
संकर धान बीज उत्पादन तकनीकी, उपयोगिता एवं उसका महत्व Publish Date : 18/04/2025
संकर धान बीज उत्पादन तकनीकी, उपयोगिता एवं उसका महत्व
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता
हमारे देश में कुल मिलाकर जितनी भी फसलें उगायी जाती हैं, उनमें धान की खेती सबसे अधिक क्षेत्रफल में की जाती हैं। धान के वार्षिक उत्पादन में चीन के बाद भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। संकर धान बीज उत्पादन भारत में मुख्य रुप से आंध्र प्रदेश के करीम नगर, वारंगल तथा कुरनूल जिलों में किया जाता है। इसके अतिरिक्त पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी संकर धान का बीज उत्पादन प्रचुर मात्रा में किया जाता है। बीज कृषि उत्पादन का आधार होता है।
परंपरागत खेती में बीजों को देशी किस्मों का उपयोग किया जाता रहा है। वैज्ञानिक पद्धति द्वारा संस्तुत प्रजातियों तथा संकर धान का बीज उत्पादन आज एक आवश्यकता बन चुकी है।
संकर धान के दो विभिन्न अनुवांशिकी गुणों वाली प्रजायितों के नर एवं मादा के संकरण से विकसित की जाती है। संकर धान में पहली पीढ़ी का बीज नई किस्म के रुप में प्रयोग में लाया जाता है, क्योंकि संकर धान के पहली पीढ़ी में संकर ओज की क्षमता पायी जाती है, जो अधिक उपज देने वाली सामान्य प्रजातियों की तुलना में भी सर्वोत्तम उपज देने में सफल है।
अगली पीढ़ी में ओज क्षमता का ह्रास हो जाता है। अतः संकर धान का लाभ केवल एक बार ही लिया जाता है। संकर धान का बीज किसानों को हर वर्ष बनाना/खरीदना पड़ता है। संकर किस्मों का बीज वृहद स्तर पर उत्पादन करना अधिक श्रमसाध्य कार्य है, जिसमें उत्पादन लागत बढ़ जाती है और संकर धान का बीज सामान्य धान के बीज से लगभग 8-10 गुना ज्यादा महंगा बिकता है।
संकर धान की खेती सामान्य धान की खेती की तरह की जाती है। संकर धान की प्रजातियों से लगभग 10-15 क्विंटल/हैक्टेयर ज्यादा उपज प्राप्त होती है।
संकर धान बीज उत्पादन हेतु रोपाई की दिशा एवं दूरीः
1. संकर धान बीज उत्पादन प्रक्षेत्र में पैतृक वंशकों के पंक्तियों की दिशा, उनके फूल आने के समय तक चलने वाली हवा के लंबवत होनी चाहिए।
2. पंक्ति अनुपातः
प्रचलित धान के बीज उत्पादन की अपेक्षा, संकर धान के बीज उत्पादन के लिए दोनों वंशकों के एक निश्चित पंक्ति अनुपात में (नर एवं मादा) की रोपाई अगल-बगल करते हैं।
संकर धान बीज को उपज उनके बाली आने के समतलीनकरण के साथ-साथ पंक्ति अनुपात पर भी निर्भर करता है।
यदि परागकण की कमी न हो तो मादा पौधों को अधिक पंक्तियां लगाने से बीज की अधिक उपज होने की आशा की जाती है। चूंकि संकर बीज, मादा पौधे (बीज वंशक) से ही प्राप्त होता है। नर पौधे तो केवल परागकण की कमी हो जाती है। इसी तरह जब नर वंशकों की पंक्तियां बढ़ा दी बढ़ा दी जाती है तो मादा वंशक की पंक्तियां कम हो जाती है। जबकि मादा वंशकों द्वारा ही संकर बीज उत्पादित किया जाता है।
इसलिए नर एवं मादा वंशकों की रोपाई एक निश्चित पंक्ति अनुपात में ही करनी चाहिए। दीर्घकालीन अनुभव के आधार परमादा वंशकों की पंक्तियों को एक सीमा तक बढ़ा सकते हैं, जहां तक परागकण की कमी न हो।
