
उद्यमिता विकास हेतु मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण संपन्न Publish Date : 08/05/2025
उद्यमिता विकास हेतु मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण संपन्न
- शिक्षा एक पावर है शरीर नहीं कुलपति मेजर जनरल दीप अहलावत
- कृषि में रोजगार की असीम संभावनाएं कुलपति प्रोफेसर के. के. सिंह
सेना के जवानों के लिए आयोजित प्रशिक्षण को पाकिस्तान और भारत के युद्ध को देखते हुए सैनिकों की छुट्टियां निरस्त होने के कारण समय पूर्व ही संपन्न कर दिया गया।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में सैनिकों के लिए रीसेटलमेंट कोर्स के अंतर्गत खाद और औषधि मशरूम उत्पादन तकनीकी विषय पर 19 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा था। इस कार्यक्रम का समापन आज कर दिया गया, क्योंकि सैनिकों की छुट्टियां कैंसिल होने के कारण उनको अपने हेड क्वार्टर पर रिपोर्ट करना था।
इसलिए मशरूम पर आयोजित प्रशिक्षण को कुछ दिन पहले ही संपन्न करा दिया गया, जिससे कि प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी सैनिक अपने हेड क्वार्टर पर जाकर अपनी रिपोर्टिंग कर सकें।
समापन समारोह का आयोजन कुलपति सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर के. के. सिंह ने कहा कृषि में व्यापार की अपार संभावनाएं हैं। कृषि अब केवल पेट भरने का माध्यम ही नहीं है, इसके अलावा इसमें रोजगार की भी असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि आज कृषि क्षेत्र में 2,800 स्टार्टअप में कार्य कर रहे हैं, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कृषि क्षेत्र की उपयोगिता लगातार बढ़ती जा रही है।
उन्होंने कहा कि कृषि विविधीकरण को अपनाकर सैनिक जब रिटायरमेंट प्राप्त कर लेंगे तो उसके उपरांत वह यदि खेती में आते हैं तो अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा गोट फार्मिंग, वर्मी कंपोस्ट, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, डेरी फार्मिंग, कुक्कुट पालन और मत्स्य पालन आदि के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं विद्यमान हैं, इसलिए इस क्षेत्र में कार्य किया जा सकता है। कुलपति ने कहा कि मशरूम उत्पादन कम लागत में अधिक आय देने वाला व्यवसाय है, इसलिए इस व्यवसाय को प्रारंभ कर इसका लाभ उठाया जा सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय के कुलपति दीप अहलावत ने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि 44 साल की सेवा के बाद सैनिक अपनी सेवा से सेवा निवृत हो जाते हैं, इसलिए उनके पास कई क्षेत्रों में कार्य करने के लिए समय होता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की ट्रेनिंग करने के बाद वह स्टार्टअप और अन्य लाभकारी खेती को प्रारंभ कर सकते हैं। सैनिक अपनी नॉलेज को अपस्किल प्रयोग करके और आगे बढ़ सकते हैं।
उन्होंने कहा कृषि विश्वविद्यालय का वर्क कल्चर बहुत अच्छा है, इसलिए ऐसे संस्थान से ट्रेनिंग लेने के उपरांत वह आसानी से कृषि को व्यवसाय के रूप में अपनाते हुए आगे बढ़ सकते हैं।
उन्होंने कहा देश सेवा करते हुए आपने एक अच्छी डिसिप्लिन लाइफ व्यतीत की है। सेवानिवृत्ति के बाद गांव में जाकर आप अपने-अपने गांव में अपनी नॉलेज को किसानों तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि आजकल टेक्नोलॉजी का दौर चल है इसलिए आपको टेक्नोलॉजी के साथ साथ आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा शिक्षा ही पावर है, शरीर नहीं इसलिए शिक्षा लेने के बाद उसका सदुपयोग किया जाना चाहिए।
इस प्रशिक्षण के कोर्स डायरेक्टर डॉ गोपाल सिंह ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा की प्रशिक्षण में मशरूम के लिए कंपोस्ट तैयार करना, बीज उत्पादन, पैकेजिंग, मार्केटिंग तथा व्यवसाय शुरू करने के लिए कहां से फंडिंग प्राप्त की जा सकती है आदि के बारे में सैनिकों को पूर्ण जानकारी दी गई है।
उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण में 30 सैनिकों ने भाग लिया, जिसमें 29 वायु सेवा के तथा एक थल सेना से संबंधित थे। यह प्रशिक्षण 21 अप्रैल से प्रारंभ हुआ था जो आज संपन्न हो गया। इस कार्यक्रम में स्वागत भाषण कुल सचिव प्रोफेसर राम जी सिंह द्वारा दिया गया तथा धन्यवाद प्रस्ताव अधिष्ठाता कृषि डॉक्टर विवेक धामा ने दिया।
इस अवसर पर निदेशक ट्रेंनिंग प्लेसमेंट प्रोफेसर आर. एस. सेंगर प्रोफेसर, प्रशांत मिश्रा, प्रोफेसर सत्य प्रकाश, प्रोफेसर एस. पी. सिंह, प्रोफेसर रमेश कुमार यादव और प्रोफेसर राजेंद्र कुमार आदि शिक्षक भी मौजूद रहे। इस अवसर पर सभी सैनिकों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।