगाने के लिए निम्नलिखित विधियां प्रयोग में लाई जा सकती हैं।

न्युट्रिलाइजर्स की मिलावटः एक टेस्ट ट्यूब में 5 मिली. दूध में, उसमें 5 मिली. एल्कोहल मिलायें तथा इसके बाद 4-5 बूंदें रोजेलिक एसिड की हालें। यदि दूध का रंग गुलाबी-लाल हो जाता है तो समझिये कि दूध में सोडियम कार्बाेनेट या बाइकार्बोनेट डाला हुआ है। यह दूध पीने योग्य नहीं है। कुछ चालाक मिलावट खोर लोग इस मिलावट को छिपाने के उद्देश्य से दूध की पी.एच. कम करने के लिए हल्की सी एसिडिटी उत्पन्न कर देते हैं, जिससे यह टेस्ट निगेटिव आता है। इस चालाकी का पता लगाने के लिए एक सिलिका कुसिबिल में 20 मिली. दूध ले तथा गर्म करके इसका पानी उड़ा कर इसे सुखा लें तथा मफल फरनेस में इसे गर्म करके राख बना लें। इस राख को 10 मिली. डिस्टिल्ड वाटर में मिलाकर छ/10 नार्मलता वाले हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से टाइट्रेट करें। यदि टाइट्रेशन की वैल्यू 1.2 मिली. से अधिक आती है तो समझिये कि दूध में ऊपर बताये गये न्यूट्रिलाइजर्स मिलाये गये हैं।

हाइड्रोजन परऑक्साइड की मिलावटः एक टेस्ट ट्यूब में 5 मिली. दूध लें तथा इसमें 5 बूंद पैराफिनाइल डाइएमीन मिलाकर हिलाएं। यदि दूध का रंग नीला हो जाता है तो समझिये कि दूय में हाइड्रोजन परऑक्साइड मिलाया गया है।

फार्मलीन की मिलावटः फार्मलीन एक जहर है जिसे दूध को खराब होने से बचाने के लिए कुछ लोग इस्तेमाल करते हैं। इसका पता लगाने के लिए एक टेस्ट ट्यूब में 10 मिली. दूध में तथा टेस्ट ट्यूब को बिना हिलाए इसकी दीवार के किनारे से 5 मिली. सांद्र सत्ययुरिक एसिड डालें। यदि सल्फ्यूरिक अम्ल तथा दूध की परतों के बीच में वायलेट वा नीले रंग की रिंग बनती है तो दूध में फार्मलीन की मिलावट की पुष्टि होती है।

शुगर की मिलावटः प्रायः दूध में सॉलिड नॉट फैट की मात्रा बढ़ाने के लिए शुगर की मिलावट की जाती है। इससे पानी मिलाने के बाद भी लैक्टोमीटर की रीडिंग सही आती है। शुगर का पता लगाने के लिए एक टेस्ट ट्यूब में 10 मिली. दूध लें तथा 0.1 ग्राम रिसॉरसिनोल के साथ 5 मिली. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालें। दूध का रंग लाल होने पर शुगर की मिलावट की पुष्टि होती है।

स्टार्च की मिलावटः शुगर की तरह स्टार्च की मिलावट भी सॉलिड नॉट फैट मात्रा बढ़ाने के लिए की जाती है। इसका पता लगाने के लिए एक टेस्ट ट्यूब में 3 मिली. दूध लें तथा इसे अच्छी तरह उबालें और उसके बाद दूध को सामान्य तापक्रम तक ठंडा कर लें। अब इसमें 1ः आयोडीन घोल की 2-3 बूंद डालें। दूध का रंग नीला होना इस बात का संकेत है कि इसमें स्टार्च मिला हुआ है।

यूरिया की मिलावटः अन्य हानिकारक पदार्थों से सिंथेटिक दूध बनाने में यूरिया का इस्तेमाल सॉलिड नॉट फैट मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है। दूध में यूरिया की मिलावट का पता लगाने के लिए कांच के किसी पात्र में 16 प्रतिशत के पैराडाइमिथाइल एमीनो बैजल्डिहाइड की 5 मिली. मात्रा को 5 मिली. दूध के साथ अच्छी तरह मिलाएं। यदि घोल का रंग पीला हो जाता है तो दूध में यूरिया उपस्थित है। यूरिया की पुष्टि के लिए एक अन्य टेस्ट भी किया जा सकता है। इसके लिए एक टेस्ट ट्यूब में 5 मिली. दूध लें तथा इसमें 0.2 मिली. यूरिएज (20 मिग्रा मिली.) मिलाएं। अब इसे अच्छी तरह हिलाकर इसमें 0.1 मिली. ब्रोमोथाइमोल ब्लू का 0.5% का घोल डालें। 10-15 मिनट के बाद दूध का रंग नीला होना यूरिया की मिलावट की पुष्टि करता है।

