ग्लोबल वार्मिंग के चलते वर्ष 2030 तक 30 प्रतिशत कृषि कर्ज डूबने का खतरा      Publish Date : 18/03/2025

ग्लोबल वार्मिंग के चलते वर्ष 2030 तक 30 प्रतिशत कृषि कर्ज डूबने का खतरा

                                                                                                                प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

बीसीजी की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन की घटनाओं के चलते प्रति व्यक्ति आय में आएगी बड़ी गिरावट।

निरंतर बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों के चलते आगामी 5 वर्षों अर्थात वर्ष 2030 तक कृषि एवं आवासीय कर्ज के 30 प्रतिशत हिस्से के डूब जाने का जोखिम मंडरा रहा है। बीसीजी की एक विश्लेषण रिपोर्ट में यह आशंका प्रकट की गई है कि औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुका है। इसके चलते तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आ हरी है तो कृषि का उत्पादन भी कम हो रहा है। इसीके चलते इन चरम मौसमी घटनाओं से प्रभावित लोगों की प्रति व्यक्ति आया में भी गिरावट दर्ज की जा रही है। 

बीसीजी की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का लगभग आधा कर्ज, प्रकृति और उसके पारिस्थितिकी तंत्र पर काफी हद तक निर्भर होते हैं। इस कारण कोई भी प्राकृतिक आपदा लोगों के मुनाफे को प्रभावित करती है। एक अनुमान के अनुसार भारत के 42 प्रतिशत जिलों के तापमान में दो डिग्री सेल्सियस तक की वृद्वि हो सकती है।

आगामी पंाच वर्षों में तापकान में होने वाली वृद्वि से देश के 321 जिले प्रभावित हो सकते हैं, जिससे लोगों की आय पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका से भी इंकार नही किया जा सकता है। 

नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए भारत को 200 अरब डॉलर तक का निवेश इस क्षेत्र में करना होगा

बीसीजी के प्रबन्ध-निदेशक एवं एशिया क्षेत्र के भागीदार प्रशांर्त अिभनव बंसल ने कहा है कि भारत कोयले एवं कच्चे तेल से दूर हटकर नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्व है। हालांकि भारत को यह बदलाव करने के लिए वार्षिक 150-200 इरब डॉलर का निवेश करना होगा। इसके विपरीत, भारत में जलवायु वित 40-60 अरब डॉलर के बीच ही है, जिसके चलते 100 से 150 अरब डॉलर का अंतर पैदा हो रहा है।

बंसल ने कहा, यह परिवर्तन अवसरों का परिदृश्य तैयार करेगा। हालांकि भारत लक्ष्य से अभी बहुत दूर है और इस लक्ष्य को 2030-40 तक प्राप्त करने की सम्भावना है, जिसकी शुरूआत अब होने वाली है।

अग्रणी इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाएगे। बैंकिंग सन्दर्भ के दृष्टिकोण से इस क्षेत्र में हम एक बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

बैंकों के लिए 150 अरब डॉलर का बड़ा अवसर

जारी की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु के बढ़ते हुए जोखिम वैश्विक अर्थव्यवस्था को पहले से ही प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में सामुहिक कार्यवाई की व्यवसायिक आवश्यकता स्पष्ट दिखाई दे रही है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन बैंकों को देश में ऊर्जा परिवर्तन की आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु वार्षिक 150 डॉलर का एक सुनहरा अवसर भी प्रदान कर रहा है, क्योंकि वर्ष 2070 तक शुद्व शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक फंडिंग बहुत कम है।  

जोखिम से बचने के लिए आवश्यक है जागरूकता बढ़ाना

जलवायु परिवर्तन के भौतिक जोखिम व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसका प्रभाव उनके राजस्व पर भी पड़ रहा है। बीसीजी के प्रबन्ध-निदेशक एवं वरिष्ठ साझेदारी वैश्विक लीडर (जोखिम एवं अनुपालन प्रैक्टिस) मैटेओ कोपोला ने बताया कि इस प्रभाव से निपटने के लिए बैंकों को इस मुद्दे के प्रति जागरूकता को बढ़ाने और अपने ग्राहकों को हरित प्रौद्योगिकी अपनाने की सलाह देने के लिए व्यवस्थित रूप से प्रभावी कार्य करने की आवश्यकता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।