धान की फसल में बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट नामक नई बीमारी      Publish Date : 15/09/2025

    धान की फसल में बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट नामक नई बीमारी
 

धान की फसल में बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट नामक नई बीमारी – तेलंगाना में वैसे ही किसान यूरिया की किल्लत का सामना कर  रहे है लेकिन अब उपर से धान उत्पादक किसानों को नई  परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है और यह परेशानी है धान की फसल में बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट नामक बीमारी लगने की। हालांकि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को बीमारी से  बचाव के लिए सलाह दे रहे है। लेकिन बताया जा रहा है कि करीमनगर जिले के किसानों के खेतों में इस फसल को नई बीमारी से खासा नुकसान पहुंच रहा है।

                                                               
किसानों का कहना है कि अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया, तो पूरी फसल चौपट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इस बीमारी से जून और जुलाई में बोई गई धान की फसल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। किसानों का कहना है कि इस बीमारी की शुरुआत पत्तियों पर पीले धब्बों से होती है, जो धीरे-धीरे फैलकर पूरी पत्ती को पीला कर देती है। 
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बीमारी का मुख्य कारण मौसम में अचानक बदलाव और तापमान में गिरावट है। वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसल की सही देखभाल करें और पोषक तत्वों का स्प्रे करें, क्योंकि इस बीमारी को रोकने के लिए कोई विशेष कीटनाशक उपलब्ध नहीं है। उन्होंने किसानों से कहा है कि किसान धान के खेत में यूरिया का उपयोग तुरंत बंद करें। 

                                                                  
साथ ही खेत से पानी निकालकर जमीन को सुखाएं। इससे बीमारी की फैलने की संभावना कम हो जाएगी। साथ ही कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि संक्रमित खेतों का पानी अन्य खेतों में न जाने दें। फंगल के बढ़ने पर नियंत्रण रखें और फसल की नियमित निगरानी करते रहें। 
इन उपायों से किसान इस बीमारी से फसल को बचा सकते हैं। साथ ही धान की खेती के अंतिम चरण में पोटाश का इस्तेमाल करना अनिवार्य कहा गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, अचानक मौसम में बदलाव, फसलों के बीच में समय का अंतर न होने की वजह से कीट जन्म ले रहे हैं। ये सभी कारण धान की फसल को बीमारियों और कीटो के हमलों के प्रति ज्यादा संवेदनशील बना रहे हैं। 
इसलिए वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे मौसम और कीटों के चक्र को ध्यान में रखते हुए फसल चक्र और समयबद्ध खेती करें, ताकि इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके।