
आलू बम्पर का उत्पादन, लेकिन फिर भी किसान परेशान, नहीं मिलेगा उचित दाम Publish Date : 06/10/2025
आलू बम्पर का उत्पादन, लेकिन फिर भी किसान परेशान, नहीं मिलेगा उचित दाम
फिलहाल नेपाल के लिए आलू की सप्लाई लगभग ठप है। बिहार की बाढ़ और पंजाब, पश्चिम बंगाल से आने वाले आलू ने यूपी के बाजार बाजार पर दबाव बना लिया है। इस बार प्रदेश में आलू के उत्पादन का अनुमान 245 लाख मीट्रिक टन है, जबकि इसकी खपत और निर्यात उतना नहीं हो पा रहा।
उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में आलू की इस बार बंपर पैदावार हुई है, लेकिन इसके बावजूद किसानों के माथे पर चिंता की गहरी लकीरें उभर आई हैं। किसानों की परेशानी का कारण यह है कि अभी तक भी उनका लगभग 35 से 40 फीसदी आलू शीतगृहों में पड़ा हुआ है, जिसकी खपत नहीं हो पा रही। इससे बाजार में आलू की कीमतें नीचे आ गई हैं और किसानों के लिए उनकी लागत निकालना भी मुश्किल होता जा रहा है।
मंडियों में आलू के दाम
5 अक्टूबर को प्रदेश की प्रमुख मंडियों में आलू के भाव 900 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 1500 रुपये प्रति क्विंटल तक रहे।
मंडी |
कीमत |
फर्रुखाबाद मंडी |
930-1075 रुपये/क्विंटल |
कानपुर |
930-1075 रुपये/क्विंटल |
अयोध्या |
1015 रुपये/क्विंटल |
बाराबंकी |
1500 रुपये/क्विंटल |
आलू के दाम गिरने का कारण
अभी तक नेपाल को आलू की सप्लाई लगभग ठप है। बिहार की बाढ़ और पंजाब, पश्चिम बंगाल से आने वाले आलू के चलते अब आलू ने यूपी के बाजार पर भी दबाव बना लिया है। इस बार प्रदेश में उत्पादन का अनुमान 245 लाख मीट्रिक टन है, जबकि खपत और निर्यात उतना नहीं हो पा रहा है।
आलू किसानों की परेशानी
किसानों का कहना है कि भंडारण लागत और बाजार की कमजोर मांग के चलते उन्हें आलू औने-पौने दाम पर बेचने को विवश होना पड़ रहा है। कोल्ड स्टोरेज में पड़ा पुराना आलू पहले बिके, तभी नई फसल की खरीद आसान हो सकेगी।
प्रशासन का पक्ष
राज्य आलू विकास विभाग का कहना है कि फसल का बड़ा हिस्सा जनवरी-फरवरी तक शीतगृहों से निकाला जाता है। बावजूद इसके विभाग ने आश्वासन दिया है कि किसानों को नुकसान न हो इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।