पंक्ति अनुपात के लिए रोपाई का रेखांकन (डिजाइन)
- ‘आर’ लाइन की रोपाई दो पंक्तियों में प्रथम बुवाई की पौध से करें। पंक्ति से पंक्ति 15 सेमी. तथा पौध से पौध की दूरी 45 सेमी. रखें।
- ‘आर’ लाइनों के दो पंक्ति के बाद 165 सेमी. का रिक्त स्थान छोड़कर ‘आर’ लाइन की दूसरी दो पंक्ति की रोपाई करें। इस रिक्त स्थान में ‘ए’ लाइन की आठ पंक्तियों की रोपाई की जायेगी।
- ‘आर’ लाइन की द्वितीय एवं तृतीय बुवाई के पौध से दो पंक्ति के रिक्त स्थान में रोपाई करें, जिससे ‘आर’ लाइनों के पौध की दूरी 15 सेमी. हो जाएं।
‘ए’ लाइन की रोपाई
- रोपाई क्रम के चौदहवें दिन दो जोड़े पंक्तियों के बीच 165 सेमी. रिक्त स्थान में ‘ए’ लाइन की आठ पंक्तियों की रोपाई करें।
- पंक्ति से पंक्ति तथा पौध से पौध की दूरी 15 सेमी. रखें।
- ‘ए’ वंशक की पंक्ति एवं ‘आर’ वंशक के पंक्ति के बीच 30 सेमी. की दूरी रखें।
संकर धान बीज उत्पादन एवं पृथक्कीकरणः संकर धान बीज उत्पादन में मादा पौधे के आस-पास अनचाहे परागकण से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीकों का प्रयोग किया जाता है। इस विधि को पृथक्कीकरण के लिए 3 तकनीकी का प्रयोग किया जाता है-
1. संकर धान बीज उत्पादन प्रक्षेत्र के चारों ओर एक निश्चित दूरी बनाकर।
2. संकर धान बीज उत्पादन एवं आस-पास की धान की फसल के फूलने की तिथियों में पर्याप्त समय की भिन्नता बनाकर।
3. संकर धान बीज उत्पादन और आस-पास के धान की फसल के बीच अवरोधक लगाकर।
पृथक्कीरण (दूरी द्वारा):-
1. संकर धान बीज उत्पादन प्रक्षेत्र से अन्य धान की फसल 100 मीटर से अधिक्र दूरी पर होने चाहिए।
2. यदि बीज उत्पादन प्रक्षेत्र के चारों तरफ 10 पंक्तियां ‘आर’ लाइन की लगा दें, तो 50 मीटर दूरी कम हो सकती है।
पृथक्कीकरण (समय द्वारा):-
1. ‘ए’ वंशक के बीज की बुवाई एवं रोपाई गहन गणना करके ऐसे समय पर की जाय ताकि अड़ोस-पड़ोस में बोये गये धान के अन्य खेत में बालिया ‘ए’ वंशक की तुलना में या तो तीन सप्ताह पहले या तीन सप्ताह बाद में निकले।
2. दो प्रक्षेत्रों के बीच कम से कम 5 मीटर का अंतर होना चाहिए।
3. यदि ‘ए’ लाइन एवं आस-पास धान की अन्य प्रजातियों की बुवाई एक ही समय होती है तो 100 मीटर की दूरी रखना अति आवश्यक है।
पृथक्कीकरण (अवरोधक द्वारा):-
1. 100 मीटर के अंदर धान के दो प्रक्षेत्रों के बीच अवरोधक रखना आवश्यक है।
2. 3-4 मीटर ऊँची और 10 मीटर चौड़ी फसल अवरोधक रखते हैं। उदाहरण- फसल अवरोधक के लिए ढैचा एक उपयुक्त फसल है।
बीज उत्पादन प्रक्षेत्र से अवांछनीय पौधों को निकालनाः बीज उत्पादन प्रक्षेत्र से अवांछनीय धान के पौधों को निकालना ही रोगिंग कहलाता है। ‘ए’, ‘आर’ वंशक की कतारों में जब पैतृक पौधों के रंग, आकार-प्रकार, स्वभाव से विभिन्नता पाई जाती है तो उसे अवांछनीय पौधे कहते हैं। संकर धान बीज उत्पादन में मिश्रण और अनचाहे पर परागण को रोकने के लिए अवांछनीय पौधों को निकालना जरुरी है। जिससे संकर बीजकी उच्च कोटि की शुद्धता बनी रहे।
