
गेहूं की अधिक उपज देने वाली कुछ अच्छी अगेती-पछेती किस्में और उनकी उत्पादन क्षमता Publish Date : 08/10/2025
गेहूं की अधिक उपज देने वाली कुछ अच्छी अगेती-पछेती किस्में और उनकी उत्पादन क्षमता
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता
गेहूं की अगेती-पछेती किस्में से अच्छी पैदावार प्राप्त करने ने के लिए यह उन्नत किस्में काफी लाभकारी साबित हो सकती है। दरअसल, यह सभी किस्म कम समय में प्रति हेक्टेयर 70-75 क्विंटल की दर से उपज देने में सक्षम है। इसके अतिरिक्त इन किस्म के गेहूं से उत्तम चपाती, ब्रेड, बिस्किट और अन्य उत्पादों को तैयार किया जा सकता है। हमारे कृषि विशेषज्ञ और सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर इन किस्मों के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी प्रदान कर रहें हैं।
अतः आप से अनुरोध है कि गेहूं की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक पढ़ें और लेख में दी गई सभी जानकारियों का भरपूर लाभ उठाएं-
भारत में चावल के बाद गेहूं की सबसे अधिक खपत होती है और इसी के चलते देश के अधिकतर किसान अधिक आय के लिए गेहूं की उन्नत किस्मों की खेती करते हैं। इस समय बाजार में गेहूं की विभिन्न प्रकार की किस्में उपलब्ध हैं, ऐसे में आज हम किसानों के लिए गेहूं की ऐसी कुछ अगेती और पछेती किस्में की जानकारी लेकर आए हैं, जो कम समय में किसानों को अच्छा उत्पादन देने में सक्षम है।
ज्ञात हो कि गेहूं की जिन उन्नत किस्मों के बारे में आज हम बात करने जा रहे हैं, वह अधिकतम प्रति हेक्टेयर 70-75 क्विंटल तक उपज देने में सक्षम है। ऐसे में गेहूं की इन उन्नत किस्मों के बारे में यहां विस्तार से जानकारी प्रदान की जा रही है।
गेहूं की कुछ टॉप महत्वपूर्ण अगेती और पछेती किस्में-
पूसा ओजस्वी (एच.आई.1650): गेहूं की यह किस्म वर्ष 2022 में विकसित की गई थी। गेहूं की पूसा ओजस्वी (एच.आई.1650) किस्म की ऊंचाई 90-95 (से.मी.) और 115-120 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म के 1000 दानों का वजन 45-50 ग्राम तक होता है। इसके अलावा किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 55-60 क्विंटल औसत उपज और अधिकतम उपज 70-75 प्राप्त कर सकते हैं।
वहीं, किसान इस किस्म को अपने खेत में 10-15 नवंबर, 2024 के दौरान बुवाई कर सकते हैं। साथ ही पूसा ओजस्वी (एच.आई.1650) किस्म की सिंचाई 4-5 बार करनी चाहिए। गेहूं की यह फसल चंदौली/शरबती चपाती, ब्रेड, बिस्किट के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
किस्म में उपलब्ध पोषक तत्व (कि.ग्रा./है.):
नत्रजन: 120
स्फुरः 60
पोटाशः 30
पूसा हर्षा (एच.आई.1655): गेहूं की यह अगेती-पछेती किस्म वर्ष 2022 में विकसित की गई थी। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 90-95 से.मी और इसके पकने की अवधि 115-120 दिन है। गेहूं की इस किस्म के 1000 दानों का वजन 42-47 ग्राम तक होता है। इसके अलावा किसान इसकी औसत उपज 40-42 (क्वि./है.) और अधिकतम उपज 55-60 क्वि./है. तक प्राप्त कर सकते हैं। किसान खेत में गेहूं की पूसा हर्षा (एच.आई.1655) किस्म की बुवाई 20 अक्टूबर से 10 नवंबर तक कर सकते है। इसके साथ ही इस किस्म में 1 या 2 सिंचाई की ही आवश्यकता होती है।
किस्म में उपलब्ध पोषक तत्व (कि.ग्रा./है.):
नत्रजनः 80
स्फुरः 40
पोटाशः 20
पूसा अहिल्या (एच.आई.1634): गेहूं की इस अगेती-पछेती किस्म की अनुशंसा वर्ष 2021 में की गई थी। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 85-90 (से.मी) तक होती है। गेहूं की यह किस्म 115-120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म के गेहूं के 1000 दानों का वजन 40 ग्राम तक होता है। किसान इस किस्म से औसतन उपज 45-50 (क्विं.है.) और अधिकतम 70-75 क्वि./है. तक की उपज प्राप्त कर सकते है। किसान इसकी बुवाई 01 दिसंबर से 5 जनवरी तक खेत में कर सकते हैं और इस किस्म के लिए 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
किस्म में उपलब्ध पोषक तत्व (कि.ग्रा./है.):
नत्रजनः 100
स्फुरः 50
पोटाशः 25
पूसा वकुला (एच.आई.1636): कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा गेहूं की इस किस्म को वर्ष 2021 अनुशंसित किया गया था। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 90-95 (से.मी) और पकने की अवधि 115-120 दिन है। इसके अलावा पूसा वकुला (एच.आई.1636) किस्म के 1000 दानों का वजन 50-52 ग्राम होता है। किसान इससे औसतन 55-60 (क्वि./है.) उपज और अधिकतम 75-80 किस्म में उपलब्ध तक किस्म की उपज प्राप्त कर सकते हैं। किसान इसकी बुवाई 10-25 नवंबर के दौरान कर सकते हैं और इस किस्म के लिए 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
किस्म में उपलब्ध पोषक तत्व (कि,ग्रा./है.):
नत्रजनः 120
स्फुरः 60
पोटाशः 30
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।