
कृषि विश्वविद्यालय में ‘‘न्यू जनरेशन एग्रीकल्चर’’ पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार संपन्न Publish Date : 17/04/2025
कृषि विश्वविद्यालय में ‘‘न्यू जनरेशन एग्रीकल्चर’’ पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार संपन्न
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयोजित किए गए दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी अगली पीढ़ी की कृषि, बागवानी और पशुपालन के सतत विकास लक्ष्य के लिए एक एकीकरण विषय पर आज संपन्न हो गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रोफेसर राम जी सिंह एवं मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉक्टर वी. पी. सिंह नई दिल्ली के द्वारा की गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलसचिव प्रोफेसर रामजी सिंह ने संबोधित करते हुए कहा “अगली पीढ़ी की कृषि, बागवानी और पशुपालन” यह केवल कृषि के तीन अलग-अलग क्षेत्र ही नहीं हैं, बल्कि हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन की रीढ़ भी हैं। जब इन तीनों क्षेत्रों को एकीकृत तरीके से अपनाया जाता है, तो यह सिर्फ उत्पादकता नहीं बढ़ाता, बल्कि सतत विकास की दिशा में भी एक बड़ा कदम होता है।
पदम श्री डॉक्टर विजयपाल सिंह जी ने बासमती की विकास यात्रा एवं देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बासमती के योगदान के बारे में विस्तार से बताया। डॉक्टर सिंह ने कहा कि देश में बासमती का प्रचार प्रसार भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली एवं बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान, मेरठ के द्वारा बहुत तेजी से बढ़ा है और पिछले कुछ वर्षों में बासमती का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। डॉक्टर सिंह ने राष्ट्रीय कार्यशाला के कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि यह कार्यशाला देश में कृषि के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान देगी
सोसाइटी फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर वेटरनरी एंड इकोलॉजिकल साइंस जम्मू के प्रेसिडेंट डॉक्टर जे. पी. शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि हमें सतत कृषि की पद्धतियों को अपनाना चाहिए, जिससे किसानों को लाभ होगा और साथ ही कुछ चुनौतियां भी आएंगी। इन चुनौतियों जैसे श्रम की मांग, अधिक समय की खपत, सीमित उत्पादन तथा अधिक पूंजी की जरूरत आदि के उन्मूलन के लिए भी नए दृष्टिकोण तथा उपायों को भी खोजना होगा। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के उपरांत जो वैज्ञानिक सतुतियां की गई हैं, उनसे कृषि विकास, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की नीतियों को निर्धारित करने में आसानी होगी।
समापन समारोह मैं आगंतुकों का स्वागत अधिष्ठाता कृषि, डॉक्टर विवेक धामा द्वारा किया गया। डॉ एस वर्डवाल, जम्मू विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक के द्वारा विशिष्ट अथिति के रूप में संबोधन दिया गया।
इस अवसर पर प्रोफेसर रश्मि चौधरी के द्वारा प्रत्येक सत्र की संस्कृतियों की प्रोसेसिंग को वैज्ञानिकों के सामने प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की संयोजक डॉ डी. वी. सिंह द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव रखा गया। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर पोस्टर तथा पेपर प्रेजेंटेशन में प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त वाले वैज्ञानिकों एवं शोध छात्र छात्राओं को भी पुरस्कृत किया गया। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में 250 से अधिक वैज्ञानिकों ने सक्रिय भागीदारी की।