अहम से वयम      Publish Date : 15/04/2025

                       अहम से वयम

                                                                                                      पोफेसर आर. एस. सेंगर

माधव नेत्रालय के नए भवन का शिलान्यास करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा संघ में हमे अहम से वयम का मंत्र मिलता है। जब कोई भी जीव इस संसार में आता है तब प्रत्यक्ष केवल वह अकेला ही दिखाई देता है, लेकिन जैसे ही उसका विकास होता है और वह अपने अंदर ही झांक कर देखता है तब उसे स्वतः ध्यान में आने लगता है कि मैं अकेला नहीं हूं, जहां अपना शरीर अनेकों कोशिकाओं से मिलकर बना है वहीं हमारी बुद्धि विचारों के प्रवाह से बनी है। हम केवल बाहरी दिखावे पर विचार न करें, बल्कि अपनी जीवन शैली के भीतर गहराई से देखें और हम पाते हैं कि अकेले तो इस शरीर का भी अस्तित्व नहीं अतः हमारे चिंतन में सदैव अहम नहीं वयम होना ही चाहिए।

                                      

हम बड़े पैमाने पर समाज के साथ एकीकृत हैं, इसमें परस्पर विश्वास और सहानुभूति के आधार पर स्नेह, सम्मान और सहयोग शामिल है । आइए हम इस जीवन शैली को अपनाएं और एक ऐसा समाज बनाएं जो आने वाले युगों तक राष्ट्र की समृद्धि सुनिश्चित करे । हम निश्चित रूप से ऐसे सुंदर परिदृश्य की कल्पना कर सकते हैं । यही जीवन शैली भारत का मूल आधार है इसीलिए बाहरी आकर्षण और कल्पनाएँ हम पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकेंगी । जब हम अपने जीवन में इस परम सत्य को अपनाने का निर्णय करें तो हमारा यह कर्तव्य है कि हम उस ओर दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ें । हमारे सिद्धांत और उपलब्धियाँ अब हमारे आस-पास घटित होने वाली केवल सतही बातों पर निर्भर नहीं रहेंगी । वे इस बात से तय होंगी कि हम अपने विचारों को अपने दैनिक कार्यों में किस प्रकार व्यक्त करते हैं।

मनुष्य को सफलता पर तभी संदेह होता है, जब आवश्यक सद्गुण और आत्मविश्वास का अभाव होता है और परिणामस्वरूप विरोधाभासी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं । ऐसी परिस्थितियों में हमारे आस-पास के वातावरण के कारण अनिश्चितता की भावना पैदा होती है। यह मार्ग बहुत कठिन नहीं है केवल इस पर चलना प्रारंभ करते समय अधिक सतर्कता और निष्ठा की आवश्यकता होती है,एक बार इस मार्ग पर यात्रा प्रारंभ होने के बाद सरलता का अनुभव होता है जैसे साइकिल चलना प्रारंभ करते समय गिरने का डर रहता है लेकिन एक बार चल जाय तो आसान लगता है।

एक पेड़  तने, जड़, पत्ते, फूल आदि से बना होता है, इनमें से हर एक का अपना अलग रूप, रंग और आकार होता है । बाहरी तौर पर देखा जाए तो कोई इन्हें एक-दूसरे से अलग और असंबंधित मान सकता है । लेकिन ये सभी एक ही पेड़ की अभिव्यक्तियाँ हैं । इसके फल पत्ती और तने में एक जैसा स्वाद होता है, क्योंकि इन सभी में बहने वाला जीवन प्रवाह एक ही है, जो उन्हें जीवित, एक साथ और स्वस्थ रखता है । यही बात हमारे समाज पर भी लागू होती है । यह विविधता में एकता का जीवंत उदाहरण है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।