
भण्डारगृह में बीजों को रखने में सावधानियां Publish Date : 28/08/2025
भण्डारगृह में बीजों को रखने में सावधानियां
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा
उत्तम बीज सुदृढ़ खेती की एक महत्वपूर्ण कड़ी है जिससे अधिक उत्पादन के लक्ष्य को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है। ऋगवेद में भी कहां गया है। “सुवीजम् सुक्षेत्रे जायते सम्पन्नते” अच्छा बीज सही भूमि में बोने पर सम्पन्नता दिलाता है इसलिए बीज की शुद्धता और उसके अंकुरण क्षमता को बनाये रखना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।
बीज का अंकुरण होना या न होना मूलतः फसल कटाई, गहाई व भण्डारण में बीज की नमी व तापमान पर निर्भर करता है। यदि फसल पकने के समय वातावरण शुष्क, मौसम ठंडा होतो उच्च गुणवक्ता युक्त बीज प्राप्त होता है।
वहीं यदि अधिक नमी व उच्च तापमान में बीज की गुणवक्ता कम होती चली जा रही है। बीज भण्डारण के समय भी बीजों के रखरखाव पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। क्योंकि इनकी जीवन क्षमता व ओज बीज की नमी, भण्डारण स्थल का तापक्रम व आद्रता पर निर्भर करती है। बीज में जल दो रूप में पाए जाते है। पहला जो बीज के प्रोटीन, कार्बाेहाइड्रेट और कोलाइड पदार्थों के रासायनिक घटकों का अंश होता है। दूसरा वह जल जो बीज में मुक्त अवस्था में पाया जाता है।
बीज की जीवन क्षमता व ओज को बनाए रखने के लिए इस जल की निश्चित मात्रा में एक आवश्यकता होती है। सामान्यतः अधिक नमी, बीज की आयु के लिए हानिकारक होती है। इसलिए फसल की कटाई, छटाईव उपचार के दौरान भी सोयाबीन के बीज की गुणवक्ता को नुकसान पहुंचने की काफी सम्भावना होती है।
खेत का प्रतिकूल मौसमदेर से कटाई-बीज परिपक्व होने के पश्चात् फसल देर से काटने पर या क्रियात्मक परिपक्वता से गहाई के बीच वे मौसम वर्षा होने पर बीज की गुणवक्ता नष्ट हो जाती है।
बीज का टूट-फूट-बीज में यात्रिक टूट-फूट की संभावना कटाई से लेकर बोरावंदी व भण्डारण तक रहती है। यह टूट-फूट बीजों के आपस टकराने, दाने घिसने या पीटने से होती है। भण्डारण के दौरान बीजों को बोरों में भरकर जोर से पटकने से या गिराने से बीज का खोल टूट जाता है। जिससे बीज का अंकुरण नष्ट हो जाता है।
बीज की नमी-भण्डारण के समय बीज की नमी बीज कीगुणवक्ता को प्रभावित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बीज की नमी की मात्रा फसल की कटाई के समय 20-25 प्रतिशत रहती है व इस प्रकार के बीज को भण्डारित करने के लिए इसमें 8-10 प्रतिशत तक नमी ही आवश्यक है। बीज में नमी अधिक होने पर उसमें श्वसन क्रियातेज हो जाती है। और उष्मा की मात्रा बढ़ने के कारण बीज भण्डार गृह में सड़ने लगते है। बीज में यदि 12-14 प्रतिशत तक नमी रहे तो बीज को कीटों, से अधिक क्षति पहुंचती है। 5-8 प्रतिशत तक नमी होने पर वायु रोधी भण्डार गृह में बीजों को अधिक समय तक भण्डारित किया जा सकता है। 0-4 प्रतिशत नमी होने पर बीज कठोर हो जाते है। और उनका अंकुरण क्षमता नष्ट हो जाती है।
तापमान
- अधिक समय तक किसी भी बीज को रखने के लिए बीज को 0-5 सेल्सियस तापमान पर रखना चाहिये।
- बीजों को कम तापमान में रखने पर उनका ओज वअंकुरण क्षमता अधिक समय तक बनी रहती है। बीजों को अधिक तापमान पर नहीं सुखाना चाहिये क्योंकि इनकी जीवन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए बीज को 30-40 सेल्यिस तापक्रम से अधिक पर नही सुखाना चाहिये।
- अधिक तापमान में बीजों पर कवक व कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। अतः बीजों को 28 सेल्यिस या कम तापक्रम पर रखना चाहिये।
भण्डारगृह में बीजों को रखने में सावधानियां
- भण्डारगृह में बोरों को सावधानी पूर्वक रखना चाहिये, ताकि रखते समय बीजों को नुकसान न हों।
- बीज के बोरों को जमीन पर न रखकर लकड़ी के ठाँचों परया नीचे पॉलीथीन या गेहूं या अन्य किसी फसल का भूसा बिछाकर रखना चाहिये। जिससे उनमें जमीन की नमी न पहुंचें।
- बीज भरे बोरों को अधिक उंचाई से न पटके क्योंकि बीज क्षतिग्रस्त होने की संभावना अधिक रहती है। एवं बीज अंकुरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- बीज को बोरों की अधिक उंची थप्पियों नहीं लगाना चाहिये। और बोरों की थप्पियों का दीवारों से लगभग 2 फूट दूर रखना चाहिये।
- दीर्घकालीन बीज भण्डारण के लिए समय-समय पर बीजों का अंकुरण परीक्षण करते रहना चाहिये जिससे उनकी जीवन क्षमता को बनाए रखने के लिए यथा संभव यथोचित का निराकरण किया जा सकें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।