
पशु नस्ल सुधार में एक क्रांतिकारी कदम: ‘सेक्स सॉर्टेड सीमेन’ तकनीक Publish Date : 26/09/2025
पशु नस्ल सुधार में एक क्रांतिकारी कदम: ‘सेक्स सॉर्टेड सीमेन’ तकनीक
‘सेक्स सॉर्टेड सीमेन’ तकनीक: किसानों के लिए कृत्रिम गर्भाधान से 90% तक मादा बछिया और आय में 5 गुना वृद्धि’
पशुपालन एवं डेयरी विभाग, के द्वारा पशु नस्ल सुधार के लिए एक आधुनिक और गेम-चेंजिंग तकनीक, “सेक्स सॉर्टेड सीमेन” (Sex Sorted Semen), से कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination – AI) किया जा रहा है।
इस तकनीक से गाय या भैंस से लगभग 90 प्रतिशत केवल बछिया या मादा पड़िया ही पैदा होते हैं। ये मादा बच्चे बड़े होकर उन्नत नस्ल के एवं 10-15 लीटर प्रतिदिन दूध देने वाले दुधारू गाय या भैंस बनते हैं। इससे किसानों की आय में लगभग तीन वर्ष बाद आमदनी में 4-5 गुना तक वृद्धि होती है। इसके परिणामस्वरूप, आय में वृद्धि से किसानों के आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर अभूतपूर्व सुधार आता है।
हालांकि, जिले में पशुपालकों का रुझान एवं रुचि इस योजना के प्रति काफी कम है। जबकि, पशुओं में नस्ल सुधार, ब्रीड डेवलपमेंट एवं तात्कालिक दूध उत्पादन में वृद्धि हेतु सेक्स सॉर्टेड सीमेन द्वारा कृत्रिम गर्भाधान सबसे आधुनिक और बेहतर तकनीक साबित हो रही है।
योजना की लागत, संपर्क केंद्र और गर्भाधान का सही समय
शासन द्वारा इस तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान करने हेतु सीमेन डोज का शुल्क प्रति डोज मात्र 100 रुपये रखा गया है। स्वयंसेवी गौ-सेवक एवं मैत्री कार्यकर्ता आदि 100 रुपये के साथ अपना समुचित पारिश्रमिक भी पशुपालक से ले सकते हैं। इस योजना के लाभ के लिए पशुपालक को अपनी गाय या भैंस के गर्मी में आने की स्थिति में, अपने निवास स्थान के निकटतम पशु चिकित्सालय, पशु औषधालय, पशु चिकित्सा उपकेंद्र, पशु चिकित्सक, क्षेत्राधिकारी या संस्था प्रभारी से संपर्क करना होगा।
यह सुविधा मोबाइल वेटरनरी यूनिट पशुधन संजीवनी 1962 कॉल सेंटर में कॉल लगाने पर उपलब्ध है। ग्राम पंचायत के प्रशिक्षित गौ सेवक, मैत्री कार्यकर्ता एवं कृत्रिम गर्भाधान प्राइवेट प्रैक्टिशनर द्वारा भी यह सुविधा घर पहुंच उपलब्ध कराई जा रही है। पशुओं के गर्मी में आने की स्थिति में पशुपालक सूचना देने के पूर्व ही पशु को अपने घर पर बांधकर रखें। साथ ही, यदि पशु गर्मी में सुबह आता है तो उसे शाम को कृत्रिम गर्भाधान होगा। जबकि, यदि रात्रि में आता है तो आगामी दिवस सुबह से लेकर दोपहर के बीच में कृत्रिम गर्भाधान कराना उचित रहता है।