
कर्तव्य एवं दायित्व बोध से मिलती है ऊर्जा Publish Date : 16/03/2025
कर्तव्य एवं दायित्व बोध से मिलती है ऊर्जा
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
उन्नत समाज निर्माण के लिए नागरिकों में कर्तव्य बोध और दायित्व बोध का होना बहुत जरूरी होता है, यानी नागरिकों में कर्तव्य की चेतना का जागरण और दायित्व की चेतना का जागरण होना बहुत जरूरी होता है। आखिर दंड और यंत्रणा से कब तक काम चल सकेगा, क्या पूरे जीवन काल तक आदमी नियंत्रण में रहेगा।
यह सच्चाई है कि भारतीय समाज सदा रोग ग्रस्त रहा है और वह कभी स्वस्थ नहीं हो सकता। इसकी सबसे बड़ी बीमारी है वहम जब वहम होता है तब समझ में दायित्व और कर्तव्य की चेतना नहीं जागती। जिस समाज में कर्तव्य और दायित्व की चेतना जाग जाती है उसे डरने की जरूरत नहीं होती है।
आदर्श समाज व्यवस्था में चरित्र निर्माण का दायित्व प्रत्येक व्यक्ति से जुड़ा हुआ होता है। आज के साहित्य का एक शब्द है भोगा हुआ यथार्थ हमें केवल कल्पना में नहीं जीना चाहिए। कल्पना तब तक अर्थवान नहीं हो सकती जब तक कि भोगे हुए यथार्थ पर हम नहीं चल पाएं। हमारा जीवन यथार्थ एवं कर्तव्य परायण होना चाहिए। कर्तव्य प्रहर्ता की पहली शर्त है निष्ठा है और जागरूकता।
जिस व्यक्ति की कर्तव्य पालन में निष्ठा है वह प्रसाद अन्याय और मुफ्त खोरी जैसा कोई काम नहीं कर सकता। कर्तव्य भावना की कमी का कारण राष्ट्रीय प्रेम की न्यूनता भी है।
अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम होगा तो प्रमाण जैसी स्थिति को पनपने का अवसर ही नहीं मिलेगा। जीवन में बहुत कुछ बेहतरीन होना बाकी है, कई खूबसूरत क्षण रास्ते में हमारी प्रतीक्षा में है और हमारी कई उम्मीदों को अभी उड़ान भरना बाकी है। कई हैरतों से मुलाकात अभी होनी है तो कई सुख बाहें फैला कर खड़े हैं।
परन्तु इसमें समस्या यह है कि हम कर्तव्य बोध और दायित्व बोध को भूलकर बेध्यानी में जिए जा रहे हैं। दुनिया हमारी और मुंह करके खड़ी है और हम कहीं और ही उदास बने खड़े हुए हैं। अपने भरेसों को मजबूत बनाएं दुनिया में अभी बहुत कुछ आपके लिए है, इसलिए अपने कर्तव्य और दायित्व बोध को समझें और उसके लिए लगातार कार्य करते रहें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।