
एचआई 1650 के साथ गेहूं की एच आई 1655 वैरायटी की उत्पादन सहित अन्य सभी विशेषताएं Publish Date : 10/10/2024
एचआई 1650 के साथ गेहूं की एच आई 1655 वैरायटी की उत्पादन सहित अन्य सभी विशेषताएं
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु
गेहूं की नवीन वैरायटी एच आई 1655 पूसा हर्षिता (1655 Wheat Variety Pusa Harsha) की पैदावार क्षमता एवं अन्य विशेषताओं के बारे में विवरण-
1655 Wheat Variety Pusa Harsha- इस वर्ष मानसून की अच्छी बारिश हुई है अच्छी बारिश होने से किसान रबी फसलों के प्रति पूर्ण आशान्वित है।
किसानों को खरीफ फसलों की अपेक्षा रबी फसले अच्छा लाभ देती है। रबी फसलों में सबसे प्रमुख गेहूं की फसल के भाव अच्छे होने से किसानों को काफी लाभ भी हो रहा है।
वहीं दूसरी ओर कृषि वैज्ञानिक भी मौसम परिवर्तन को देखते हुए गेहूं की नई-नई वैरियटयों को विकसित कर रहे हैं और इसका लाभ भी किसानों को मिल रहा है।
कृषि वैज्ञानिकों ने इस वर्ष गेहूं की कई नवीन वैरायटियों को विकसित किया है, इन वैरायटियों में एच आई 1655 वैरायटी सबसे अच्छी मानी जा रही है, क्योंकि यह वैरायटी कम पानी में अच्छा उत्पादन देने में सक्षम है। इसके अलावा गर्मी सहन करने की क्षमता भी इस वैरायटी में है।
गेहूं की इस (1655 Wheat Variety Pusa Harsha) वैरायटी की उत्पादन क्षमता से लेकर अन्य सभी विशेषताएं एवं बीज कहां मिलेगा सब कुछ बता रहे हैं-
गेहूँ- एच. आई. 1655 (पूसा हर्षा)
विगत कई वर्षों से शरबती किस्म अमृता, हर्षिता के बाद क्षेत्र के किसान इस बात का इंतजार रहे है कि उन्हें इन परम्परागत किस्मों से भी अधिक उत्पादन देने वाली, बेहतर, उच्च गुणवत्ता वाली, पानी की उपलब्धता के अनुसार कम से अधिक सिंचाई में आने वाली अर्ली एवं बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता वाली, जिसकी ऊँचाई थोड़ी कम रहे व उसकी काड़ी कड़क रहें, जिससे आड़ा पड़ने (लाजिंग) की समस्या भी कम से कम हो।
ऐसी बहुगुणी विशेषता वाली किस्म जो उन्हें अधिकतम उत्पादन के साथ-साथ ज्यादा बाजार भाव भी दिला सके, इस संबंध में किसानों का इंतजार अब खत्म हुआ। पूसा के सहयोगी संस्थान गेहूँ अनुसंधान केन्द्र (IARI) इंदौर द्वारा हाल ही में सुखा निरोधक, चमत्कारी गेहूँ किस्म एच. आई. 1655 (पूसा हर्षा- 1655 Wheat Variety Pusa Harsha) देश के मध्य क्षेत्र हेतु समय पर बोनी के लिये, चपाती, ब्रेड एवं बिस्किट हेतु सर्वश्रेष्ठ प्रजाति जारी की है।
इसका गजट नोटिफिकेशन क्र. 1056 (E) दिनांक 6.3.2023 है। यह एक उत्कृष्ट जल उपयोग वाली कुशल जीनो टाईप व बॉयो फोर्टिफाईड किस्म है।
एच. आई. 1655 (पूसा हर्षा) की बीज दर
इस किस्म की बीज दर 108 किलो प्रति हेक्टेयर या लगभग 40 किलो प्रति एकड़ लाईन से लाईन की दूरी 20 से.मी. 20 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक समय पर बुआई करने और संतुलित खाद एन.पी.के. एवं जिंक 80:40:50 सही समय पर देने पर आदर्श परिणाम मिलता है।
एच. आई. 1655 (पूसा हर्षा) की विशेषताएं
शरबती गेहूँ कि यह किस्म अभी तक जारी की गई सभी शरबती किस्मों की तुलना में एक चमत्कारी किस्म तथा अलग गुणों एवं विशेषताओं वाली किस्म होने से यह अन्य परम्परागत शरबती किस्मों से थोड़ी अलग है।
शरबती किस्मों जैसे सुजाता या अन्य में बीज दर, पानी/खाद आदि के असंतुलन के कारण अधिक ऊँचाई बढ़ने, आड़ा पड़ने व इसके कारण उत्पादन में कमी की समस्या होना एक आम बात है।
किंतु इस चमत्कारी किस्म हर्षा (एच. आई. 1655) एक मध्यम ऊँचाई कि लगभग 90-95 से.मी. जो कि लगभग लोक - 1 के बराबर है।
इस कारण कम ऊँचाई व इसकी काड़ी कड़क होने से हवा चलने या वर्षा की स्थिति में इसके गिरने (लाजिंग) की संभावना कम रहती है, जिसके कारण कृषकों को उत्पादन व गुणवत्ता खराब होने के कारण होने वाले नुकसान की आशंका शरबती किस्म होने के बाद भी इसमें कम रहती है।
