
डॉ. पुरुषोत्तम ने रोम में आयोजित “एफएओ ग्लोबल एग्रीफूड बायोटेक्नोलॉजी कॉन्फ्रेंस”में भाग लिया Publish Date : 20/06/2025
डॉ. पुरुषोत्तम ने रोम में आयोजित “एफएओ ग्लोबल एग्रीफूड बायोटेक्नोलॉजी कॉन्फ्रेंस” में भाग लिया
जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ. पुरुषोत्तम ने 16 से 18 जून 2025 तक इटली के रोम स्थित एफएओ मुख्यालय में आयोजित “एफएओ ग्लोबल एग्रीफूड बायोटेक्नोलॉजी कॉन्फ्रेंस”में भाग लिया। यह वैश्विक सम्मेलन FAO-80 समारोहों के तहत आयोजित किया गया, जिसमें विश्व के प्रमुख वैज्ञानिक, नीति निर्माता, कृषि मंत्री, किसान संगठनों के प्रतिनिधि और संस्थागत साझेदार शामिल हुए। इस सम्मेलन का मुख्य विषय था – “सतत भविष्य के लिए बायोटेक्नोलॉजी: एग्रीफूड सिस्टम्स रूपांतरण को गति देना”। तीन दिवसीय कार्यक्रम में पैनल चर्चाएं, गोलमेज संवाद और अनेक इंटरएक्टिव सत्रों का आयोजन किया गया।
डॉ. पुरुषोत्तम ने तकनीकी सत्रों में हिस्सा लेते हुए जैव प्रौद्योगिकी के नवीनतम अनुसंधान, नवाचार और उनके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी किस प्रकार वैश्विक खाद्य सुरक्षा, जलवायु लचीलापन और टिकाऊ कृषि प्रणालियों को सुनिश्चित कर सकती है। यह भी बताया कि विश्वविद्यालय और एफएओ मिलकर अब विश्व से भूख मिटाने हेतु एक संयुक्त रणनीति पर कार्य विचार कर रहे हैं। यह साझेदारी वैज्ञानिक नवाचारों और किसानों की भागीदारी के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (Agenda 2030) को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन में विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. राजीव वर्श्नेय, वर्ल्ड फार्मर्स फोरम के प्रतिनिधि, और अनेक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भाग लिया। सम्मेलन में प्रमुख रूप से एफएओ के महानिदेशक क्व डोंगयू (Qu Dongyu), CATAS (चीन) के डॉ. सनवेन हुआंग (Sanwen Huang), नीदरलैंड की प्रसिद्ध प्रोफेसर लुईस फ़्रेस्को (Prof. Louise Fresco), एफएओ की वरिष्ठ अधिकारी बेथ क्रॉफर्ड (Beth Crawford), अमेरिका से क्लॉडिया विकर्स (Claudia Vickers) और जस्टिन गर्के (Justin Gerke) जैसे अनेक विश्वस्तरीय वैज्ञानिकों और नीति विशेषज्ञों की सक्रिय भागीदारी रही।
सम्मेलन में भारत की इटली में राजदूत सुश्री वाणी राव (Ms. Vani Rao), कृषि मंत्री डॉ. जे. बालाजी (कृषि मंत्री) ने डॉ. पुरुषोत्तम की उपस्थिति और उनके दृष्टिकोण की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसे वैज्ञानिकों की सक्रिय भागीदारी से वैश्विक स्तर पर कृषि नीति और नवाचार को नई दिशा मिलती है।