मुख्यतः फसल की तीन अवस्थाओं में अवांछनीय पौधे को निकाला जाता है।
अ. कल्ले निकलने की अवस्था।
ब. फूलने की अवस्था।
स. कटाई के ठीक पहले।
अ. अवांछनीय पौधों को अधिकतम कल्ले निकलने की अवस्था में निकालनाः धान के पौधे को जो देखने से पैतृक आदर्श वंशकों के पौधों से भिन्न दिखाई दें, उन्हें निम्न तरीके से निकालते हैं-
1. वे पौधे जो कतारों से बाहर हों।
2. वे पौधे जो सामान्य पौधों से ऊँचे या छोटे हो।
3. जिन पौधों का आकार-प्रकार और पत्तियों के रंग में विभिन्नता हों, उन्हें निकाल देते हैं।
4. उन पौधों को निकालिये जो देखने में आदर्श पौधों के समान नहीं दिख रहे हों।
ब. फूल आने के समय अवांछनीय पौधों को निकालनाः-
1. उन पौधों को निकालिये जिनमें बहुत पहले या बहुत देर से बालियां निकलें।
2. जिन पौधों की बालियों के आकार-प्रकार में भिन्नता हो उन्हें निकाल देना चाहिए।
3. ‘ए’ लाइन के उन्न सभी पौधों को निकाल देते हैं जिनके परागकोष पीले और मोटे हो और परागकण निकलता है।
4. ‘ए’ लाइन के उन पौधों को निकालिए जिनकी बालियां पूर्णरुपेण निकली हो।
स कटाई से ठीक पहले अवांछनीय पौधे को निकालनाः-
1. ‘ए’ लाइन से उन पौधों को निकालिए जिनमें सामान्य दाने बने दिखाई देते हैं।
2. उन पौधों को निकालिए जो ‘ए’ लाइन से भिन्न आकार-प्रकार के हों।
कटाई, मढ़ाई और रख रखावः संकर धान बीज उत्पादन प्रक्षेत्र के फसल की कटाई सामान्य धान के फसल की कटाई से भिन्न होती है। ‘ए’ लाइन में जो बीज बनता है वहीं संकर बीज होता है, उनका ही संकर धान के रुप में विक्रय या उपयोग किया जाता है। ‘आर’ लाइन की उपज को पुनः ‘आर’ लाइन के रूप में या दानों के रुप में विक्रय करते हैं या घर के उपयोग के लिए रखते हैं।
कटाईः- संकर धान बीज उत्पादन प्रक्षेत्र से संभावित कटाई के 7 से 10 दिन पहले पानी निकाल देना चाहिए।
‘आर’ लाइन की कटाई
1. सर्वप्रथम सभी ‘आर’ लाइन की कटाई करें।
2. हंसिया के द्वारा पौधों को जड़ से कटाई करें।
3. ‘आर’ लाइन को काटकर सुरक्षित साफ और सूखे स्थान पर रखना चाहिए।
4. खेत में ‘आर’ लाइन की एक भी बाली नहीं छूटनी चाहिए।
‘ए’ लाइन की कटाईः-
1. कटाई से पहले ‘ए’ लाइन के पंक्तियों से अवांछनीय पौधों को निकाल देना चाहिए।
2. ‘ए’ लाइन की पंक्तियों से उन पौधों को निकाल दीजिए, जिनके दाने का गुण सामान्य ‘ए’ लाइन से भिन्न हों। विभिन्न प्रकार के दाने के आकार-प्रकार तथा सीकुर की उपस्थिति या अनुपस्थिति देखनी चाहिए।
3. ‘ए’ लाइन को हाथ द्वारा या यांत्रिक कम्बाइन द्वारा कटाई करनी चाहिए।
मड़ाईः-
- जिस क्षेत्र में संकर धान के बीज का उत्पादन करना है, वहां धान के जंगली एवं ऐच्छिक पौधे उपलब्ध नहीं होने चाहिए।
- जहां तक संभव हो जिस खेत में संकर धान का बीज उत्पादित किया जा रहा हो, उस खेत में उसके पूर्व मौसम में धान की कोई फसल न उगायी गयी हो अथवा यदि धान उगाया गया हो तो उसी संकर किस्म का बीज उगाया गया हो और वह प्रक्षेत्र प्रमाणीकरण संस्था द्वारा संस्तुत भी होना चाहिए।
- खेत में उर्वरक, सिंचाई एवं जल निकास की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए।