अमोनियम सल्फेट की मिलावटः अमोनियम सल्फेट की मिलावट भी लैक्टोमीटर की रीडिंग बढ़ाने के लिए की जाती है। इसका पता लगाने के लिए एक टेस्ट ट्यूब में 5 मिली. गर्म दूध लें तथा सिट्रिक एसिड डालकर इसे फाड़ लें और फटे दूध को फिल्टर कर लें। छाने हुए हिस्से को एक अन्य टेस्ट ट्यूब में डालकर 5 प्रतिशत का बेरियम क्लोराइड घोल 0.5 मिली. मात्रा में डालें। यदि यह गंदला हो जाता है तो दूध में अमोनियम सल्फेट की मिलावट है।

साबुन की मिलावटः दूध में साबुन की मिलावट का पता लगाने के लिए एक टेस्ट ट्यूब में 10 मिली. दूध लेकर इसमें समान मात्रा में गर्म पानी मिलाकर पतला कर लें। अब इसमें 1-2 बूंद फिनोफ्थलीन इंडिकेटर की डालें। यदि दूध का रंग गुलाबी हो जाता है तो दूध में साबुन की मिलावट समझें।

डिटर्जेंट्स की मिलावटः दूध में डिटर्जेंट्स की मिलावट का पता लगाने के लिए एक टेस्ट ट्यूब में 5 मिली. दूध लें तथा इसमें 0.1 मिली. ब्रोमोक्रिसोल-परपल घोल डालें। यदि दूध में डिटर्जेंट्स की मिलावट है तो गाढ़ा वॉयलेट रंग दिखाई देगा जबकि शुद्ध दूध होने पर यह रंग बहुत हल्का होगा।

बनस्पति वसा की मिलावटः वनस्पति वसा लोंग चेन फेटी एसिड्स द्वारा बनी होती है जबकि दूध शॉर्ट चेन फेटी एसिड्स से बना होता है। इस तथ्य के आधार पर गैस क्रोमेटोग्राफ द्वारा दूध में लोंग चेन फैटी एसिड्स की उपस्थिति का पता लगाकर दूध में वनस्पति वसा की मिलावट का पता लगाया जा सकता है।

बेंजोइक तया सेलीसिलिक अम्लों की मिलावटः दूध में इन एसिड्स की मिलावट का पता लगाने के लिए एक टेस्ट ट्यूब में 5 मिली. दूध लेकर उसे सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा अम्लीय बना लेते हैं। अब इसमें बूंद-बूंद करके 0.5 प्रतिशत सांद्रता का फेरिक क्लोराइड घोल डालते हैं तथा अच्छी तरह मिला लेते हैं। यदि दूध में बफ रंग उत्पन्न हो जाता है तो बेजोइक एसिड की मिलावट तथा बॉयलेट रंग उत्पन्न होने पर सेलीसिलिक एसिड की मिलावट समझें।

बोरेक्स तथा बोरिक एसिड की मिलावट

दूध में इन अम्लों की मिलावट का पता लगाने के लिए एक टेस्ट ट्यूब में 5 मिली. लें तथा इसमें 1 मिली. सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालकर अच्छी तरह मिलाएं। अब एक टरमेरिक-पेपर का एक सिरा इसमें भिगोकर एक वाच ग्लास पर 100°ब् ताप पर या बर्नर की फ्लेम पर सुखाएं। यदि टरमेरिक-पेपर का रंग लाल हो जाता है, तो दूध में बोरेक्स या बोरिक एसिड की मिलावट का संकेत समझें। टेस्ट को और अधिक सुनिश्चित करने के लिए टरमेरिक पेपर पर अमोनिया घोल की एक बूंद डालें यदि लाल पड़ा हुआ टरमेरिक पेपर हरे रंग में परिवर्तित हो जाता है तो बोरिक एसिड या बोरेक्स की उपस्थिति निश्चित माने। पनीर में उपरोक्त पदार्थों की मिलावट को भी इन्हीं टेस्टों द्वारा पता किया जा सकता है। इसके लिए पनीर को डिस्टिल्ड वाटर में घोल कर अच्छी तरह पेस्ट बनाकर घोल बना लें तथा दूध के स्थान पर प्रयोग करें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।