
पॉलीमर कोटिंग से दमदार बीज Publish Date : 26/05/2025
पॉलीमर कोटिंग से दमदार बीज
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी
एक छोटा-सा बीज अच्छी फसल की पूरी उम्मीद समेटे रहता है। लेकिन, कीट, नमी, फफूंद और मौसम की मार जैसे कारक इसकी गुणवत्ता को कमजोर कर देते हैं। बीजों को इन खतरों से बचाने के लिए उन पर एक विशेष प्रकार की कोटिंग की जाती है।
बीज बोना केवल उन्हें मिट्टी में रखने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक नए फसल चक्र की शुरुआत भी है। भंडारण और परिवहन के दौरान गर्मी, नमी, कीट और फफूंद आदि बीजों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे बीजों की अंकुरण दर और उपज पर असर पड़ता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि उच्च गुणवत्ता वाले बीज 20 प्रतिशत तक पैदावार बढ़ा सकते हैं।
बीजों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उन पर पोषक तत्वों, कीटनाशकों, फफूंदनाशी दवाओं या लाभकारी सूक्ष्मजीवों की एक परत चढ़ाई जाती है। इससे बीजों की क्षमता और उनकी अंकुरण दर बढ़ जाती है।
बीजों पर कैसी-कैसी कोटिंग
फिल्म कोटिंगः बीजों पर पतली परत बनाते हैं, जिसमें पॉलीमर, प्लास्टिसाइजर और रंग द्रव्य आदि शामिल होते हैं
एनक्रस्टिंगः बीजों पर एक विशेष प्रकार की परत चढ़ाई जाती हैं, जिससे बीजों की बुवाई और हैंडलिंग काफी आसान हो जाती है।
पेलेटिंगः बीज का आकार बढ़ाने और उसे एक समान गोली में बदलने के लिए कोटिंग की कई परतें चढ़ाई जाती हैं।
पॉलीमर कोटिंगः रंगीन पॉलीमर और रसायनों की कोटिंग से बीजों की सुरक्षा और दक्षता बढ़ाई जा सकती है।
पॉलीमर की परत के लाभ
पॉलीमर कोटिंग बीजों के तेज और समान अंकुरण को बढ़ावा देती है। यह बीजों की गुणवत्ता, अंकुरण दर और भंडारण क्षमता को बेहतर बनाने में भी सहायक सिद्व होती है। इससे स्वस्थ और मजबूत पौधों का विकास होता है। फफूंद, बैक्टीरिया, कीट व रोगों से अपेक्षाकृत नुकसान कम होता है।
बीजों का सुरक्षित भंडारण और 5-10 प्रतिशत अधिक अंकुरण दर प्राप्त की जा सकती है। पॉलीकोट का उपयोग सभी कृषि और बागवानी फसलों के लिए किया जा सकता है।
फफूंदनाशक मिलाकर करें कोटिंग
पॉलीकोट का उपयोग करके बीजों की कोटिंग की जा सकती है। प्रति किलो बीजों पर कोटिंग करने के लिए तीन ग्राम पॉलीकोट को पांच मि.ली. पानी में मिलाएं और संतुलित मात्रा में फफूंदनाशक (जैसे काबेंडाजिम) या कीटनाशक (जैसे इमिडाक्लोप्रिड) मिलाएं।
इस मिश्रण को बीजों पर डालकर अच्छी तरह से हिलाएं, ताकि कोटिंग एक समान हो जाए। इसके बाद, बीजों को छाया में सुखाकर ठंडे एवं सूखे स्थान पर स्टोर करें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।