
धान की नई प्रजाति पी.आर.-132 पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा की गई विकसित Publish Date : 28/03/2025
धान की नई प्रजाति पी.आर.-132 पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा की गई विकसित
प्रोफेसर आर. एसं सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
यह प्रजाति कम यूरिया में भी अच्छी उपज देती है-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा धान की कई प्रजातियां विकसित की गई है, लेकिन इसके द्वारा अभी हाल ही में एक नई प्रजाति विकसित की गई है, इस प्रजाति को पी आर 132 के नाम से जाना जाएगा। इस किस्म को उपजाने में यूरिया की एक चौथाई कम जरूरत पड़ती है, जो कि नाइट्रोजन आपूर्ति का ण्क प्रमुख स्रोत है और इस प्रजाति की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है। साथ ही वैज्ञानिको ने दावा किया गया है कि इस किस्म के धान से बनने वाले चावल की गुणवत्ता भी काफी अच्छी है।
इस प्रजाति को विकसित करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टर बूटा सिंह के अनुसार कि इस किस्म का प्रयोग करने में लगभग 25 प्रतिशत यूरिया की बचत होती है। आमतौर पर धान की अन्य प्रजातियों में एक एकड़ में दो बैग यानी की 90 किलोग्राम यूरिया की खपत होती है जबकि इस प्रजाति में प्रति एकड़ केवल 1.5 बैग यानी 67 किलोग्राम यूरिया ही लगता है। ऐसे में किसान को प्रति एकड़ करीब डेढ़ सौ रुपए की यूरिया की बचत हो जाती है। धान की इस किस्म को अन्य किस्म के मुकाबले कम नाइट्रोजन उर्वरक की आवश्यकता होती है।
इसकी पौध लगाने का समय 20 से 25 मई तक है जो 30 से 35 दिन में रोपने के लिए तैयार हो जाती है और इसके बाद किसान इसकी रोपाई मुख्य खेत में कर सकते हैं। रोपाई के बाद यह किस्म 111 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके पौधों की औसत ऊंचाई 113 सेंटीमीटर है। इस किस्म के धन से उत्पन्न चावल चमकदार, लंबे और पतले होते हैं और यह मिलिंग के लिए भी बढ़िया है। इसके साबुत चावलों की क्वालिटी भी बेहतर है जिससे मिलिंग इंडस्ट्री को भी लाभ होगा। आमतौर पर धान की फसल को 10 तरह के झुलसा रोग प्रभावित करते हैं, लेकिन यह नई किस्म उनमें से 6 झुलसा रोग का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में सक्षम है। इस नवाचार से किसानों को लागत कम करने और पर्यावरण संरक्षण करने में भी मदद मिलेगी।
केवल इतना ही नहीं इस किस्म के चावल का स्वाद भी बेहतर है जो इसे और भी आकर्षक बनाता है। फिलहाल इस किस्म का बीज पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से लिया जा सकता है। इसके साथ इसके 18 कृषि विज्ञान केदो पर भी इसका बीज उपलब्ध कराया गया है। पंजाब में वर्ष 2023-24 में 32 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की गई थी जिसकी कुल उपज 214.26 लाख टन थी। अब यदि इसमें से 20 प्रतिशत क्षेत्र में भी पी आर 132 किस्म लगा दी जाए तो इससे यूरिया की बड़े स्तर पर बचत हो सकती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।