- संकर धान उत्पादित करने वाले खेत अन्य धान के प्रक्षेत्र से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर होना चाहिए।
- 100 मीटर पृथक्कीरण की दूरी न मिलने की स्थिति में अन्य धान की ऐसी प्रजाति उगाई जाए जो ‘ए’ वंशक (मादा) के फूल आने के समय 21 दिन पूर्व या 21 दिन बाद में फूलने वाली हों।
- संकर धान का प्रक्षेत्र प्राकृतिक रुप से पर्वत, नदी, नालों या जंगलों द्वारा घिरा हो जिससे ये प्राकृतिक संरचनाएं अवरोधक का कार्य संपादित करें। यह विधि सर्वाेत्तम है।
पैतृक वंशकों की नर्सरी तैयार करनाः-
- बीज उत्पादन करने वाले पौधों को ‘ए’ (मादा वंशक) लाइन कहते हैं। परागकण उत्पन्न करने वाले पौधों को ‘आर’ (नर वंशक) लाइन कहते हैं। एक हैक्टेयर खेत की रोपाई के लिए ‘ए’ लाइन की 30 तथा ‘आर’ लाइन की 15 किग्रा. बीज की आवश्यकता होती है।
- पौधशाला में साधारण किस्मों की अपेक्षा संकर धान के विरली बीज की बुवाई करते है, ताकि स्वस्थ एवं कल्लेदार पौध तैयार हो सकें। एक वर्गमीटर में लगभग 25 ग्राम बीज डालते हैं। यह बीज दर अच्छी पौध संख्या के लिए उपयुक्त है।
- ‘ए’ (मादा) और ‘आर’ (नर) लाइनों की नर्सरी के लिए क्यारियां अलग-अलग होनी चाहिए। ‘ए’ और ‘आर’ लाइनों की बुवाई तिथियां लाइनो की अवधि को ध्यान में रखकर करते हैं जिससे दोनों लाइनों में बालियां एक ही समय पर निकले ताकि अधिक से अधिक संकर धान बीज का उत्पादन प्राप्त हो सके।
- ‘आर’ लाइन की बुवाई 3 बार तथा ‘ए’ लाइन की बुवाई केवल 1 ही बार करते हैं।
अंकुरित धान के बीज को 25 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से बुवाई करते हैं। इस तरह 40 वर्गमीटर क्षेत्रफल के लिए एक किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।
1. ‘आर’ लाइन के बीज को तीन बराबर भागों में बांट लेते हैं, जिसकी बुवाई तीन दिनों में तीन-तीन दिन के अन्तर पर करते हैं।
2 ‘ए’ लाइन का संपूर्ण बीज एक ही बार में बोते हैं।
मड़ाई
1. संकर बीज और ‘आर’ लाइन की मड़ाई अलग-अलग करें।
2. सदैव इस बात का ध्यान रहे कि मड़ाई स्थल पर ‘ए’ लाईन के बीज में कोई अन्य धान के बीज न मिलने पाये और थ्रेसर मशीन में भी न मिलने पाये।
3. मड़ाई करने के पहले मड़ाई स्थल तथा मड़ाई में प्रयुक्त मशीनों को अच्छी तरह साफ कर लें।
4. ‘ए’ लाइन बीज की मड़ाई सबसे पहले करते हैं ताकि अन्य प्रकार के बीज न मिल पायें।
5. मड़ाई स्थल पर पीटकर मड़ाई करते हैं या इंजन द्वारा चलने वाले थ्रेसर से करते हैं।
6. नर वंशक की मड़ाई अलग से करते है और इसे खाने के उपयोग में लाते हैं और बीज के उपयोग में कदापि नहीं लाएं।
बीज सुखानाः
1. मड़ाई के बाद बीज को तुरंत सुखाएं।
2. ‘ए’ और ‘आर’ वंशकों के बीज को अलग-अलग सुखाएं।
3. बीज को सीधे पक्के फर्श पर रखकर नहीं सुखाना चाहिए।
4. बीजों को साफ जूट के बोरों या तिरपाल पर रखकर सुखाना चाहिए।
5. उच्च वायुदाब मशीन द्वारा गर्म हवा में 40-45 डिग्री सेल्सियस पर सुखाते हैं
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।