
अब बिना मिट्टी के हवा में तैयार किया जाएगा आलू का प्रमाणित बीज Publish Date : 19/06/2025
अब बिना मिट्टी के हवा में तैयार किया जाएगा आलू का प्रमाणित बीज
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा
भारत, विश्व का सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है। आलू की खेती में बीज का सबसे अधिक महत्पूर्ण रोल होता है। आलू के पारंपरिक बीज से आगे बढ़कर देश के आलू उत्पादक किसान अब हाइटेक बीज उत्पादन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। अब इस पद्वति के माध्यम से आलू का प्रमाणित बीज बिना मिट्टी के हवा में ही तैयार किया जाएगा। इस तकनीक को विकसित कर लिया गया है और इसे एरोपोनिक विधि कहते हैं इसमें ऐरो का अर्थ है हवा और पोनिक का अर्थ है खेती। इस विधि का मुख्य उद्देश्य बीज की गुणवत्ता में सुधार और बीज की गुणन दर में वृद्वि करना है।
वर्तमान व्यवस्था में किसानों को आलू के प्रमाणित बीज की कुल माँग के सापेक्ष मात्र 0.5 प्रतिशत ही आपूर्ति हो पा रही थी। अब किसानों की इस माँग को पूरा करने के लिए मेरठ मंडल के जिला हापुड़ में उद्यान विभाग ने 8 करोड़ रूपये की लागत से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर पोटाटो का निर्माण किया है। यह सेंटर सिम्भावली रोड पर लगभग 10 हेक्टेयर के क्षेत्र में विकसित किया गया है। इस सेंटर का निर्माण सेंट्रल पोटेटो रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपीआरआई), शिमला के तकनीकी सहयोग से किया गया है। अब इस सेंटर पर आलू के गुणवत्तायुक्त प्रमाधित बीज को तैयार किया जाएगा।
यह प्रदेश का पहला ऐसा सेंटर होगा, जहाँ आलू के प्रमाणित बीज को उच्च गुणवत्ता के साथ रोगरहित और कीटरहित बीज बनाया जाएगा। इससे टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में सीपीआरआई से टेस्ट ट्यूब मदर प्लांट का पौधा लाकर आलू के बीज की अगली पीढ़ी को तैयार किया जाएगा। इससे प्रत्येक वर्ष गुणात्मक दर से आलू के बीज की संख्या लाखों में बढ़ती जाएगी। इस विधि में एक बॉक्सनुमा ट्रे में पौधा लगाया जाता है, पौधे की जड़ टेबल के नीचे खुली हवा में रहेगी। मिनी ट्यूबर आमतौर पर छोटे बीज वाले आलू के कंद होते हैं। इस सेंटर की उत्पादन क्षमता एक वर्ष में पांच लाख मिनी और माइक्रो ट्यूब को तैयार करने की होगी।
यह सेंटर अब तैयार हो चुका है और इसका ट्रायल रन चल रहा है। सीपीआरआई जालंधर की टीम ने हाल ही में सेंटर का निरीक्षण कर इसकी तैयारियों कर समीक्षा की है। इस प्रकार से देखा जाए तो यह सेंटर देश के समस्त आलू उत्पादकों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।
30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के बराबर बीज तैयार करने से होगी शुरूआतः
मेरठ मंडल के उप-निदेशक उद्यान, डॉ0 विनीत कुमार ने बताया कि पांच लाख मिनी ट्यूब से आलू का बीज तैयार किया जाएगा। इतना बीज 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के लिए बीज की आवश्यकता को पूरी कर सकता है। इस शुआत से प्रत्येक वर्ष गुणात्मक दर से आलू के बीज उत्पादन में वृद्वि होगी।
हाईटेक प्रणाली के माध्यम से होगा बीज उत्पादन
- माइक्रोट्यूबर आधारित बीज उत्पादन की प्रणाली।
- एरोपोनिक बीज उत्पादन की प्रणाली।
आलू की विकसित प्रजातियाँ
चिपसोना-1, चिपसोना-3, सूर्य, पुखराज, ख्याति और लोहित आदि।
‘‘केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई), शिमला के तकनीकी सहयोग से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर पोटेटो को तैयार किया गया है और इसका अभी ट्रॉयल चल रहा है। यह प्रदेश का प्रथम अत्याधुनिक तीके से विकसित किया गया केन्द्र है, जहाँ किसानों को प्रमाणित बीज की एक बड़ी प्रजाति तैयार करके दी जाएगी। इससे आलू की प्रजाति में गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता दोनों में ही उल्लेखनीय वृद्वि होगी।’’
-डॉ0 विनीत कुमार, उप-निदेशक उद्यान विभाग, हापुड़।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।