
मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं तो अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का साहस करें Publish Date : 08/10/2024
मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं तो अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का साहस करें
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
अपने पूरे जीवन काल में मनुष्य पीड़ा को लेकर शिकायत ही व्यक्त करता रहता है। पीड़ा को भी मुख्य रूप से दो श्रेणियां में विभाजित किया जा सकता है। जिनमें पहली होगी शारीरिक पीड़ा और दूसरी मानसिक पीड़ा। इसमें मानसिक पीड़ा की प्रकृति अदृश्य एवं गूढ़ होती है, जबकि यह शरीर में किसी स्पष्ट घाव या चोट से की तरह से दिखाई देने लगती है, जिसके चलते इसका उपचार या इसे समझना काफी कठिन हो जाता है।
जब व्यक्ति मानसिक रूप से पीड़ित होता है तो उसके भीतर तनाव, चिंता और अवसाद जैसे भाव उत्पन्न होते हैं। यह भावना न केवल व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित करती है बल्कि उसका आत्मसम्मान, जीवन दृष्टि और उद्देश्य को भी कमजोर कर देती है। मानसिक पीड़ा का गहन भावनात्मक प्रभाव, उसे अत्यंत कष्टप्रद बनता है।
इसके विपरीत शारीरिक पीड़ा का अनुभव स्पष्ट और प्रत्यक्ष होता है। शारीरिक चोट या बीमारी का एक निश्चित कारण होता है और उसका उपचार भी संभव होता है, किंतु मन की पीड़ा की तो बात ही अलग होती है। इसके सन्दर्भ में साइरस ने कहा है कि मानसिक पीड़ा, शारीरिक पीड़ा की अपेक्षा अधिक कष्टप्रद होती है।
यदि हम इस कथन की पड़ताल करें तो हम देखते हैं कि मानसिक पीड़ा, शारीरिक पीड़ा की अपेक्षा अधिक कष्टप्रद इसलिए होती है क्योंकि इसका रूप पूरी तरह से अदृश्य, गहरा और जटिल होता है और इसे सहने के लिए व्यक्ति को अपने आंतरिक संघर्ष से गुजरना पड़ता है जो कि वास्तव में बहुत कठिन होता है। मानसिक पीड़ा के साथ एक समस्या यह भी होती है कि इसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं होता है। जिसे वह व्यक्ति किसी और से व्यक्त करने में भी असहजता का अनुभव करता है।
हमारे समाज में भी मानसिक पीड़ा से प्रभावित व्यक्ति को अपने दुख को सहने के लिए अकेले ही छोड़ दिया जाता है। यह अकेलापन मानसिक पीड़ा को और अधिक गंभीर बना देता है। मानसिक पीड़ा का निवारण करने के लिए अत्यंत आवश्यक है कि व्यक्ति अपनी भावनाओं को समझें और उन्हें व्यक्त करने का साहस भी करें। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो फिर मानसिक पीड़ा के घाव रह रहकर रिश्ते रहेंगे और जीवन में कष्टों की अनुभूति करेंगे, जिससे आप शारीरिक रूप से भी शिथिल हो सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।