पाला अवरोधी किस्म होने से अधिक ठंड या पाले की स्थिति में भी इस किस्म में नुकसान की संभावना बहुत कम रहती है। स्टेम एवं लीफ रस्ट के लिये यह किस्म प्रतिरोधी है। इस किस्म के अविश्वसनीय किन्तु सत्य गुणों के कारण शरबती किस्मों की खेती को एक नई परम्परा, एक नया आत्मविश्वास व एक नई दिशा मिलेगी।
एच. आई. 1655 (पूसा हर्षा) के गुण
इस किस्म के दानें सुडोल, चमकदार, आकर्षक, लम्बाकार, रंग अम्बर (सुनहरी), 1000 दानों का वजन लगभग 47 ग्राम, प्रोटीन (11.4%), जिंक (39.7), लोह तत्व ( 37. 3) पी.पी.एम. है, इस किस्म की रोटी, ब्रेड एकदम सफेद, नरम, स्वादिष्ट तथा आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
इस किस्म का चपाती इंडेक्स (84) तथा सेडीमेंटेशन वेल्यू (42.6 एमएल) है जो कि तकनीकी दृष्टि से चपाती व इस किस्म की क्वालिटी की उच्चता की पुष्टि करती है।
एच. आई. 1655 (पूसा हर्षा) की पहचान
इस किस्म की पत्तियाँ चौड़ी, थोड़ी झुकी हुई बालियों का रंग सफेद, बाली पर रोए नहीं, इस किस्म की अंकुरण क्षमता अत्याधिक होने, सुडोल दानों से भरपूर बालियों वाला खेत कल्ले (टिलरिंग) का एक साथ बहुत अधिक फुटाव, सुंदर आकर्षक फसल बिना देखे अविश्वसनीय भी है।
ऐसा इस किस्म को लगाने वाले किसानों का अभिन्न मत है सघन पौधा, अधिक चौड़ी पत्तियों की छत्र-छाया (अच्छादन) होने से यह भूमि के जल वाष्पीकरण को कम कर देती है व इसकी जड़े गहरी होने से जमीन के नीचे के स्तर की नमी एवं तत्वों को खिंचकर पौधे को दे देती है जिससे पौधा कम सिंचाई में या सुखे की स्थिति में भी हरित अवस्था में बना रहता है जो कि इस किस्म की उच्च उत्पादन क्षमता का मूल रहस्य है।
एच. आई. 1655 के पकने की अवधि (उम्र)
अच्छी वर्षा या सिंचाई पर्याप्त उपलब्ध होने पर किसान इस किस्म में 3 से 4 सिंचाई लगाकर भी अधिक उत्पादन भी प्राप्त कर सकते हैं। इस किस्म की अवधि सुजाता या अन्य शरबती किस्मों से कम है यानि यह मात्र लगभग 115 से 120 दिवस है।
एच आई 1655 की पैदावार (उत्पादन क्षमता)
गेहूं की इस वैरायटी की अधिकतम उत्पादन क्षमता लगभग 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा व्यवहारिक परिस्थितियों में कुछ किसानों द्वारा इस किस्म का सर्वाधिक उत्पादन लगभग 13-14 क्विंटल बीघा लिया गया है जो कि अविश्वसनीय किंतु सत्य है तथा यह शरबती किस्मों में सर्वाधिक है व शरबती किस्मों में इसे प्रथम स्थान पर पहुचाने हेतु पर्याप्त है।
एच आई 1655 की अन्य विशेषताएं एवं गुण
इस किस्म के दाने सुडोल चमकदार होने तथा रोटी, ब्रेड, बिस्किट, बेकरी आयटम के लिये उत्तम होने से इसकी स्थानीय माँग काफी अच्छी रहेगी। जिसके कारण किसानों को अधिकतम उत्पादन के साथ अधिक बाजार भाव ऐसे दोहरा लाभ प्राप्त हो सकेगा। इस किस्म का पौधा फैलावदार, सघन, कुचे वाला होने से इस किस्म में भूसे की मात्रा किसान को अधिक मिलेगी जो कि किसान को एक अतिरिक्ति आय देगा।
किसान बीज खरीदते समय यह ध्यान रखें
गेहूँ की यह शरबती किस्म हर्षा 1655 अपने इन असाधारण गुणों के कारण किसानों के बीच अपना एक उच्च स्थान बहुत जल्दी बना लेगी तथा चपाती वाले गेहूँ के बाजार व बेकरी इंडस्टी की एक बड़ी आवश्कयता बन जाएगी।
यह किस्म की पूसा नई दिल्ली व गेहूँ अनुसंधान के (IARI) द्वारा विशेष अनुबंध (MOU) के तहत सीमित मात्रा में कुछ कम्पनियों को ही लगभग 1,25,000/- क्विंटल की लागत पर दी गई है। अतः किसान केवल अधिकृत कम्पनियों से ही इसके बीज खरीदे ताकि किसानों के साथ कोई धोखा न हो।
एच. आई. 1655 (पूसा हर्षा) का बीज कहां मिलेगा
एच आई 1655 गेहूं वेरायटी के साथ-साथ गेहूं की एचआई 1650 (पूसा ओजस्वी), एचआई 8830 (पूसा कीर्ति), एचडी 3385, गेंहू सी 306, एचआई 1605 (पूसा उजाला), एचआई 1544 (पूर्णा), गेंहू राज 4037, गेंहू GW 322, लोक 1, एचआई 1634 (पूसा अहिल्या), एचआई 1636 (पूसा बकुला), Gw 513 गेंहू, एचआई 8663 (पोषण), एचआई 8713 (पूसा मंगल), एचडी 4728 (पूसा मालवी), एचआई 8759 (पूसा तेजस) और एचआई 8777 आदि सभी किस्मों का बीज (IARI) से ही मिलेगा।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।