
मक्का की नई संकर किस्म एचक्यूपीएम-28 Publish Date : 10/07/2025
मक्का की नई संकर किस्म एचक्यूपीएम-28
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता
मक्का की एक नई संकर (हाइब्रिड) किस्म है जिसका नाम एचक्यूपीएम-28 है। यह किस्म हरे चारे के लिए उपयुक्त है और 60 से 70 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाली प्रोटीन से भरपूर है और मौजूदा किस्मों की तुलना में बेहतर पाचन क्षमता रखती है।
एचक्यूपीएम-28 मक्का किस्म की मुख्य विशेषताएं:
उच्च उपजः मक्का की यह किस्म 220 क्विंटल प्रति एकड़ तक हरे चारे का उत्पादन कर सकती है, Frarm and Food के विवरण के अनुसार।
शीघ्र तैयारः यह किस्म 60 से 70 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
उच्च गुणवत्ताः इस किस्म में 8.7 प्रतिशत प्रोटीन, 42.4 प्रतिशत एसिड-डिटर्जेंट फाइबर, 65 प्रतिशत न्यूट्रल डिटर्जेंट फाइबर और 54 प्रतिशत कृत्रिम परिवेशीय पाचन शक्ति है।
रोग प्रतिरोधीः यह किस्म मक्का के प्रमुख रोग, जैसे मेडिस, पत्ती झुलसा रोग के प्रतिरोधी है और फाल आर्मी कीट के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है।
उर्वरक के प्रति संवेदनशीलः यह किस्म उर्वरकों के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया देती है।
यह किस्म विशेष रूप से हरे चारे के लिए उपयुक्त है और किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकती है।
क्या HQPM 28 मक्का की नई हाइब्रिड किस्म है?
मक्का की संकर किस्म एचक्यूपीएम 28 (Maize hybrid variety HQPM 28) विवि के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि मक्का की नई संकर किस्म एचक्यूपीएम 28 की हरे चारे की पैदावार 141 क्विंटल प्रति एकड़ तथा उत्पादन क्षमता 220 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह किस्म बुआई के बाद 60 से 70 दिन में ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
अधिक पैदावार वाली मक्का कौन सी है?
मक्का की पूसा हाइब्रिड-1 किस्म 80 से 50 दिन में पककर तैयार होती है. मक्का की इस किस्म से करीब 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन मिलता है। यह किस्म तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में किसानों की पहली पसंद है। मक्का की शक्तिमान नाम की प्रजाति अधिक पैदावार की वजह से किसानों की पहली पसंद है।
मक्का की सर्वोत्तम किस्म कौन सी है?
मक्का की सर्वोत्तम किस्मों में सिजेंटा NK-6240, पायोनियर P3501 और बायर डेकाल्ब 9133 शामिल हैं। ये किस्में उच्च उपज और बेहतर गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं।
मक्का की कुछ अन्य लोकप्रिय और अच्छी किस्में हैं:
गंगा-5: यह किस्म जल्दी पकने वाली है और पीले रंग के दाने देती है।
पार्वतीः यह किस्म मध्यम ऊंचाई वाली होती है और इसके एक पौधे में दो भुट्टे लगते हैं।
शक्ति-1: यह किस्म जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है और पूरे भारत में उगाई जाती है।
प्रकाश (JH 3189): यह किस्म संकर किस्म है और पूरे भारत में उगाई जा सकती है।
X 1174 WV: यह किस्म मध्यम अवधि में पककर तैयार हो जाती है।
रुद्राः यह एक हाइब्रिड किस्म है जो अच्छी पैदावार देती है।
इन किस्मों के अलावा, अन्य अच्छी किस्मों में डेकाल्ब 9126, पायोनियर 3524, डेकाल्ब 9144, और पायोनियर 3302 शामिल हैं।
किस किस्म का चुनाव आपकी विशिष्ट आवश्यकताओं और परिस्थितियों पर निर्भर करता है, जैसे कि जलवायु, मिट्टी का प्रकार, और उपज की आवश्यकता आदि।
मक्का में इल्ली मारने के लिए कौन सी दवा है?
मक्का में इल्ली (Caterpillar) की रोकथाम के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दवाएं हैं: Katyayani फ्लोबेन और इमामेक्टिन बेंजोएट Katyayani Krishi Direct । इसके अलावा, AgroStar बैसिलस थुरीन्जिनेसिस, ब्यूवेरिया बेसियाना, और नीम आधारित कीटनाशक भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
दवाओं के नाम और उपयोगः
कात्यायनी फ़्लुबेन और इमामेक्टिन बेंजोएटः इन दवाओं को मक्का के पौधों पर छिड़काव करने से इल्ली को नियंत्रित किया जा सकता है।
बैसिलस थुरीन्जिनेसिसः 10 ग्राम चूर्ण को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़एकएाव करें।
ब्यूवेरिया बेसियानाः 40 ग्राम पाउडर को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
नीम आधारित कीटनाशकः 500 ग्राम (5 प्रतिशत अर्क) नीम बीज अर्क या 20-40 मिली नीम आधारित दवा को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG: 4 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
25% साइपरमैथरिनः 2.4 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
छिड़काव का समय और विधिः
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कीट के आक्रमण के 15-20 दिन पहले छिड़काव शुरू करें और फिर 10-15 दिन के अंतराल पर दोहराएं।
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दवा को पानी में घोलकर पत्तियों पर अच्छी तरह छिड़काव करें।
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प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें।
अन्य उपायः
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संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें और नाइट्रोजन की अधिकता से बचें।
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खेत में खरपतवार और फसल अवशेषों को साफ करें।
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प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें।
ध्यान दें:
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दवा का उपयोग करने से पहले, लेबल पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
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सुरक्षात्मक उपाय जैसे दस्ताने और मास्क का उपयोग करें।
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कीटों के प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।