
कृषि के सतत विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न Publish Date : 26/03/2025
कृषि के सतत विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ के तत्वाधान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 18 जनपदों के 50 अधिकारियों कर्मचारियों का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि के सतत विकास के लिए विषय पर संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर कुलपति प्रोफेसर के के सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कृषि की नवीनतम तकनीक को किसानों के द्वार तक पहुंचाने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है, जिससे तकनीक को समझ कर किसान अपने खेतों पर उनका उपयोग कर सकें और उसका लाभ उठाते हुए कृषि से अपनी आय में वृद्धि कर सकें। कुलपति प्रोफेसर के. के. सिंह ने कहा कि हमारा देश विविधताओं से परिपूर्ण है और यहां पर विभिन्न प्रकार की भूमि, विविध प्रकार के मौसम, विविध प्रकार का खानपान और उसी अनुसार विविध प्रकार की फसलों की खेती के अवसर उपलब्ध है।
अतः इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए क्षेत्रवार विभिन्न प्रकार की फसलों में नवीन किस्म का विकास किया जाना चाहिए और उन्नत तकनीक को किसानों के द्वार तक कृषि विज्ञान केंद्र तथा जिले के कृषि अधिकारियों के द्वारा पहुंचनी चाहिए, जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में नई-नई तकनीकें जैसे एआई, ड्रोन तकनीक तथा अन्य नवीन तकनीकों का समावेश करके कृषि की उत्पादकता को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके अलावा कुलपति महोदय ने जल संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम में आज तकनीकी सत्र में जॉइंट डायरेक्टर रितेश शर्मा, डीएफ ने बासमती उत्पादन तकनीकी, डॉ0 चंद्रभानु, आईआईएसआर के द्वारा एकीकृत फसल प्रणाली, डॉक्टर कमल खिलाड़ी, निदेशक शोध द्वारा फसलों में रोग एवं नीमाटोड नियंत्रण, एवं डॉ0 यादव द्वारा दाल उत्पादन तकनीकी पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही प्रशिक्षण में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर निदेशक प्रसार, डॉक्टर पी. के. सिंह ने उपस्थित प्रतिभागियों से आवाहन किया कि वह दो दिवसीय प्रशिक्षण में प्राप्त अपने तकनीकी ज्ञान को किसानों तक पहुंचाएं, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सके।
इस अवसर पर अधिष्ठाता कृषि डॉक्टर विवेक धामा, डॉक्टर एस. के. लोधी, डॉक्टर एस. के. त्रिपाठी, डॉ0 पी. के. सिंह, डॉ0 हरिओम कटियार के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 18 जनपदों के 50 अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया।