
धान की नई किस्म ‘स्वर्ण पूर्वी धान-5’ Publish Date : 10/09/2024
धान की नई किस्म ‘स्वर्ण पूर्वी धान-5’
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु
4 महीने में चमकने लगेगी फसल; कम पानी और सूखे में भी होगी अच्छी पैदावार
नई धान की इस प्रजाति में रोगों और कीटों के खिलाफ अधिक प्रतिरोधक क्षमता है। यह झोका, भूरी चित्ती रोग, तना छेदक और पत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों से लड़ने में सक्षम है। इसके कारण किसानों को कीटनाशकों का उपयोग भी कम करना पड़ता है। इस वजह से खेती की लागत में कमी आती है और पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचता है।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय मेरठ के कृषि वैज्ञानिक, प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि धान की इस नई प्रजाति को विकसित करने का उद्देश्य ऐसे किसानों की मदद करना रहा है, जो पानी की कमी के कारण धान की खेती में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। ‘स्वर्ण पूर्वी धान-5’ नामक यह खास प्रजाति सूखा प्रभावित इलाकों में बेहतर पैदावार के देने के साथ-साथ बेहतर पोषक तत्वों से भी भरपूर है। सामान्य स्थिति में धान की यह किस्म प्रति हेक्टेयर 45 क्विंटल तक उत्पादन देने में सक्षम है। जबकि सूखे की स्थिति में भी 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की फसल इस प्रजाति के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।
धान की इस किस्म की एक और खासियत यह भी है कि यह कम अवधि में तैयार हो जाती है। केवल 110-115 दिनों में इस फसल को काटा जा सकता है, जिससे किसानों के समय की बचत होती है और वे दूसरी फसलें भी उगा सकते हैं। धान की किस्म ‘स्वर्ण पूर्वी धान-5’ में जिंक और आयरन की मात्रा भी अधिक है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होती सिद्व होती है।
इस नई धान की प्रजाति में रोगों और कीटों के खिलाफ लड़ने की अधिक प्रतिरोधक क्षमता है। यह झोका, भूरी चित्ती रोग, तना छेदक और पत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों से लड़ने में सक्षम है। इसके कारण किसानों को कीटनाशकों का उपयोग भी कम करना पड़ेगा। इसके चलते खेती की लागत में कमी आती है और पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचता है।
इस प्रजाति की खेती करने से 35 से 40 फीसदी पानी की बचत भी की जा सकती है। यह प्रभेद बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड आदि क्षेत्रों के लिए बेहतर है। इस प्रजाति का दाना छोटा और पतला होता है। यह किस्म मध्यम और ऊपरी भूमि के लिए अनुशासित की गई है। यह किस्म किसानों को बेहतर उपज देने में सक्षम होगी।
‘स्वर्ण पूर्वी धान-5’ का विकास भारतीय कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो किसानों को सूखा जैसी परिस्थितियों में भी बेहतर फसल प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। इस प्रजाति का उपयोग न केवल फसल उत्पादन को बढ़ाएगा, बल्कि किसानों की आय को भी बढ़ावा देगा।
इस धान की प्रजाति से भारतीय कृषि में उत्पादन की एक नई क्रांति आने की उम्मीद की जा सकती है, जो कठिनाइयों के बावजूद भी समृद्धि और खुशहाली का संदेश लेकर आई है। कृषि वैज्ञानिकों के इस नवाचार से किसानों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और वह जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए और भी बेहतर तरीके से तैयार हो सकेंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।